राजा और रैंचो वाले ‘राजा’ वेद थापर की कहानी, कहा गए ये दोनों

शक्तिमान जैसे सुपर हीरो का जब उदय हुआ तब एक सीरियल राजा और रैंचो को भी बच्चों और युवाओं ने काफी पसंद किया|

90 के दशक का दूरदर्शन अपने आप में बड़ा अनोखा था| उस दौर में टेलीविजन पर तरह-तरह के एक्सपेरिमेंट्स किए जा रहे थे| तमाम प्राइवेट टीवी चैनल्स के साथ-साथ दूरदर्शन पर भी विभिन्न विषयों वाले टीवी शोज प्रसारित हो रहे थे|

उन्हीं में से एक था राजा और रैंचो जिसमें लीड रोल में थे एक प्राइवेट डिटेक्टिव और उनका साथी बंदर हिंदी सफ़र आज आपको राजा और रैंचो के राजा यानि एक्टर वेद थापर की कहानी बताएगा |

वेद थापर एक्टिंग जगत में कैसे आए और एक्टिंग के अलावा वह और किन चीजों के लिए मशहूर है|

Credit @Meerut Manthan

वेद थापर एक्टर कैसे बने

राजा और रैंचो इसी सीरियल से अभिनेता वेद थापर मशहूर हो गए, इस शो में वो राजा नाम के प्राइवेट डिटेक्टिव बने थे जो अपने मंकी दोस्त रेंचो के साथ मिलकर मर्डर मिस्त्री सुलझाते थे| उस दौर के बच्चों ने और बड़ों ने भी डिटेक्टिव राजा और मंकी रैंचो को खूब पसंद किया|

और यह कार्यक्रम इतना ज्यादा लोकप्रिय हुआ की आज भी इसे युटुब पर देखा जाता है| मगर क्या आप जानते हैं की राजा बने वेद थापर का परिचय सिर्फ इतना ही नहीं है| अपने हुनर और काबिलियत का लोहा उन्होंने टीवी और फिल्मों में तो मनवाया ही, साथ ही अपने सोशल कामो के जरिये आज भी काफी लोकप्रिय हैं|

ऐसा लगता है जैसे उनके खून में ही देश भक्ति और सेवा भाव कूट-कूट कर भारा हुआ है| देश भक्ति का जोश और जज्बा पिता से मिला, पिता प्रकाश थापर एक स्वतंत्रता सेनानी थे| और शास्त्रीय संगीत में पारंगत भी थे| यही वजह है की वे थापर खुद भी बहुत सारे म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाते हैं|

और गाने भी लिखने हैं, उनके लिखे गीत कैलाश खेर और शान निगाहें हैं| बात है आज एक ऐसे अभिनेता की जो उन चंद बड़े एक्ट्रेस में से एक है| जो एक्टिंग के अलावा अपने शानदार सामाजिक कामो के लिए जाने जाते हैं|

फिल्मी दुनिया में भी उन्होंने खूब दौलत कमाई मगर उस दौलत से वो अब सबका भला कर रहे हैं| वेद थापर एक NGO चलाते हैं| जिसका नाम है हमआवाज इसके जारी वो लोगों को डिजास्टर मैनेजमेंट और रोड सेफ्टी जैसे मामलों पर ट्रेनिंग देते हैं|

वेद थापर एक एन.जी.ओ चलाते है

अब तक 20000 से ज्यादा बच्चों को ट्रेनिंग दे चुके हैं| वह भी बिल्कुल मुफ्त समाज के निचले तबके की मदद का जज्बा इन में हमेशा से ही रहा है| मुंबई की झुग्गी झोपड़िया के लोगों में और खास तोर पर बच्चों में इन्होंने देशभक्ति की भावना जगाए रखने के लिए काफी काम किया|

Credit @Navbharat Times-Indiatimes

और आज भी कर रहे हैं, लेकिन जो सबसे शानदार काम वेद थापर करते हैं वो ये की वो झुग्गी झोपड़ी के बच्चों को नसे की बुरी लत से बचाने के लिए जागरूक करते हैं| जिस तरह सोनू सूद को उनके सामाजिक कामो और गरीबों के मदद के लिए जाना जाता है, उसी तरह इनको भी पहचाना जाता है|

वो होम्योपैथी के मशहूर डॉक्टर हैं| अभिनेता है, संगीतकार हैं, गायक हैं, और गीतकार भी हैं इससे पहले की हम आपको वेद थापर के फिल्मी सफर पर लेकर चलें उससे पहले नजर डालते हैं इनके सोशल काम और निजी जिंदगी पर |

बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉक्टर वेद थापर ने जो जो समाज के लिए किया और कर रहे हैं उनकी तारीफ के लिए शब्द कम पड जाते हैं| वेद थापर का जन्म 10 मार्च 1970 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हुआ था| पिता राम प्रकाश थापर एक स्वतंत्रता सेनानी थे| और शास्त्रीय संगीत में पारंगत थे|

देश को मिली आजादी के बाद जब बटवारा हुआ तो इनके पिता भी पेशावर में मौजूद अपना घर बार छोड़कर भारत आ गए और उत्तर प्रदेश के मेरठ में आकर बस गए थे| वेद थापर की पैदाइश मेरठ में ही हुई थी| इनकी पढ़ाई लिखी भी मेरठ से ही हुई समाज सेवा और देशभक्ति का जज्बा उन्हें अपने पिता से विरासत में मिला|

थिएटर की दुनिया में बहुत नाम कमाया

उनके घर का माहौल ही कुछ ऐसा था छोटी उम्र से ही अपने पिता से देश भक्ति और क्रांतिकारी के किससे सुने इसलिए बचपन से ही देश सेवा करने की ठान ली थी| कला से इनके परिवार का गहरा ताल्लुक रहा है| तो इनके घर वालों ने अपना एक थिएटर ग्रुप भी बना लिया था|

Credit @Facebook

महज़ ढाई साल की उम्र में वेद ने अपना पहला स्टेज शो किया जिसमें उन्होंने एक कविता का पाठ किया था और उन्हें खूब तालियां मिली थी| एक बार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ तो यह भगत सिंह बनकर मेरठ से दिल्ली तक यात्रा करने निकल पड़े|

तब दिल्ली में इनकी मुलाकात शहिद भगत सिंह की सगी मौसी से हुई थी| और उन्होंने वेद थापर को देखकर कहा था की तू तो सचमुच भगत सिंह लगता है| उस दिन से ही वेद थापर शहिद भगत सिंह की शख्सियत से बहुत प्रभावित रहने लगे|

यहां तक की वह अपना पूरा नाम वेद थापर नहीं वेद भगत सिंह लिखते हैं| भगत सिंह की शख्सियत का प्रभाव वेद थापर कुछ इस तरह हुआ था| की मेरठ में रहने के दौरान जब ये थिएटर किया करते थे तो भगत सिंह के जीवन के किस्सो पर यह जरूर कोई ना कोई प्रस्तुति देते रहते थे|

इनके फिल्मों में एंट्री करने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है| क्योंकि इन्हें एक दोस्त ने ऑडिशन के लिए जबरदस्ती बुलाया था| इनका दोस्त तो सिलेक्ट नहीं हुआ, मगर यह हो गए इसके पीछे की दिलचस कहानी आपको बताते हैं|

थिएटर से टीवी और फिल्मो तक का सफ़र

मेरठ में यह IPTA इप्टा यानी इंडियन पीपल्स थिएटर एसोसिएसन संगठन से जुड़ गए थे| और रंगमंच में बराबर हिस्सा लेते रहते थिएटर करने के दौरान वेद थापर को बड़े और नामी थिएटर आर्टिस्ट के साथ काम करने का मौका मिला था|

Credit @Youtube

और फिर मुंबई में एक ऐसा इवेंट आयोजित हुआ जिसमें वेद थापर को थिएटर की दुनिया से फिल्मों की तरफ लाने का काम कर दिया | थिएटर के दीनों में ही महापुरुषों के जीवन से प्रेरित होकर उन पर नाटक बनाते थे| और परफॉर्म करते थे|

इसी बीच इंडियन मोशन पिक्चर्स एसोसिएसन संगठन यानी IMPA इंपा ने टैलेंट हट का आयोजन मुंबई में किया वेद थापर को भी इंपा का ऑफर लेटर मिला था| वेद थापर को यह ऑफर लेटर मिलने की कहानी भी बडी दिलचस्प है|

थिएटर करने के दौरान इनकी पढ़ाई भी चल रही थी| इंपा ने जब देश भर में अपने टैलेंट हट का विज्ञापन दिया तो वेद के दोस्त ने इनसे कहा की इन्हें भी टैलेंट हट में हिस्सा लेना चाहिए| मगर यह सोचकर की माता पिता जाने नहीं देंगे, इन्होंने माना कर दिया|

