साऊथ फिल्मो में Rajnikant जी को मार खाते और मरते हुए क्यों नही दिखाया जाता

कहानी है इंडिया के लेजेन्ड्री एक्टर Rajnikant रजनीकांत जी की जो की एक ऐसे एक्टर है जिन्होंने शून्य से अपने करियर की शुरुआत की बिना गोडफादर के संघर्स के बलबूते अपना कदम फिल्म इंडस्ट्री में रक्खा अपनी यूनिक स्टाइल गजब के स्क्रीन प्रजेन्ट और अपनी दमदार एक्टिंग के चलते पुरे तमिलनाडु में इनका सिक्का चलने लगा|

और देखते ही देखते ये तमिल फिल्मो के थलाईबा यानि की नंबर वन सुपर स्टार बन गए आगे चलकर Rajnikant रजनीकांत जी ने तेलगू मलयालम कन्नड़ और हिंदी फिल्मो में अपना एक नाम बनाया और धीरे धीरे पुरे भारत में पॉपुलर हो गए

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और आज Rajnikant जी की गिनती इंडिया के टॉप सुपर स्टार में होती है एक टाइम पर ये इंडिया के सबसे जादा फीस चार्ज करने वाले और पुरे एशिया में दुसरे सबसे जादा फीस चार्ज करने वाले एक्टर बने है Rajnikant रजनीकांत जी उन एक्टर में से एक है जिनकी विदेशो में काफी लम्बी फेन फोलोइंग है और ये इन्डियन सिनेमा को इंटरनेशनल लेबल पर रेप्रेजेंट करते है

साऊथ फिल्मो का भगवान माना जाता है Rajnikant रजनीकांत जी को

Rajnikant रजनीकांत जी इंडिया के एक मात्र एक्टर है जिन्होंने हर तरह की फिल्मो में काम किया है सुरुआत इनकी ब्लैक एंड वाइट फिल्म से हुई इसके बाद इन्होने कलर फिल्मो में काम किया कोचा दहिया फिल्म के जरिए एनिमेसन में उतरे और 2.0 जैसी थ्रीडी फिल्म में काम किया रोबोट जैसी फिल्म में काम करके ये साइंस फिक्सन जोंनर को नेक्स्ट लेबल पर ले गए |

Rajnikant रजनीकांत जी के स्टाइल के क्या कहना है इनका स्वेग सिगरेट पिने का स्टाइल चलने का स्टाइल और चस्मा पहने के स्टाइल पर दर्शक कायल है पुर तमिल नाडू में इनका जबरजस्त क्रेज़ है और कुछ लोग इन्हें भगवान भी मानते है Rajnikant रजनीकांत जी के फैन का क्रेज़ इतना जबर्दस्त है के फिल्म में फिल्म मेकर Rajnikant रजनीकांत जी को फिल्म में मार खाते और मरते हुए नही दिखा सकते

इसी वजह से इन्हें जादातर फिल्मो में मरते हुए भी नही दिखाया जाता अगर ऐसा कोई सीन फिल्म में होता है तो दर्शक इतनी नाराज़ हो जाती है की थेटर की सीट फाड़ देते है स्क्रीन फोड़ देती है और थेटर को तहस नहस कर देती है इसी वजह से फिल्म मेकर ऐसे सीन को फिल्म में रखने से कतराते है एक बार बादशाह फिल्म के सीन में रजनीकांत Rajnikant जी को बांधकर कर मारा जाना था इस सीन को हटाए जाने की काफी मांग हुई हालाकि मेकर्स ने इस सीन को इनको वैसे ही रहने दिया

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उस समय थेटर के मालिक काफी डरे हुए थे लेकिन बाद में जब Rajnikant रजनीकांत जी ने विलन को बांधकर मारा तब फैन संतुस्ट हुए ऐसा जलवा है Rajnikant रजनीकांत जी का |

रजनीकांत जी का सुरुआती दौर कैसा रहा

Rajnikant रजनीकांत जी का जन्म 12 दिसम्बर सन 1950 को बेंगलोर मैसूर में हुआ था जो अब कर्णाटक के अन्दर आता है ये एक मराठा परिवार में जन्मे है और इनका नाम भी मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी के नाम पर रक्खा गया जी हा इनका असली और पूरा नाम है शिवाजी राव गैकुवाड इनके गाव का नाम है मैमवादी कादेपत्थर जो की महारास्ट्र में स्थित है और इनकी अप्रिन्गिंग कर्णाटक से हुई ये इतेफ़ाक की बात रही के Rajnikant रजनीकांत जी ने तमिल तेलगू कन्नडा मलयालम हिंदी अंग्रेजी और यहा तक की बंगाली फिल्मो में भी काम किया

