Rohit Sharma: रोहित शर्मा भारत के सबसे पसंदीदा क्रिकेटर कैसे बने?

घुटने के बल पहाड़ जैसी सीढ़ियां चढ़ने वाला इंसान भी अगर आखिरी सीढ़ी पर फिसल जाए तो बहुत मुश्किल होता है| फिर से उठ पाना और कुछ जिद्दी लोग ऐसे भी होते हैं, जो उठते हैं और फिर कोहनियों के बल रेंगते हुए वापस उसी ऊंचाई पर पहुंच जाते हैं|

जहां से तकदीर ने उन्हें धक्का देकर गिराया था और जब कोई ऐसा करता है, तो तकदीर के भी पांव उखड़ जाते हैं और वह रास्ता छोड़कर कहती है कि जा लेजा जो तुझे लेना है| क्योंकि जिसने मुझे रास्ते से हटने पर मजबूर कर दिया उसका रास्ता दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती ऐसा ही एक सूरमा है योद्धा है और है वह मुंबई का राजा जिसे दुनिया  Rohit Sharma और हिटमैन बुलाती है|

आखिर कौन है Rohit Sharma रोहित शर्मा वह इंसान है जिसका नाम क्रिकेट के भगवान सचिन रमेश तेंदुलकर ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में 11 साल पहले ले लिया था|

Rohit Sharma वो है जिसके बारे में क्रिकेट की दुनिया के किंग विराट कोहली कहते हैं कि एवरीवन सेड यार ये एक प्लेयर आ रहा है ये एक प्लेयर आ रहा है तो बड़ी क्यूरियोसिटी थी कि यार यंग प्लेयर तो हम भी हैं ऐसा कौन सा प्लेयर आ रहा है यार हमारी कोई बात ही नहीं कर रहा पर जब मैंने पहली बार रोहित शर्मा को बल्लेबाजी करते हुए देखा तो चुपचाप उसे खेलते ही देखता रहा|

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Rohit Sharma वह है जिसके बारे में मैथ्यू हेडन ने एक बार कहा था कि रोहित शर्मा वो बैट्समैन है जिसे खेलते देखने के लिए मैं पैसे दे सकता हूं| और रोहित शर्मा वो भी है जिसने वनडे में चार साल के अंदर तीन दोहरे शतक मारे जबकि पहला दोहरा शतक लगने में लगभग 40 वर्ष लग गए| पर रोहित शर्मा से रोहित हिटमैन शर्मा बनने का सफर एक दिन का नहीं है|

कई सालों की तपस्या का फल है Rohit Sharma और तपस्या का असली फल मिला 29 जून की उस रात को जब इंडिया ने साउथ अफ्रीका को हराकर टी20 वर्ल्ड कप अपनी झोली में रख लिया|  Rohit Sharma जमीन पर सर रखकर अपने हाथ को जमीन पर ऐसे मार रहे थे मानो व खेल के मैदान से यह कह रहे हो कि मैंने कहा था ना मैं वापस आऊंगा देख मैं वापस आया और वह लेकर जा रहा हूं जिस पर सदैव मेरा ही अधिकार था|

पिच की मिट्टी से घास उठाकर खाते हुए Rohit Sharma मानो यह कह रहे थे कि मुझे याद है 19 नवम्बर की वो काली रात जब मैं तकदीर से हार गया था| देख आज कैसे उसी तकदीर के जबड़े से जीत छीन कर लाया हूं, जो इंसान साथियों शादी की अंगूठी घड़ी मोबाइल पर्स पासपोर्ट और जेब में रखा टोंस का सिक्का तक भूल जाता था| उसे 19 नवंबर 2023 वर्ल्ड कप फाइनल की हार याद थी|

उस फाइनल की हार ने उसे ऐसा जख्म दिया और व इसे तब तक नहीं भूल सका जब तक ऑस्ट्रेलिया को उसी तरह हराकर वर्ल्ड कप से बाहर नहीं करते, जीत के बाद Rohit Sharma देश का तिरंगा झंडा लेकर मैदान में उतरे और जय शाह का वो वादा पूरा किया जो उन्होंने रोहित पर भरोसा करके देशवासियों से किया था कि रोहित शर्मा की कप्तानी में हम 29 जून को बारबाडोस में झंडा गाड़ने वाले हैं|