इनके उस दोस्त ने जबरदस्ती इनका फॉर्म भरकर इंपा को भेज दिया| और किस्मत का खेल कुछ ऐसा रहा की जीस दोस्त ने वेद थापर का फॉर्म भारत था उसका सिलेक्शन तो नहीं हुआ पर वेद थापर सिलेक्ट हो गए|

दिनेश ठाकुर ने कई मुश्किल सवाल किए

यह उनके लिए बहुत बड़ी अपॉर्चुनिटी थी| क्योकि इम्पा ने उन दिनों 5 हजार लोगो को मुम्बई बुलाया था, और लास्ट में केवल 33 लोग चुने गए, वेद भी उन्हें 33 में से एक थे| इसके बाद उन्हें टीवी और फिल्मों में काम करने के ऑफर्स मिलने लगे|

Credit @जनचौक

मगर वो सब साइड रोल के ही थे, इन्होंने फैसला किया की टीवी या फिल्मों में छोटे रोल करने से अच्छा है की वो थिएटर ही करते रहे| और फिर उन्होंने ऐसा ही किया वो थिएटर में काम करने का फैसला तो कर चुके थे|

लेकिन यह भी कोई आसन काम नहीं था एक सही प्लेटफॉर्म कैसे हासिल किया जाए ये चुनौती अभी उनके सामने खड़ी थी| एक दिन मुंबई में फिल्म सिटी में थे इत्तेफाक से जैकी श्रॉफ की फिल्म पाले खान के सेट पर इनकी मुलाकात मशहूर थिएटर आर्टिस्ट दिनेश ठाकुर जी से हुई|

जो की पाले खान में एक अहम रोल निभा रहे थे| लंच ब्रेक में वेद ने दिनेश ठाकुर से बात की और उनके साथ थिएटर करने की गुजारिश की शुरू में तो दिनेश ठाकुर ने कई मुश्किल सवाल किए मगर बाद में वो मान गए |

और इन्हें अपने नाटक तुग़लक़ में काम करने का मौका दे दिया इस नाटक में इन्हें नायाब सूबेदार का एक बेहद अहम किरदार दिया गया वेद ने तुगलक नाटक में इतना शानदार काम किया की हर कोई इनके अभिनय का मुरीद होता चला गया|

इसके बाद एक के बाद एक कई सारे नाटक किया कन्यादान नाम के नाटक के तो 1200 से ज्यादा शो किए यह नाटक हिंदी अंग्रेजी और उर्दू भाषा में थे| मगर दिनेश ठाकुर की मौत के बाद यह टीवी में व्यस्त हो गए और कुछ फिल्में की |

अपनी पहली फिल्म लव लव लव में नज़र आए

मुम्बई में रहने के दौरान जब वेद थापर थियेटर की दुनिया में मशहूर होने लगे तो इन पर फिल्म जगत के लोगों की नजरे भी जाने लगी एक दिन पृथ्वी थिएटर में मन्नू भंडारी के लिखे महाबोश नाम के नाटक में यह परफॉर्म कर रहे थे|

Credit @Amar Ujala

इत्तेफाक से उस नाटक को देखने उस ज़माने की बड़ी अभिनेत्री दीप्ति नवल भी आ गई और दीप्ति को इनकी एक्टिंग बहुत बढ़िया लगी| इसके बाद ही इन्हें सुभाष घई की फिल्म सौदागर में वेद थापर को राजकुमार की जवानी के दोनों का रोल मिला था|

सौदागर फिल्म के बाद इनका नाम हुआ और दूरदर्शन के कुछ बढ़िया और बड़े शोस में भी काम करने का मौका मिल गया| उस जमाने में दूरदर्शन के दोपहर के स्टॉल में आने वाले लगातार टीवी शोस में वेद थापर नजर आते थे|

वेद थापर के राजा और रैंचो को कौन भूल सकता है| 90 के दशक में दूरदर्शन के सबसे लोकप्रिय शो में से ये एक हुआ करता था|

राजा और रैंचो के अलावा भी इन्होंने कई बड़ी फिल्मों और टीवी शो में काम किया है|

वो गली बाय में एक शराबी के किरदार में नजर आए थे वेद थापर अभी फिल्मों से दूर नहीं हुए हैं| कभी कभी वो किसी फिल्म में नजर ए जाते हैं|

भले ही वह फिल्मों में अब कम नजर आते हो मगर समाज के लिए जो कुछ कर रहे हैं उसके लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए वो कम है|

