आज से 15 साल पहले Hero-Honda से अलग हो कर आगे का सफ़र अकेले ही तै करने का फैसला कर लिया|
लेकिन बात यह है की जिस Honda की टेक्नोलॉजी उन्हें दुनिया की नंबर वन टूवहीलर कंपनी बनने का मौका दिया क्या उनसे अलग होने का फैसला आज Hero को भारी पड़ने लगा|
जिस स्प्लेंडर पैशन और एच एफ डीलक्स जैसी बाइक के दम पर Hero ने कई सालो तक टूव्हीलर मार्किट पर राज़ किया आज उन्ही बाइक BS6 मॉडल से लोग परेसान क्यों है|
Hero Motor क्यों है परेशान?
जिस कंपनी की 12 करोड़ मोटरसाइकिल रोड पर हो, जिनकी दो वर्ल्ड क्लास आर एनडी सेंटर्स हो और जो हार्ले डेविडसन जैसी प्रीमियम बाइक को प्रोड्यूस करती हो वो कंपनी इंडियन टू व्हीलर मार्केट में अपने गिरते मार्केट शेयर को रोकने में नाकाम क्यों हो रही है|

कभी Hero-Honda की साझेदारी ने 55% मार्केट पर कब्ज़ा जमा रक्खा था, और अलग होने के बाद भी Hero के पास 45% का मार्केट शेयर था, लेकिन आज की इस्तिथि हैरान करने वाली है|
गिरते मार्केट शेयर नेगेटिव सेंटिमेंट प्रीमियम सेगमेंट में कमजोर पकड़ और EV की रेश में पिछड़ने की वजह से Hero के लिए नम्बर वन पोजीशन को बरकरार रखना बेहद मुश्किल हो गया है|
लेकिन दोस्तों क्या आपने सोचा है कि Hero साइकल्स जिसने कभी Hero मोटो कोर्प की नीव रखी थी आज किस मुकाम पर है या फिर Hero इलेक्ट्रिक जो ओला से भी पहले ईवी सेगमेंट में थी, अब कैसी हालत में है| और इनकी Hero मोटर्स जो आज ऑटोमोटिव पार्ट्स की एक बड़ी कंपनी है| वह क्या कर रही है|
Hero साइकिल्स Hero इलेक्ट्रिक और Hero मोटर्स इन तीनों कंपनी का हीरो मोटो कोर्प से कोई रिलेशन नहीं है| आज हीरो की शुरुआत से लेकर Honda होंडा से अलग होने की कहानी उनके फैमिली डिवीजन और करंट सिचुएशन को डिटेल में जानने वाले हैं|
Hero कंपनी की सुरुआत कैसे हुई?

Hero की कहानी शुरू होती है आजादी से पहले साल 1944 में जब पंजाब के कमालिया गांव में चार भाई अपने पिता के साथ अनाज की ट्रेडिंग किया करते थे, देश में माहौल ठीक नहीं था और लोग अंग्रेजों के खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे उसी दौर में वह चारों भाई परिवार के साथ कमालिया छोड़कर अमृतसर आ गए|
और नए सिरे से जिंदगी शुरू कर ने की कोशिश करने लगे चारों भाइयों के पास कोई डिग्री तो नहीं थी लेकिन बिजनेस की अच्छी समझ थी उन्हें लगा कि आजादी के बाद साइकिल के बिजनेस में अच्छा ग्रोथ देखने को मिलेगा क्योंकि उस दौर में ज्यादातर साइकिल्स इंपोर्ट की जाती थी|
और महंगी होने की वजह से लोगों की पहुंच से दूर थी हालांकि कुछ इंडियन साइकिल कंपनीज भी मौजूद थी लेकिन उनकी क्वालिटी विदेशी ब्रांड्स के मुकाबले कहीं भी नहीं टिकती थी ऐसे में एक सस्ती और मजबूत साइकिल बनाने का बिजनेस उन्हें काफी फायदा पहुंचा सकता था|
लेकिन उस वक्त उनके पास ना तो इसकी टेक्नोलॉजी थी और ना ही उनकी हैसियत इतनी थी कि, वे साइकिल बनाने की फैक्ट्री शुरू कर पाते फिर सबने मिलकर फैसला किया कि साइकिल ना सही वोह साइकिल के पार्ट्स बनाएंगे जिसके लिए बिजनेस लाने की जिम्मेदारी ब्रीजमोहन लाल मुंजाल को दी गई जबकि बाकी तीन भाई दयानंद सत्यानंद और ओम प्रकाश मुंजाल पार्ट्स के प्रोडक्शन और डिलीवरी का काम संभाल लिए|
हीरो मोटर्स को Hero का नाम कैसे मिला

