BCCI कैसे बना Cricket का शहंशाह ?

BCCI, 19 नवंबर 2023 वर्ल्ड कप फाइनल की रात को कौन भूल सकता है| हमारा सबका सपना था कि 1983 में जो कपिल देव ने किया और 2011 में जो धोनी ने किया जो सचिन को शानदार विदाई दी वैसा ही हाल 2023 में भी हो|

लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था, हर बड़ा छोटा बच्चा बूढ़ा आप मैं सब उदास है, और ये गम सालों तक हमें सताएगा लेकिन आज एक बहुत बढ़िया चीज आपको हम बताने वाले है|

उस दिन शायद हम क्रिकेट का एक मैच जरूर हाथ गए हो, लेकिन क्रिकेट की दुनिया में हमने ऐसा मैच जीत लिया है, कि हमें आने वाले कई वर्षों तक कोई हरा नहीं पाएगा, 1983 से लेकर 2023 में क्या फर्क हुआ आपको कुछ घटनाओं से बताते हैं|

1983 में जो वर्ल्ड कप जीता था कपिल देव जी ने उस टीम को सम्मान देने के लिए गिफ्ट देने के लिए भारतीय क्रिकेट बोर्ड के पास कोई पैसा नहीं था| उनके पैसे जुटाने के लिए हमारी स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी को एक कंसर्ट ऑर्गेनाइज करना पड़ा था|

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और उस पैसों से जाके उनका सम्मान हो पाया था, 1983 में इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड ने भारत को दो एक्स्ट्रा टिकट देने से मना कर दिया था, और आज 2023 में भारत करोड़ों रुपए के टिकट बेच रहा है| एक-एक मैच की टिकट एक-एक लाख की जा रही है तो भी लोग ले रहे हैं|

और BCCI जहां खड़ा है उसमें धीरू भाई अंबानी का बहुत बड़ा हाथ है| अब आप फिर सोचेंगे यहां पर भी आप मोटा भाई को ले आए, नहीं सर ये मोटा भाई के पिताजी आए हैं यहां पे और वो आते हैं तो काम बड़े होते हैं|

BCCI बीसीसीआई करोड़ों रुपए कमाता है पर टैक्स नहीं देता है| क्यों BCCI बीसीसीआई 1983 में इतना गरीब क्यों था और अगर इतना अमीर अभी बना है तो बीच में ऐसा क्या हुआ भाई, ये BCCI बीसीसीआई या भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड कहां-कहां से पैसे कमाता है|

पैसे कमाने के तरीके क्या-क्या हैं आईसीसी जो क्रिकेटिंग दुनिया की शीर्ष अथॉरिटी है वो भी BCCI बीसीसीआई से डरती है, क्योंकी कोई भी ऐसा क्रिकेट बोर्ड नहीं है, जो भारत के खिलाफ कुछ बोल सके क्रिकेट की दुनिया में भारत की आवाज के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता ऐसा क्यों होता है|

जब बड़े-बड़े क्रिकेट बोर्ड की फाइनेंशियल हालत खराब हो जाती है| तो BCCI के आगे हाथ क्यों जोड़ते हैं|

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आज जानिए हमारे फेवरेट खेल को जो चलाने वाली संस्था BCCI (बीसीसीआई) भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के जीरो से हीरो बनने की कहानी, ये कहानी बताती है नेवर एवर मेस विद भारत क्योंकि अगर भारत की हट गई ना वो सबको हटा देगा|

ये कहानी हम बताएंगे चार पार्ट में पहला पार्ट 1983 से चालू हुआ कि इतना गरीब क्यों था दूसरा पार्ट हम में अमीरी आई कैसे धीरे-धीरे हम कैसे मजबूत बने तीसरे पार्ट में हम चर्चा करेंगे कि कैसे BCCI (बीसीसीआई) अलग-अलग सोर्सेस से पैसा कमाता है इसकी कमाई का जरिया क्या है, और लास्ट में चौथा कि बाकी बोर्ड और आईसीसीआई में इनको हरा के और क्रिकेट की दुनिया में एक छत्र राज्य कैसे स्थापित किया|

तो चलिए कहानी शुरुआत करते हैं 1983 के वर्ल्ड कप से 1983 के वर्ल्ड कप में BCCI भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की क्या हालत थी, फाइनल हो रहा था इंडिया और वेस्ट इंडीज के बीच में किसी ने नहीं सोचा था कि यार ये दोनों टीमें फाइनल में पहुंचेगी|

वेस्ट इंडीज का तो फिर भी पता था पर इंडिया पहुंचेगी किसी को नहीं पता था मैच हो रहा था इंग्लैंड में तो अगर इंग्लैंड में मैच हो रहा है और इंग्लैंड की टीम फाइनल में नहीं है तो स्टेडियम लगभग खाली सा पड़ा है|

उसी समय इंडिया के एक यूनियन मिनिस्टर सिद्धार्थ शंकर किसी विजिट से ऑफिशियल विजिट से लंदन आए हुए थे| तो उन्होंने कहा यार मैं और मेरी पत्नी जाके अपनी भारतीय टीम फाइनल में आई है मैच देख लेते है|