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और Rohit Sharma ने 29 जून को बारबाडोस में झंडा गाड़ दिया रोहित गुरुनाथ शर्मा कैसे डोंबीवली से चलकर बोरीवली की गलियों से होते हुए आज क्रिकेट की सबसे ऊंचे शिखर पर पहुंच गए| लेकिन सबसे पहले 29 जून की उस रात को जब पूरा देश आतिशबाजी की रोशनी से भर गया|

जैसे ही भारत ने वर्ल्ड कप जीता हार्दिक पांड्या जमीन पर बैठकर बच्चों की तरह रोने लगे वही हार्दिक पांड्या साथियों जिस पर इल्जाम लगाया गया रोहित की गद्दी छीनने का जिसे पिछले छ महीने से पूरा देश गालियां दे रहा था ट्रोल कर रहा था छपरी तक बुला रहा था जिसके मैदान में कदम रखते ही हर तरफ से हूटिंग शुरू हो जाती थी लेकिन वह तब नहीं रोया पर आज रो रहा था|

खुशी के आंसू थे आज वो पूरे देश का हीरो बन चुका था| उसके आंखों से आंसू तब निकले जब उस Rohit Sharma ने उसे गले लगा लिया और चूम लिया जिस रोहित शर्मा की पीठ में छुरा घोपने का इल्जाम देकर दुनिया उसे 6 महीने से गद्दार बुला रही थी| आज Rohit Sharma की नजर में हार्दिक पांड्या महान बन चुके थे|

मैदान के एक तरफ वो बुमरा अपने घुटनों पर बैठा हुआ था जिसे दुनिया ने वर्ल्ड के बेस्ट फास्ट बॉलर का ताज पहना रखा था| पर एक दाग बुमरा के माथे पर भी था| कि बेस्ट बॉलर होने का फायदा ही क्या अगर अपनी टीम को कभी ना जिता पाए बुमरा को भी शायद वो वक्त याद आ रहा था जब चैंपियंस ट्रॉफी 2017 के फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ एक नो बॉल की वजह से उसके ही देश के लोगों ने उसका मजाक बना दिया था|

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यहां तक कि जयपुर की ट्रैफिक पुलिस ने बुमरा को ट्रोल करने वाले होल्डिंग्स पूरे शहर में लगा दिए आज उसी बुमरा ने अपने ताज की सही कीमत अदा कर दी साथियों टी-20 वर्ल्ड कप में बुमरा की इकॉनमी इतनी थी जितनी 90 के दशक में गेंदबाज वनडे में भी दर्ज नहीं करा पाते थे|

द्रविड़ के चेहरे पर चमक साफ झलक रही थी| क्योंकि 39 साल के क्रिकेट के सफर की थकान आज पूरी तरह से उतर गई जब पूरे करियर में ट्रॉफी छूने के लिए तरसने वाले इंसान की झोली में उसके शिष्यों ने वर्ल्ड कप डाल दिया वो वेस्ट इंडीज का ही मैदान था, जहां 2007 के वर्ल्ड कप में द्रविड़ की जिंदगी भर की कमाई हुई इज्जत मिट्टी में मिल गई थी|

यही वह देश था जहां से लौटने पर 17 साल पहले राहुल द्रविड के पुतले तक फूके गए थे| फाइनल जीतने के बाद जब द्रविड़ ट्रॉफी पकड़ते ही किसी शेर की तरह दहाड़े तो उस दहाड़ में 17 सालों के अपमान के अंत का उद्घोष था| विराट कोहली के चेहरे पर भी आंसुओं से भीगा हुआ जीत का सुकून था|

फाइनल में मिले प्लेयर ऑफ द मैच की ट्रॉफी कोहली अपने तीनों वर्ल्ड कप की प्लेयर ऑफ टूर्नामेंट की ट्रॉफी से हमेशा ऊपर रखे यह फाइनल की ट्रॉफी कोहली को याद दिलाती रहेगी कि किस तरह उन्होंने भी अपने माथे का कलंक अपने हाथों से मिटा दिया मैदान के कोने में ऋषभ पंत इमोशंस में डूबे हुए थे वही रिषभ पन्त साथियों जिसे 14 महीने पहले डॉक्टर ने बताया था कि तुम्हें मैदान में लौटने में कम से कम ढाई साल लग जाएंगे|

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क्योंकि एक भयानक एक्सीडेंट से ऋषभ पंत गुजरे थे पर मैदान की बात छोड़िए महज 14 महीनों में यह लड़का टूटी हुई टांग जोड़कर उस वर्ल्ड कप की टीम का अभिन्न हिस्सा था जिस टीम में नाम आने के इंतजार में कितने खिलाड़ियों का करियर खत्म हो जाता है|