लोकल सप्लायर्स और कारीगरों की मदद से उन्होंने पार्ट्स की सप्लाई शुरू की और जब कुछ पैसे इकट्ठे हो गए तो घर के पीछे ही भट्ठी लगाकर कुछ कारीगरों को काम पर रख लिए उसी दौरान ओपी मुंजाल को पता चला कि उनके एक सप्लायर दोस्त जो उनको साइकिल की सीट्स प्रोवाइड करते थे हमेशा के लिए पाकिस्तान शिफ्ट होने वाले हैं|
तो उनसे मिलकर ओमप्रकाश जी ने पूछा कि क्या मैं आपके ब्रैंड का नाम इस्तेमाल कर सकता हूं वे तुरंत राजी हो गए और जानते हैं, वह नाम क्या था वह नाम था Hero और यहीं से शुरुआत हुई Hero ग्रुप के विशाल बिजनेस एंपायर की साल आया 1954 एक डीलर के जरिए हीरो को एटलस साइकिल्स के फ़ोर्क बनाने का ऑर्डर मिला|
मुंजाल ब्रदर्स ने पेपर पर फ़ोर्क का डिजाइन बनाया और उसे तैयार करके ऑर्डर को डिलीवर कर दिया लेकिन फ़ोर्क के टू टने की इतनी कंप्लेंट्स आई कि डीलर ने सारा माल ही वापस कर दिया लेकिन मुंजाल ब्रदर्स हिम्मत नहीं हारे, डिजाइन पर फिर से काम किए और उससे मजबूत फ़ोर्क तैयार करके डीलर को फिर से सप्लाई की |
इस बार कमाल हो गया फ़ोर्क की क्वालिटी इतनी अच्छी थी कि उन्हें साइकिल के हैंडल्स मडगार्ड और बाकी बचे पार्ट्स के भी ऑर्डर्स मिलने लगे मुंजाल ब्रदर्स वो मुकाम हासिल कर चुके थे जहां वे खुद साइकिल बनाने के बारे में सोच सकते थे|
1956 में पहली हीरो साइकिल मार्केट में लॉन्च की
फिर साल 1956 में लुधियाना की फैक्ट्री से रीजेंट कंपनी के रिम और डनलप के टायर ट्यूब के साथ पहली हीरो साइकिल मार्केट में लॉन्च कर दी गई यह दिखने में इंपोर्टेड साइकिल्स जैसी अच्छी तो नहीं थी लेकिन मजबूती में उनसे कई गुना बेहतर और चलाने में आरामदायक थी|

