आईपीएल कैसे पैसे कमाता है ये जानने से पहले आपको सबसे पहले ये बता दे की IPL के शुरू होने से एक साल पहले आईसीएल ICL की स्थापना की गई थी। जिसका फुल फॉम इंडियन क्रिकेट लीग (Indian Cricket League) था और ये प्राइवेट कंपनी के द्वारा शुरू किया गया था।
बीसीसीआई (BCCI) नही चाहती थी, की कोई ऐसी क्रिकेट लीग चले जो उनके कंट्रोल में ना हो। फिर 13 सितंबर 2007 में BCCI ने अपना एक टूर्नामेंट एनाउंस किया इंडिया प्रीमियर लीग (Indian Premier League IPL )। उस समय BCCI के मुख्य वाइस प्रेसिडेंट थे ललित मोदी (Lalit Modi) जिनके नेतृत्व मै ये पूरा टूर्नामेंट ऑर्गनाइज किया गया था। उन्होंने कहा कि इन्होंने ICL से कोई इंस्पीरेशन नही ली है, ये आइडिया इनको काफी टाईम से आ रहा था।
अप्रैल 2008 मे पहला सिजन खेला गया और आईपीएल के रूल मै ये भी जोड़ा गया की आईपीएल मै खेलने वाला खिलाडी ICL मै नहीं खेल सकता जिसकी वज़ह से धीरे धीरे ICL टूर्नामेंट खत्म हो गई। 2009 में आख़िरी सीजन खेला गया ICL का।
IPL का बिजनेस समझना है तो ये समझना होगा की BCCI का क्या रोल है

आईपीएल की गवर्निंग बॉडी आज के दिन बीसीसीआई (BCCI) है। अगर ICL जैसा टूर्नामेंट चल गया होता तो, वो गवर्निंग बॉडी आज के दिन ZEE एंटरटेनमेंट कंपनी होती। अब ऐसा नहीं के बीसीसीआई (BCCI) एक प्राइवेट कम्पनी नही है। BCCI को भी एक प्राइवेट एंटिटी (Private Entity) माना जाता है।
ये एक बड़ा रोचक फेक्ट है। बहुत से लोगों को लगता है कि बीसीसीआई (BCCI) एक सरकारी एजेंसी है। लेकिन बीसीसीआई पर सरकार का कोई कन्ट्रोल नही है।
IPL के बिजनेस मॉडल के मुख्य स्रोत क्या है ?
- ब्रॉडकास्टर (Broadcasters)
- स्पॉन्सर (Sponsor)
- IPL टीम स्पोंसर्स (IPL Team Sponsors)
1 . ब्रॉडकास्टर (Broadcasters)

आईपीएल का पहला और सबसे बड़ा कमाई का ज़रिया है ब्रॉडकास्टर को राइट्स देना। अब आईपीएल (IPL) किसी ना किसी TV चैनल पर ब्रॉडकास्ट किया ही जायेगा, आईपीएल बहुत लोकप्रिय होने की वजह से हर TV चैनल चाहता की मेरे चैनल पर आईपीएल (IPL) ब्रॉडकास्ट किया जाए ताकि और व्यूअरशिप मिल सके इसलिए BCCI ये ब्रॉडकास्टिंग राइट्स देता है पैसे के एक्सचेंज में TV चैनल को। आईपीएल के पहले 10 सालो के लिए SONY के पास ये मिडिया राइट्स था जो की 2008 से लेकर 2017 तक था।
इन्होंने टोटल 8 हज़ार 200 करोड़ मै ब्रॉडकास्टर राइट्स खरीदने के लिए खर्च किए थे। लेकिन फिर साल 2018 मे Star Sport ने इसके राइट्स 16 हज़ार 400 करोड़ रुपए में ख़रीद लिए अगले 5 सालों के लिए और यहां भी जो पैसा आता है वो बीसीसीआई (BCCI) आधा अपने पास रख लेता है और आधा टीम को दे देता है।
2 . स्पॉन्सर (Sponsor)