बाउंड्री के किनारे पर खड़ा हुआ मोहम्मद सिराज 23 के फाइनल में जिस बुमराह को गले लगाकर रो रहा था आज उसी बुमराह ने उसे वापस हसने की वजह दी तो खुशी के मारे रोने लगा अभी ज्यादा दिन नहीं हुए महज छ महीने पहले की बात है जब 19 नवंबर 2023 के फाइनल में मिली हार के बाद Rohit Sharma और इस पूरे भारत देश की हालत ऐसी थी कि जैसे वोह अपने ही आंसुओं में दफन हो जाना चाहते थे|

किसी में भी हिम्मत नहीं थी सब टूटे और बिखरे हुए थे पर एक इंसान था जो सबसे ज्यादा टूट चुका था पर हार मानने की बजाय उसने अधूरी जीत को पूरा करने की कसम खाई और आज फाइनल जीतकर उसकी कसम पूरी हो गई|

Rohit Sharma की कहानी की शुरुआत डोंबीवली के एक कमरे के घर से हुई जहां वह अपने पिता के साथ रहते थे पिता गुरुनाथ शर्मा की तनख्वाह बहुत कम थी| जब गुजारा मुश्किल होने लगा तो दिल पर पत्थर रखकर शर्मा जी ने अपने कलेजे के टुकड़े रोहित को बोरीवली में उसके चाचा और दादा के पास रहने के लिए भेज दिया|

एक ही शहर में रहने के बावजूद मां-बाप से मिलने के लिए  Rohit Sharma को वीकेंड का इंतजार करना पड़ता बोरीवली की गली क्रिकेट में रोहित ने जाते ही अपनी धाक जमा दी नतीजा यह हुआ कि दूसरी टीम के कप्तान रोहित शर्मा को अपनी टीम से खेलने के लिए 10 ₹ 20 देकर बुलाते थे|

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पूरी बोरीवली को लगता था कि ये लड़का अगर आगे गया तो बहुत कुछ हासिल करेगा लोगों की सलाह पर 12 साल की उम्र में रोहित किसी तरह क्रिकेट कैंप जवाइन करने चले गए पर फीस भरने के पैसे नहीं थे| ऐसे में उनके चाचा ने कैंप की फीस जमा करी वहां रोहित को मिले कोच दिनेश जवाहर जहां से पूरी कदीर पलट गई|

कोच उन्हें ऑफ स्पिनर बनाना चाहते थे और आठवें नंबर पर बैटिंग करने भेजते थे पर एक दिन उन्होंने रोहित को बैटिंग करते हुए देखा तो उन्हें एहसास हुआ कि वह रोहित को इतने दिनों से गलत डायरेक्शन में धकेल रहे थे|

अगले मैच में उन्होंने Rohit Sharma से कहा बेटा ओपनिंग करेंगे आज आप रोहित को थोड़ा डर लगा पर कोच ने यकीन दिलाया कि तुम जाओ और अपने मन की क्रिकेट खेलो बाकी जो होगा तुम्हारा कोच खड़ा है| पीछे देखने के लिए कोच का कॉन्फिडेंस मिलने की देर थी और रोहित ने ओपनिंग करते हुए एक तेज तरार शतक जड़ दिया| और इसके बाद जो हुआ वो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुका है|

Rohit Sharma अंडर 19 का हिस्सा बन गए रोहित शर्मा वनडे में तीन दोहरा शतक लगाने वाले इकलौते बल्लेबाज बन गए फिर सफलता के घोड़े पर सवार रोहित ने मुंबई को पांच ट्रॉफी जिता कर आईपीएल की सबसे सफल टीम बना दी, और फिर आया 2023 का वर्ल्ड कप और दुनिया ने एक नई टीम इंडिया और एक Rohit Sharma को देखा|

रोहित और द्रविड ने मिलकर एक अटैक प्लान बनाया और हमले की जिम्मेदारी कप्तान रोहित शर्मा ने खुद उठाई और हर मैच में जब तक सामने वाली टीम कुछ सोचती समझती रोहित अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी से मैच को बहुत दूर लेकर निकल जाते थे|