राजा और रैंचो क्यों बंद हो गया

यूं तो बहुत से शो हिट होते हैं, और हिट होते रहेंगे लेकिन कुछ शो ऐसे हैं| जो हमारे दिलों में कभी ना भुला पाने वाली छाप छोड़कर चले जाते हैं| साल 1997 में दूरदर्शन पर एक शो आता है जिसमें एक जासूस अपने तेज दिमाग से बड़े से बड़े उलझे हुए केस को सुलझा देता है|

Credit @Youtube

लेकिन इस शो में कुछ ऐसा था जो पहले कभी टीवी इंडस्ट्री में नहीं हुआ था| एक जासूस जिसका नाम राजा होता है| उसके साथ उसका एक दोस्त भी होता है जो केसों को सुलझा है| और उसका नाम है रेंचो मजे की बात ये थी कि रेंचो कोई इंसान नहीं एक बंदर था|

दूरदर्शन पर इस शो ने कई रिकॉर्ड बनाए, और कई रिकॉर्ड तोड़ डाले, वेद थापर डिटेक्टिव राजा के किरदार में खूब जमते हैं| और जिस बंदर को रैंचो के लिए चुना गया वो कोई ऐसा वैसा नॉर्मल बंदर नहीं बल्कि एक ट्रेंड बंदर था|

जो सभी इंसानी इशारों को समझ सकता था हावभाव को महसूस कर सकता था| इतना ही नहीं कुछ हद तक इंसानी भाषा भी समझ सकता था| राजा और रैचो उसके कंधे पर बैठा रैंचो बिल्कुल वैसे ही लोगों के दिलों में राज करने लगे जैसे एक वक्त में चाचा चौधरी और साबू राज किया करते थे|

राजा और रेंचो शो में कई पेचीदा केस थे जिसे राजा और रेंचो अपनी अकल और सूझबूझ से सुलझा लेते थे| धीरे-धीरे ये शो लोगों को पसंद आने लगा और दूरदर्शन पर यह शो प्राइम टाइम यानी रात 8:00 से 10 के बीच में प्रसारित होता था|

राजा और रैंचो, कहां गए ये दोनों एक्टर

इसीलिए लोगों के पास इस शो के लिए टाइम ही टाइम था| इस शो में रेंचो का किरदार निभाने वाले बंदर ने अपनी अदाकारी से शो में चार चांद लगा दिए| उसने जिस तरीके से काम किया उसने शो को टॉप टीआरपी शो के लिस्ट में प

अब इस शो को लोग सिर्फ रेंचो और उसके अदाकारी के लिए देख रहे थे| इस शो से रेंचो ने सबका दिल जीत लिया| यह शो पूरा एक साल चला और उसने दूरदर्शन पर राज किया| लेकिन अचानक यह शो का टेलीकास्ट रुक गया| और अब लोग इस शो के फैन बन चुके थे|

Credit @Dailymotion

अब लोग इस शो को हर हाल में देखना चाहते थे, लेकिन राजा और रेंचो कभी टीवी पर वापस नहीं लौटे, हालांकि दूरदर्शन पर इसके रिपीट टेलीकास्ट किए गए लेकिन राजा और रेंचो दोबारा वापस नहीं आए इसके बाद राजा का किरदार निभाने वाले वेद थापर ने कुछ फिल्मों और टीवी शो में अपने करियर को आजमाया|

लेकिन उनका चेहरा इतना फेमस हो चुका का था कि, वो अब किसी रोल में फिट नहीं बैठ रहे थे| सब उनको राजा के नाम से ही जानते थे| ऐसा नहीं है कि उन्हें काम नहीं मिला उनकी पॉपुलर गजब की थी|

और कई डायरेक्टर प्रोड्यूसर उन्हें साइन करने के लिए आए फिल्म बनी लेकिन वेद थापर के काम को कहीं पहचान नहीं मिल पाई| और धीरे-धीरे वो वक्त भी आ गया जब इन्हें काम मिलना पूरी तरह बंद हो गया| ये फिल्मी और टीवी दुनिया से पूरी तरह गायब हो चुके थे|

रेंचो का किरदार निभाने वाला बंदर भी धीरे-धीरे गायब हो गया और आज ये दोनों कहां है यह कोई नहीं जानता| लेकिन राजा और रेंचो आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा हैं| और हमेशा जिंदा रहेंगे|

Riyajuddin Ansari
Riyajuddin Ansari
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