किसान दूध वाले मजदूर और नौकरी पेशा लोगों के लिए हीरो साइकिल्स एक सहारा बनने लगी हालांकि शुरुआत में सिर्फ 600 साइकिल्स का ही प्रोडक्शन होता था फिर बैंक से 50000 का लोन लेकर धीरे-धीरे प्रोडक्शन को बढ़ाया गया|
लेकिन उसी बीच 1968 में सबसे बड़े भाई दयानंद जी की डेथ हो गई पर ग्रोथ की रफ्तार को बाकी भाइयों ने कम नहीं होने दिया और 1986 आते-आते Hero हीरो दुनिया का सबसे बड़ा साइकिल प्रोड्यूसर बन गया लेकिन साइकिल के अलावा दूसरी तरफ स्कूटर्स और मोपेड भी काफी पॉपुलर हो रहे थे|
पहले तो हीरो ने फ्रेंच कंपनी प्युजो के साथ कोलेबोशन की कोशिश की लेकिन जब बात नहीं बनी तो 1978 में उन्होंने हीरो मैजेस्टिक के नाम से 49 सीसी का मोपेड भी लॉन्च कर दिया Hero के दो मॉडल्स पेसर एंड पैंथर को लोगों ने इतना पसंद किया कि कुछ ही समय में 35% से भी ज्यादा मोपेड मार्केट पर हीरो का कब्जा हो गया|
Hero की पहली बाइक मोपेड
इस जबरदस्त रिस्पांस से Hero हीरो और मोटिवेट हुआ और जल्द ही एक ऑस्ट्रियन कंपनी के साथ कोलेब्रोशन में Hero पुच को मार्केट में उतार दिया जिसे खास तौर पर प्रीमियम कस्टमर्स को ध्यान में रखकर बनाया गया था|

अब Hero ग्रुप साइकल और मोपेड सेगमेंट का किंग बन चुका था मुंजाल ब्रदर्स के पास किताबी ज्ञान तो नहीं था लेकिन जिस तरीके से उन्होंने बिजनेस को एक्सपेंड किया उससे काफी कुछ सीखा जा सकता है| वह इंडिया के हर हिस्से में गए ताकि एक मजबूत डीलर नेटवर्क एस्टेब्लिश किया जा सके साथ ही ब्रीजमोहन लाल मुंजाल की पर्सनालिटी ऐसी थी कि लोग हीरो से बतौर डीलर या सप्लायर नहीं बल्कि एक परिवार की तरह जुड़ते थे|
प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए उन्होंने अपने लोगों को ही फैक्ट्री के आसपास साइकिल और मोपेड के पार्ट्स बनाने के लिए राजी किया और इसके अलावा उन्होंने दुनिया की बेहतरीन प्रैक्टिसेस को भी अडॉप्ट किया इसमें सबसे खास था टोयोटा का जस्ट इन टाइम मॉडल इसका मतलब जितना डिमांड होता उतने ही साइकिल या मोपेट के पार्ट मंगाए जाते थे|
और फेक्टरी में असेम्बल करके तुरंत डीलर्स को भेज दिए जाते थे इससे स्पेस और इन्वेंटरी मेनेजमेंट का झंझट ही ख़तम हो गया, सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन 1980 के दशक में स्कूटर्स और मोपेड्स की पॉपुलर धीरे-धीरे घटने लगी लोग अब ज्यादा किफायती और बेहतर माइलेज वाली 100 सीसी कम्यूटर बाइक्स की तरफ अट्रैक्ट हो रहे थे|
1983 में Hero के साथ Honda जुड़ा

उसी दौरान जापानी कंपनी Honda ने इंडिया में JVs के लिए इन्ट्रेस्ट दिखाया कहा जाता है की 140 कंपनी ने हौंडा Honda के साथ कोलेबोरेशन के लिए अप्लाई किया लेकिन कई महीनो के विचार और एक लम्बी सलेक्सन प्रोसेस के बाद आखिर कर 1983 में Honda ने काईनेटिक को स्कूटर्स के लिए और Hero को बाइक के लिए अपने पार्टनर के रूप में सलेक्ट किया|
इन दोनों के बीच एक म्यूचुअल एग्रीमेंट हुआ कि बाइक की टेक्नोलॉजी और इंजन Honda प्रोवाइड करेगा जबकि बॉडी Hero बनाएगी और दोनों जब तक JV में साथ रहेंगे एक दुसरे के अगेंस्ट कोई भी प्रोडक्ट लोंच नही करेंगे|
लेकिन यह एग्रीमेंट एक नॉन कॉम्पटीशन के रूप में नही था,यानि के कोई कानूनी बंधन नही थी, बल्कि यह एक एथिकल एग्रीमेंट था बृजमोहन लाल मुंजाल के बेटे रमन कांत मुंजाल को Hero-Honda की कमान सौंपी गई|
और 1985 में हरियाणा के धारूहेड़ा प्लांट में बनी Hero-Honda की पहली बाइक CD100 को इंडियन मार्केट में लॉन्च कर दिया गया (फिल इट शट इट फॉरगेट इट) इस टैग लाइन के साथ Hero- Honda ने लोगो को एक ऐसी अफोर्डेबल फ्यूल एफिसियेंट और लो मेंटेनेंस बाइक का ऑप्सन दिया जिसने मार्किट में आते ही तहलका मचा दिया|
Hero-Honda की पहली बाइक
और CD100 की सफ़लता के बाद उनकी दूसरी बाइक Hero-Honda स्लीक Sleek को मार्केट में उतारा गया फिर साल आया लिबरलाइजेशन का जहां एक तरफ बाकी सारी ऑटोमोबाइल कंपनीज विदेशी ब्रांड्स के आने से तगड़ा कंपटीशन फेस कर रही थी वहीं Hero-Honda की सेहत पर इसका कोई अशर नही पड़ा|