आईपीएल के तीन मे से दूसरा रेवेन्यू सोर्स है स्पॉन्सर्स, जो की पैसा देते है बीसीसीआई (BCCI) को। आपको याद होगा एक टाईम पर इसे कहा करते थे , DLF आईपीएल, Pepsi आईपीएल, VIVO आईपीएल और आज के दिन इसे कहते है TATA आईपीएल।
जिस ब्रांड नाम आईपीएल के पहले इस्तेमाल किआ जा रहा है उसे टाईटल स्पॉन्सर कहा जाता है। ये ब्रांड्स बहुत सारा पैसा देते हैं टाईटल स्पॉन्सर बनने के लिए। शुरुआत में आईपीएल के पहले 5 सीजन्स में DLF टाईटल स्पॉन्सर रहा था और इसकी फीस थी 40 करोड़ थी। जो की हर साल उन्हें बीसीसीआई को देने पड़ते थे।
उसके बाद PEPSI स्पोंसर बना आईपीएल का 79 करोड़ हर साल के अमाउंट पर। VIVO 2016-17 में 100 करोड़ रुपए मै और फिर 2018 से 2019 में 440 करोड़ हर साल। 2020 में टाईटल स्पॉन्सर Dream11 था, उसके बाद वीवो वापस आ गया था 440
करोड़ में।
इस साल 2024 मै TATA आईपीएल का टाईटल स्पॉन्सर है, 330 करोड़ रुपए में स्पोंसर बने है लेकिन ये VIVO जितना हाई नही है। टाईटल स्पॉन्सर से जो पैसा मिलता है, बीसीसीआई (BCCI) उसमे से 50 प्रतिशत अपने पास रख लेते हैं और बाकी 50 प्रतिशत टीम को दे देते हैं।
TATA ने 2 साल का कॉन्ट्रैक्ट साइन कर रखा है, इसका मतलब अगले साल भी टाटा ही रहेगा आईपीएल का स्पॉन्सर।
ऑफिशियल स्पॉन्सर्स के अलावा कुछ ब्रांड्स जो IPL की अलग अलग चीज़ों को स्पॉन्सर करती है , जैसे कि CEAT टायर्स जिसने स्ट्रेटजी ब्रेक को स्पॉन्सर कर रखा है। CEAT टायर ने 30 करोड़ रुपए पे दिए है आईपीएल मै स्ट्रेटजी टाईम आउट की स्पोंसरशिप के लिए।
आपने ये भी सुना होगा कि कमेंट्री मे बोला जाता है CRED पॉवर प्ले चल रहा है, यहां पर CRED ने स्पॉन्सर किया है। ऐसी कई कम्पनी है जो अलग अलग तरीके से स्पॉन्सर कर रही हैं और इसका टोटल किया गया है जो की 210 करोड़ रुपए है जो सिर्फ बीसीसीआई (BCCI) की अपनी कमाई है बाकी टीम को देने के बाद।
3. IPL टीम स्पोंसर्स (IPL Team Sponsors)

एक आईपीएल टीम का खर्चा 200 करोड़ के आसपास होता है और ये सब पैसा आईपीएल टीम के मालिक अपनी जेब से खर्च नही करते। तो फिर इन्हें ये पैसा मिलता कहा से है, इनका भी मेन ज़रिया है टीम स्पॉन्सर्स (Team Sponsors) जिसके द्वारा ये पैसे का इंतेज़ाम करते है।

वो ब्रांड्स जो आईपीएल की जर्सी पर स्पॉन्सर्स होते है। एक एवरेज आउटफिट पर 10 ब्रांड लोगो लगे होते है। 6 जर्सी पर 2 लोअर पर और 2 उनकी टोपी पर, ये सब ब्रांड्स आईपीएल टीम को पैसा देते हैं, यहां पर स्पॉन्सर करने के लिए इसके अलावा स्टेडियम में जब हम मैच देखने जाते है तो जो टिकट खरीदते है मैच देखने के लिए, यहां से जो पैसा आता है इसका भी 80 प्रतिशत जाता है आईपीएल टीम को। जिस स्टेडियम में मैच होता है उसकी होम टीम के पास ये पैसा जाता है।
बाकी 20 प्रतिशत पैसा जाता है, होम स्टेट क्रिकेट असोसिएशन के पास, हर टीम कम से कम 7 होम मैच खेलती हैं। और फिर अंत में आता है प्राइज मनी 20 करोड़ रुपए का ईनाम जो भी टीम इस सीज़न में आईपीएल को जीतेगा इसके अलावा जो रनर अप (Runner Up) टीम होगी जो फ़ाइनल हरेगी उन्हें भी 13 करोड़ रूपए मिलेगा।
जो टीम क्वालिफाइड 2 मैच हरेगी उन्हें 7 करोड़ मिलेंगे और जो टीम एलिमिनेटर मैच मै हारती है उन्हें 6.5 करोड़ रुपए मिलता है। ये जो प्राइज मनी होता है इसका आधा पैसा जाता है टीम के मालिक के पास और बाकी आधा पैसा जाता है टीम के खिलाड़ीयो के पास।
खिलाडियों में बराबर बांट दिया जाता है, तो ये है पूरी समरी आईपीएल के बिज़नेस मॉडल की। अगर आप ऐसे ही इन्फोर्मटिवे इंटरेस्टिंग आर्टिकल पड़ना चाहते है तो हमारे और भी आर्टिकल पड़े।
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