लेकिन अपने भाषा में यानि के मराठी भषा में कोई भी फिल्म में काम नही किया आज भी इनके चाहने वाले फैन की ख्वाहिश है की ये एक बार मराठी फिल्मो में काम जरुर करे इनके पिता का नाम है रामोजी राव गैकुवाड़ और इनकी माता का नाम है जीजा बाई इनकी माता हाउस वाइफ थी और इनके पिता रामोजी राव एक पुलिस कांस्टेबल थे रजनीकांत Rajnikant जी कुल चार भाई बहन है जिसमे सत्यनारायण राव और नागेस्वर राव इनके बड़े भाई है और अस्वत बालू बाई इनकी एकलौती बहन है |

Rajnikant रजनीकांत जी के पिता के रिटायर्मेंट के बाद साल 1956 में इनका पूरा परिवार हनुमंत नगर बेंगलोर में सिफ्ट हो गए और यहाँ पर Rajnikant रजनीकांत जी के परिवार ने अपना खुद का घर भी बना लिया 9 साल की उम्र में ही Rajnikant रजनीकांत जी की माँ का देहांत हो गया और इनकी सुरुआती पढाई कोबिपुरम कोवेंट कन्नड़ा मोडल प्राईमरी स्कूल बेंगलोर से पूरी हुई |

Rajnikant रजनीकांत जी बचपन से ही सरारती और पढाई में काफी तेज़ थे क्रिकेट फूट बॉल और बास्केट बॉल में इनकी काफी जादा रूचि रही इसी दौरान इनके भाई ने रामकृष्ण मठ में भेज दिया यहाँ इन्होने वेद पुराण भारत के इतिहाश और संस्कृति की अच्छे से जानकारी ली और इनका मन मेडिटेशन और स्पेक्तुएल्ति में लगने लगा आज भी Rajnikant रजनीकांत जी अपनी हर फिल्म के रिलीज होने के बाद हिमालय चले जाते है जहा ये कुछ दिन छुट्टिया मनाते है|

मठ के अन्दर ही रजनीकांत जी नाटको में काम करने लगे

यही से Rajnikant रजनीकांत जी के अन्दर एक्टिंग का क्रेज़ बढ़ गया इसी मठ में इन्हें हिन्दू घटित महाभारत में इक्ल्व्य के दोस्त का रोल प्ले करने का मौका मिला यहाँ कन्नडा पोएट डोक्टर बेन्द्रे ने इनकी एक्टिंग को काफी पसंद और तारीफ़ करी यहां इन्होने कच्छा छः तक की पढाई करी आगे चलकर इन्होने आचार्य पाठशाला पब्लिक स्कूल में अपना दाखिला करवाया और इन्हिने इन्टर मीडिएट तक की पढाई पूरी करी यहाँ पर भी Rajnikant रजनीकांत जी प्ले में हिस्सा लिया करते थे |

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घर की इस्थिति काफी कमजोर थी इसलिए पढाई पूरी होते ही Rajnikant रजनीकांत जी कई तरह की जॉब काम करना सुरु कर दिए इन्होने कूली और बस कंडक्टर की जॉब करी जहा बस कंडक्टर के तौर पर इनको हर महीने 750 रुपए मिला करता था इसी दौरान कन्नड़ा प्ले राइडर मिस्टर टोपी मुन्नाप्पा ने इन्हें मिलोजिकल प्ले ऑफर किया जहा ये मान गए और लगातार अलग अलग तरह के प्ले में काम करते रहे आगे चलकर एक विज्ञापन के जरिये इनको मद्रास इंस्टीट्यूट के बारे में पता चला ये यहा से एक्टिंग सीखना चाहते थे |

लेकिन इनका परिवार इनके इस फैसले के खिलाफ थे फ़िलहाल इनके दोस्त राय बहादुर हमेशा इनके साथ रहे और इनको फिनेंसिअली काफी जादा सपोर्ट किया इनके दोस्त ने ही इनका दाखिला एक्टिंग स्कूल में करवाया अब Rajnikant रजनीकांत जी फिल्म इंस्टीट्यूट से एक्टिंग सीख रहे थे इसी दौरान एक नाटक के दौरान इन्होने दुरयोधन का रोल प्ले किया और इन पर डायरेक्टर बाला चन्दर की नज़र पड़ी बाला चन्दर साहब इनके काम से काफी जादा प्रभावित हुए |