लेकिन एक शौक उनको तब लगा जब इसी साल अचानक रमन कांत मुंजाल की डेथ हो गई, लेकिन ब्रीजमोहन जी ने अपने दूसरे बेटे पवन मुंजाल के साथ कंपनी की बागडोर को फौरन अपने हाथ में ले लिया Hero-Honda में एक नए दौर की शुरुआत हो चुकी थी| क्योंकि पवन मुंजाल बिजनेस को डायवर्सिफाई करने के साथ ही अपने ब्रांड को तेजी से दुनिया के हर कोने में पहुंचाना चाहते थे|
फिर साल 1994 में कंपनी उस बाइक को मार्केट में लेकर आई जिसने Hero-Honda की किस्मत बदल दी, Hero Honda Splendor सेल्स इतनी तेजी से आगे बढ़ा कि साल 2001 तक Hero-Honda नम्बर वन कंपनी बन गई|
अब उपर से देखने में तो सब कुछ काफी अच्छा लग रहा था लेकिन हीरो और हौंडा के बीच सब कुछ ठीक नही था उनके बीच कुछ ऐसे मतभेद थे जो धीरे धीरे उनके रिस्तो में दुरिया बढ़ा रही थी हालाकि Hero और Honda काफी मेचियोर खिलाड़ी थे इसलिए कंपनी की ग्रोथ या सेल्स पर इसका कोई असर नही पड़ा|
Honda ने इंडियन मार्किट में आने के लिए Hero से हाथ मिलाया था
एक तरफ थी Honda दुनिया की सबसे बड़ी टूवहीलेर कंपनी जो न तो टेक्नोलोजी में किसी से पीछे थी और ना ही पैसो की कमी थी सिर्फ इंडियन मार्किट में एंटर करने के लिए उन्होंने Hero जैसे एक छोटे से साइकिल ब्रांड को सेलेक्ट किया था|

लेकिन लिबरलाइजेशन के बाद वह अकेले अपने दम पर इंडिया में बिजनेस करने के लिए आजाद थे दूसरी तरफ था Hero जिसे Honda ने ही इस मुकाम तक पहुचाया था लेकिन जब वो इंडिया के बाहर भी अपने बिजनस को एक्सपेंड करना चाहे तो हौंडा उसमे रुकावट बनने लगा|
क्योकि कुछ पडोसी देश जैसे नेपाल श्रीलंका और बांग्लादेश के अलावा Hero-Honda की बाइक को एक्सपोर्ट करने की अनुमति नही थी| इसलिए हीरो ग्रुप को लगा अगर आगे बढ़ना है तो खुद का इंजन बनना होगा|
और वो अपने प्रॉफिट का जादातर हिस्सा रिसर्च एंड डब्लप्मेंट में खर्च करने लगे यह देख कर Honda को एहसास हुआ की Hero अब उनसे अलग होने की तैयारी करने लगा है|
Hero और Honda में हुई टक्कर