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पूरे वर्ल्ड कप में अनडिफीटेड रहने वाली इंडियन टीम जब फाइनल में पहुंची तो पूरा देश जश्न की तैयारी करने लगा अहमदाबाद का वह ग्राउंड जहां 1 लाख लोग इकट्ठे भारत की जीत देखने आए थे 19 नवंबर की वह काली रात जिस ने रोहित टीम इंडिया और इस देश को इस कदर तोड़ दिया कि अगले दिन रोहित को यकीन ही नहीं हो रहा था|

Rohit Sharma अपनी बीवी रितिका से कहते भी थे कि मैंने कोई सपना देखा है फाइनल तो आज है| रोहित अब इस टी-20 वर्ल्ड कप को जीतकर अपने दाग धोना चाहते थे, जो 2023 नवंबर में लगे थे फिर से इस टी-20 वर्ल्ड कप में अपने अधूरे सपने को पूरा करने के लिए पहुंचे और इस जख्मी शेर ने ऑस्ट्रेलिया से मिले हर जख्म का सूत समेत हिसाब कर दिया|

जिस मिचेल स्टॉक की गेंदबाजी के आगे भारतीय टीम ढह गई थी उसी स्टॉक के एक ओवर में रोहित ने 29 रन ठोक दिए साइलेंसर पेट कमंस आए तो रोहित ने घुटनों पर बैठकर ऐसा छक्का मारा जैसे पेट कमिंस कोई फास्ट बॉलर नहीं बल्कि पार्ट टाइम स्पिनर है| अगला नंबर इंग्लैंड का था और इंग्लैंड भारतीय गेंदबाजी की आंधी में ऐसी उड़ी कि सीधा उड़कर एयरपोर्ट पहुंच गई|

फाइनल में साउथ अफ्रीका के साथ अब आर पार की लड़ाई थी साउथ अफ्रीका भी अपनी जिंदगी का पहला फाइनल खेलने वाली थी यह फाइनल डिसाइड करने वाला था कि इतिहास Rohit Sharma रोहित शर्मा को चैंपियन की तरह याद रखेगा या फिर जोकर की तौर पर, एक टाइम पर 28 गेंदों पर साउथ अफ्रीका को 26 रन चाहिए थे|

पूरे देश की सांसे थम चुकी थी लगा कि ये नॉकआउट का श्राप अब भारतीय टीम की नसों से चिपक चुका है फिर हारने वाले हैं| पर तभी कमाल हुआ Rohit Sharma गेंद लेकर अपने पुराने शागिर्द हार्दिक के पास गए और हार्दिक के आउट स्विंगर से जैसे ही क्लासेन आउट हुए तो लगने लगा कि शायद अब उम्मीद बन सकती है|

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और फिर उसके बाद जो हुआ उसकी यादें उम्र भर तक हर भारतीय फैन के दिलों में हमेशा ताजा रहेंगी और सूर्य कुमार यादव का वह कैच साउथ अफ्रीका के ताबूत में आखिरी कील साबित हुई| और भारतीय टीम वर्ल्ड कप जीत गई| हर कोई रो रहा था क्या प्लेयर क्या कोच क्या खिलाड़ी भारत का हर क्रिकेट प्रेमी की आंखों में खुशी के आंसू थे|

एक ऐसी फांस जो पूरे देश के गले में पिछले 10 सालों से चुभ रही थी|  Rohit Sharma और टीम ने उसे निकालकर एक दशक का श्राप तोड़ दिया वर्ल्ड कप जीतने के बाद विराट और रोहित ने शान के साथ टी-20 से रिटायरमेंट ले ली ऐसा रिटायरमेंट विरलो को ही नसीब होता है| पर क्रिकेट के इतिहास में ऐसे जाबास नहीं देखे गए जिन्होंने तकदीर ने बार-बार गिराया तमाशा बनाया चोट दी पर वह हर बार उठ खड़े हुए|

जब आप किसी काम को करने के लिए जुनून की हद तक चले जाते हैं| तो नामुमकिन भी मुमकिन बन जाता है| रोहित और टीम इंडिया ने दिखा दिया कि इंसान अपनी तकदीर खुद लिख सकता है| टीम इंडिया की जीत से यही सबक मिलता है कि लड़ाई हार पर खत्म नहीं होती लड़ाई तब तक चलती है जब तक तुम जीत ना जाओ असफलता सिर्फ एक ठोकर है|

जो हमारी रफ्तार को धीमा तो कर सकती है पर अगर हमने हार नहीं मानी तो यही असफलता हमारी मेहनत और जुनून से टकराकर एक दिन हमारी ही ठोकर में आकर गिर जाती है|





Riyajuddin Ansari
Riyajuddin Ansari
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