और इनको तमिल सिखने को कहा Rajnikant रजनीकांत जी ने तुरंत ही तमिल सीखना सुरु कर दिए एक रात ये चुप चाप घर से भाग गए और चेन्नई जा पहुचे जहा इन्होने बाला चन्दर जी से मुलाकात की डायरेक्टर के बाला चन्दर ने रजनीकांत जी को अपूर्वा रागंगल फिल्म में साईन किया फिल्म के हीरो थे कमाल हसन और इस फिल्म में इन्होने ग्रे सेट प्ले किया ये फिल्म के अन्दर अविज्यु हसबैंड बने थे |

रजनीकांत जी को विलन भी बनना पड़ा था

इनकी पहली फिल्म को तीन नेशनल अवोर्ड भी मिला और Rajnikant रजनीकांत जी काफी इम्प्रेसिव लगे ये रजनीकांत जी की पहली फिल्म थी जबकि कमल हसन 20 से अधिक फिल्मो में काम करके प्रसिद्ध हो चुके थे हालाकि इसी फिल्म से कमल हसन को भी एक मेजर सफलता मिली Rajnikant रजनीकांत जी अपनी जादा तर सुरुआती फिल्मो में विलन का रोल किया है

अक्भी ये रेपिस्ट बनते तो कभी वुमेनाइजर तो कभी ये पानो ग्राफिस्ट बनते इनकी दूसरी फिल्म थी कथा संग्मात जो की ये एक कन्नड़ा फिल्म थी और इस फिल्म में ये रेपिस्ट बने इनकी तीसरी फिल्म थी अन्थुलेनी कथा जो की एक तेलगू फिल्म थी बाला चन्दर के इस फिल्म में इनका काफी इम्पोर्टेंट रोल था इनकी चौथी फिल्म थी मुन्द्रू मोदीचु जिसमे इनको पहली बार बड़े रोल में कास्ट किया गया हालाकि यहा भी फिल्म के लीड हीरो कमल हसन थे इसके बाद ये कन्नड़ा फिल्म बालू जेंनु में फिर से निगेटिव रोल विलन में नजर आए |

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इस तरह Rajnikant रजनीकांत जी निगेटिव रोल करते या सपोर्टिंग रोल रजनीकांत जी अपने सुरुआती दिनों में अलकोहल बहुत पिने लगे थे लेकिन एक बार बाला चन्दर ने उन्हें पकड़ लिया और उन्होंने रजनीकांत जी को काफी जादा डाटा उसके बाद रजनीकांत जी ने हमेशा के लिए शराब छोड़ दी उसके बाद अगली फिल्म में रजनीकांत जी को बतौर हीरो तेलगू फिल्म में कास्ट किया गया और ये फिल्म थी चिलकम्मा चेपिनिदी |

एक बार कमल हसन जी ने Rajnikant रजनीकांत जी को समझाया अगर इसी तरह सपोर्टिंग रोल और निगेटिव रोल करते रहोगे तो हीरो कभी नही बन पाओगे कमल हसन ने इनको सजेस्ट किया की वो लीड रोल पर फोकस करे इसी के बाड रजनीकांत जी लीड रोल पर फोकस करने लगे कहा जाता है की संघर्ष के दिनों रजनीकांत जी को एडवांस नही दिया था और जब रजनीकांत जी एडवांस मांगते तो मेकर्स उन्हें डाट देते और कई बार तो फिल्म से बाहर निकाल देते ये सारी बाते रजनीकांत जी को काफी बुरी लगती थी और स्टारडम पाने के बाद रजनीकांत जी ने उन मेकर्स के साथ कभी काम नही किया |

रजनीकांत जी की बॉलीवुड में एन्ट्री

इस तरह साल 1978 तक Rajnikant रजनीकांत जी ने 26 फिल्मो में काम किया था तमिल तेलगू और कन्नड़ा भाषा की फिल्म सामिल है भास्करन की फिल्म भैरवी में रजनीकांत जी सोलो हीरो के तौर पर नज़र आए उस समय तक डार्क स्किन वाले को फिल्म में नही लिया जाता था ऐसा माना जाता था की काले चेहरे वाले हीरो को दर्शक पसंद नही करेगी लेकिन भैरवी फिल्म के सुपर हिट होते ही ये भ्रम टूट गया के सिर्फ गोर रंग के लोग ही हीरो बन सकते है |

इसके बाद एक से बढ़ कर एक फिल्मे आने लगी उसके बाद इनको टॉप एक्टर माना जाने लगा मास हीरो माने जाने लगे और इनकी फिल्मे बीसी सेन्टर में काफी जादा चलती वही कमल हसन की फिल्मे शहरी इलाको में काफी जादा पसंद की जाती थी

अंधा क़ानून के जरिए इन्होने बॉलीवुड में भी कदम रख दिया हर साल Rajnikant रजनीकांत जी हिट पर हिट फिल्मे देते और ये कामयाबी की ओर बढ़ते चले गए |

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Riyajuddin Ansari
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