फिर क्या दोनों कंपनी ने एक के बाद एक कुछ ऐसे स्टेप्स लेने शुरू कर दिए जिससे उनके बीच की दरार बढ़ती चली गई, जैसे कि साल 95 में Honda ने श्रीराम ग्रुप के साथ हौंडा Honda HSCIL Car की सुरुआत की और Honda City को इंडिया में लोंच कर दिया|
लेकीन फोर व्हीलर सेगमेंट के लिए उसने Hero ग्रुप को कंसीडर तक नही किया और बची कुची कसर 2001 में तब पूरी हो गई जब Honda ने Kinetic के साथ अपने JV को ख़तम करके Honda मोटरसाइकिल और स्कूटर्स इंडिया के नाम से एक अलग कंपनी सुरु किया|
और साल 2001 में Honda एक्टिवा को मार्किट में उतार दिया हौंडा चाहती थी की Hero अपने स्पेयर पार्ट्स को HMI के साथ मर्ज करदे लेकिन Hero ने इस परपोजल को खारिज़ कर दिया|
इसके बाद Honda अपनी डीलर और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को मजबूत करने में जुट गया और जल्द ही यूनिकॉन और हौंडा साइन जैसे बाइक को उसी प्राईज में उतार दिया जिसमे Hero-Honda की बाइक पहले से ही मौजूद थी|
जिसके जवाब में हीरो ने भी साल 2005 में एक्टिवा के खिलाफ अपनी पहली स्कूटर Hero प्लेजर को लोंच कर दिया अब इतना सब कुछ होने के बाद साथ रहना मुस्किल था|
2010 में Hero और Honda के साथ-साथ परिवार भी हुआ अलग

क्योंकि दोनों कंपनी इंडिपेंडेंस रूप से काम करना चाहती थी इसलिए साल 2010 में Heroऔर Honda ने एक दूसरे से अलग होने का ऐलान कर दिया,Hero-Honda हीरो होंडा में दोनों कंपनी के 26-26% स्टॉक थे,| जिसमें होंडा के 26% स्टॉक को खरीद कर हीरो ने कंपनी का नाम हीरो मोटोकॉर्प रख दिया |
लेकिन इस साल सिर्फ हीरो और होंडा के अलग होने का साल नहीं था बल्कि मुंजाल परिवार में भी प्रॉपर्टी का डिवीजन हुआ सबसे बड़े भाई दयानंद मुंजाल के परिवार को मजिस्टिक ऑटो मिला जो आज मोपेड के बिजनेस को बंद करके रियल एस्टेट एंड फाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट के फील्ड में इंटर कर चुके हैं|
सत्यानंद मुंजाल को Hero मोटर्स दिया गया जो आज आटोमोटिव कॉम्पोनेंट्स की एक लीडिंग कंपनी है इसके अलावा हीरो साइकिल्स को ओपी मुंजाल ने संभाल लिया और बाकी बचा हीरो मोटोकॉर्प जिसके जिम्मेदारी बृजमोहन लाल मुंजाल को दी गई|
लेकिन दोस्तों अब कहानी पूरी तरह से बदलने वाली थी, क्योंकि Hero अभी भी अपना खुद का इंजन डेवलप नहीं कर पाया था उसने Honda से अगले कुछ साल तक सपोर्ट के लिए बोला होंडा राजी तो हुआ कि साल 2014 तक वह अपना इंजन हीरो को प्रोवाइड करता रहेगा बस इसके बदले हीरो को मोटा रॉयल्टी पैय करना होगा|
हीरो को अपनी बादशाहत कायम रखने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ रहे है

साथ ही बाइक को Hero-Honda के नाम से ही बेचना होगा मूलजान साहब के सामने चुनौतियों का एक पहाड़ खड़ा था क्योंकि अगले तीन-चार सालों में ही उन्हें खुद का RND सेंटर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट और सप्लाई चैन एस्टेब्लिश करना था| लेकिन 2014 में ही राजस्थान के नीमराना में अपना पहला प्रोडक्शन यूनिट शुरू करके उन्होंने दिखा दिया कि वाकई में वह Hero है|
लेकिन अलग होने से पहले जिम Hero-Honda का इंडियन टू व्हीलर मार्केट के लगभग 55% पर कब्जा था वह अलग होते ही 45% और 20% पर आ गया लेकिन तब से लेकर आज तक हीरो के मार्केट शेयर में इतनी गिरावट है कि कभी भी Honda उनसे आगे निकल सकता है|

लेकिन आप सोच रहे होंगे कि हीरो तो आज भी नंबर वन है और स्प्लेंडर और एचएफ डीलक्स की सेल्स के आगे तो होंडा कहीं टिकता ही नहीं थोड़ा समय दीजिए और आगे के डाटा को देखिए आप समझ जाएंगे की हीरो को अपनी बादशाहत कायम रखने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़े और उनके नंबर वन की पोजीशन पर आज तलवार क्यों लटकी हुई है|
दरअसल डिवीजन के बाद हीरो का पूरा फोकस अपने हंड्रेड सीसी कंम्युटर सेगमेंट पर था क्योंकि स्प्लेंडर और पैशन जैसे पॉपुलर ब्रांड तो उनके पास थे लेकिन होंडा के रिलायबल और रिफाइंड इंजन को रिप्लेस कर पाना बहुत हीमुश्किल काम था| साथी मार्केट ट्रेंड में भी थोड़ा बदलाव देखने को मिला जब शहरों में लोगों का झुकाव 150-180 सीसी परफॉर्मेंस बाइक्स की तरफ होने लगा |
अलग होने के बाद पहली स्कूटी 2001 में आई Honda एक्टिवा

जिसका फायदा उठाया बजाज टीवीएस और होंडा ने हालांकि गांव और छोटे काशन में हीरो का दबदबा बरकरार रहा दूसरी तरफ अगर हम स्कूटर की बात करें तो होंडा Honda ने साल 2001 में एक्टिवा को लांच कर इंडियन स्कूटर मार्केट में एक नया ट्रेंड सेट कर दिया था| और कस्टमर डिमांड के हिसाब से लगातार अपग्रेड करके ऐसी ब्रांड वैल्यू क्रिएट की की आज भी इंडियन स्कूटर के 50% मार्केट पर एक्टिवा का ही दबदबा है|
इसके बाद टीवीएस जुपिटर और एंटार्क जैसे स्कूटर ने भी अच्छा परफॉर्म किया लेकिन हीरो मोटो इस सेगमेंट में भी कुछ कमाल नहीं कर पाई हीरो प्लेजर को थोड़ी बहुत सक्सेस मिली लेकिन उसके बाद माएस्ट्रो डेस्टिनी और जूम जैसे स्कूटर भी उनका मार्केट शेयर 15-20% से ऊपर नहीं ले जा सके रही बात इलेक्ट्रिक स्कूटर की तो उसमें भी हीरो मोटर काफी पीछे रह गया|
साल 2022 में उसने विडा के नाम से इलेक्ट्रिक स्कूटर लॉन्च किए थे, लेकिन तब तक ओला एथर बजाज और टीवीएस मार्केट में अपनी पकड़ बना चुके थे| आप सोच रहे होंगे कि Hero ने तो ऑप्टिमा फोटोंन और Hero फ्लैश के नाम से सबसे पहले अपने इलेक्ट्रिक स्कूटर लॉन्च किए थे|
जी हां हीरो ने इलेक्ट्रिक स्कूटर लॉन्च किए थे, लेकिन वह बृजमोहन लाल मुंजाल की हीरो मोटोकॉर्प से अलग है, दरअसल 2007 में सत्यानंद मुंजाल के बेटे नवीन मुंजाल ने हीरो इलेक्ट्रिक पुलिस एस्टेब्लिश किया था उन्हें फर्स्ट मूवर होने का फायदा भी मिला और 2010 तक 60-70% मार्केट पर उनका ही राज़ था|
2020 में Hero को एक बड़ा झटका लगा

लेकिन फैमिली डिवीजन के वक्त एक एग्रीमेंट हुआ था कि हीरो मोटो हीरो के नाम से इलेक्ट्रिक सेगमेंट में नहीं उतरेगा लेकिन कुछ ऐसे इंसिडेंट हुए की 2020 आते आते हीरो इलेक्ट्रिक मार्केट से लगभग गायब हो गया और इस सेगमेंट के पोटेंशियल को देखते हुए हीरो मोटो ने विडा के नाम से अपने इलेक्ट्रिक स्कूटर को लांच कर दिया|
लेकिन इन सबके बावजूद हीरो को एक और बड़ा झटका लगा 2020 में जब गवर्नमेंट ने bs6 एडमिशन नॉर्मलस को लागू किया बड़ी मेहनत से तो हीरो ने अपना इंजन डेवलप किया था जिसमें फिर काम करने की जरूरत पड़ गई और उनकी जो i3s और एक्सचेंज टेक्नोलॉजी लोगों का भरोसा जीतना अभी शुरू ही की थी उस पर भी काफी नेगेटिव असर पड़ा|
वजह यह था कि जहां एक तरफ स्प्लेंडर और एचएफ डीलक्स जैसे पॉपुलर बाइक के दाम में 5 से 10000 का इजाफा हो गया वहीं दूसरी तरफ इंजन के पावर एंड परफॉर्मेंस में भी कमी महसूस हुई इंजन पहले जैसा स्मूथ नहीं रहा और थ्रोटल रिस्पांस में भी कमी देखने को मिली|
यह सारे रीजंस काफी थे हीरो मोटोकॉर्प की सेल्स को नीचे ले जाने के लिए और आज की बात करें तो Hero और Honda के बीच सेल्स का फासला इतना कम हो गया है कि, अगर जल्द ही होंडा हीरो से आगे भी निकल जाए तो हैरानी नहीं होगी|
Hero ने Harley डेविडसन के साथ कोलेब किया है

क्योंकि जिस Hero का मार्केट शेयर 45% था वह 2024 के सेल्स डाटा के हिसाब से 31% पर आ गया है| जबकि होंडा 20% से बढ़कर लगभग 30% मार्केट पर कब्जा कर चुका है | लेकिन जिस हीरो को नंबर वन पर रहने की आदत हो वह हार कैसे मान सकता है|
Hero ने इन सारे ईशूज को बारीकी से एनालाइज किया है और इसे सॉल्व करने के लिए के लिए RND में बड़ी तेज़ी से काम हो रहा है,परफोर्मेंस बाइक के लिए RND में भारी निवेश करके एक्सपल्स एक्सट्रीम और करिज्मा जैसे मॉडल लॉन्च किए गए हैं| ताकि पल्सर और अपाची को कड़ी टक्कर दी जा सके और एक कदम आगे बढ़ कर Hero ने Harley डेविडसन के साथ कोलेब किया है|
ताकि प्रीमियम सेगमेंट में भी अपनी पकड़ मजबूत बना सके और अगर EV सेगमेंट में भी विडा की एन्ट्री हो जाये तो गलत नही होगा 2024 में टोटल टूव्हीलर्स की सेल्स करीब 18 मिलियन रही जिसमें से सिर्फ 56% इलेक्ट्रिक स्कूटर थे| और इस सेगमेंट में विडा ने 2023 के मुकाबले 355 परसेंट की ग्रोथ दर्ज करते हुए 55 हजार से भी ज्यादा स्कूटर सेल किए हैं|

आज एधर एनर्जी में भी Hero का 40% स्टेक है साथी बाइक के परफॉर्मेंस रिलेटेड इश्यूज को काफी सुधार कर हीरो अपने सेल्स एंड सर्विस को पहले से बेहतर बनाने पर ध्यान दे रही है| हमें उम्मीद है कि अगले कुछ क्वार्टर्स में यह सारे एफड्स उनके बैलेंस शीट में साफ तौर पर नजर आएंगे|
इंडिया की टू व्हीलर इंडस्ट्री ने पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन किया है| चाहे वह हीरो बजाज टीवीएस हो या रॉयल एनफील्ड एक हेल्थी कंपटीशन हमेशा देश की इकोनॉमी औरकंज्यूमर्स के लिए फायदेमंद साबित होता है|