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उन्होंने BCCI प्रेसिडेंट को फोन किया कि यार दो एक्स्ट्रा टिकट अरेंज करा दो स्टेडियम तो खाली पड़ा है| अब बोर्ड का प्रेसिडेंट बोल रहा है कि हमारी टीम फाइनल में है, दो टिकट करवा दीजिए तो वहां BCCI प्रेसिडेंट फोन लगा रहा है यूनियन मिनिस्टर के लिए इंग्लिश क्रिकेट बोर्ड ने कहा नहीं है टिकट|

कोई बात नहीं बात आई गई हो गई लेकिन जो उस समय BCCI के प्रेसिडेंट थे एनकेपी सालवे ये बात उनको चुभ गई बोले अब यार यह तो नहीं चलेगा कुछ तो इनका करना पड़ेगा यह तो इन्होंने ज्यादा ही दिखा दिया, उस समय अगर हम देखे तो वर्ल्ड कप शुरुआत हुआ था 1975 से तो 1975-79-83 ये तीनों वर्ल्ड कप इंग्लैंड में ही हो रहे थे|

उन्होंने कहा यार इंग्लैंड में वर्ल्ड कप हो रहा है उसको इसी बात का घमंड है| पहली बार तो वर्ल्ड कप इंग्लैंड से बाहर लेके जाएंगे, दूसरी चीज एक आप कह सकते हैं कि सर उस समय भारत ने विरोध क्यों नहीं किया एनकेपी कुछ कर देते वैसे नहीं कर देते उस समय हमारे बजट की हालत बताते है|

BCCI (बीसीसीआई) चल रहा था लॉस में हमारे खिलाड़ियों को कपिल देव जो भाई साहब उस लेवल पे परफॉर्मर है उनकी जो सैलरी थी वो थी 1500 पर मैच, और उनको 200 रुपए  डेली अलाउंस मिलता था जो अपने खिलाड़ियों को ये देता हो, तो सोचो क्या बजट होगा और क्या विरोध करेगा|

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1983 में जब वर्ल्ड कप जीत के खिलाड़ी आए तो बोर्ड ने कहा रे खिलाड़ी जीत के तो आ गए लेकिन इनको इनाम देने के लिए इनका सम्मान करने के लिए कुछ है ही नहीं, फिर लता मंगेशकर जी बीच में आई लता मंगेशकर जी ने फ्री में कौनसड ऑर्गेनाइज किया|

20 लाख रुपए रेज किए उस धनराशि से इनको पुरस्कार दिया गया, तो सैलरी का पैसा देने के लिए हमारे पास पैसा था नही और ना सम्मान के पैसे ना खेलने के पैसे लेकिन फिर भी उन्होंने कहा नाक पे आ गई तो आ गई और आपको पता है भारतीय की हटी तो फिर हटी|

अब तीन बार से वर्ल्ड कप हो रहा था इंग्लैंड में तो इन्होंने कहा कुछ तो करना पड़ेगा तो उन्होंने बात करी उस समय के जो एयर मार्शल नूर खान जी पीसीबी के प्रेसिडेंट थे पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के उनके साथ बैठ के बात की बोले भाई साहब ऐसा है कि वर्ल्ड कप वहां से तो निकालो हम आपस में कहीं भी कर लेंगे, पर एक बार वहां से तो बाहर निकाला जाए|

तो इन्होंने आपस में लॉबिंग कर ली ऑस्ट्रेलिया को भी साथ में ले लिया बाकी को भी साथ में ले लिया कि इंग्लैंड में नहीं होने देंगे तो आईसीआई में जब वोटिंग हुई कि अगला वर्ल्ड कप कहां होगा तो इन्होंने वोटिंग अपने पक्ष में कर दी और 16-12 के वोट के अंतर से यह पहली बार वर्ल्ड कप इंग्लैंड से बाहर गया|

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और यह भारतीय धरती पर 1987 में हुआ अगर कोई भी कंट्री अपने यहां वर्ल्ड कप कर रही है तो वो बाकी मेंबर कंट्री को पैसा देती है, कि चलो तुम वर्ल्ड कप में पार्ट ले रहे हो हम होस्ट है तुम आओ उस समय इंग्लैंड सबको 20-20 हजार डॉलर देता था|

इन्होंने कहा 40-40 हजार डॉलर देंगे तुम तो हमारे फेवर में बोलो तो पहले ही बजट कंगाल हालत और 20000 की जगह पूरी टीम को 40 हजार डॉलर का कमिटमेंट कर दिया पर जैसे नाक पई ले दे के 87 में वर्ल्ड कप को लेके आ गए इंडिया में|

वर्ल्ड कप की अप्रूवल तो आ गई 1987 में यहां होगा पैसे तो है ही नहीं इनको 40-40 डॉलर देने है एक एक टीम को फिर मैच की व्यवस्था करनी है ट्रेवलिंग की व्यवस्था करनी है फूड की करनी है होटल की करनी है करे तो करे क्या जाए तो जाए कहां इस पूरे वर्ल्ड कप के आयोजन के लिए उस समय इनको पैसे की आवश्यकता थी 20 करोड़ की|

और स्पोंसरशिप की जब बात गई तो स्पोंसरशिप से टोटल आए 38 लाख अब 20 करोड़ की जरूरत है 38 लाख आए तो बाकी पैसे कहां से आए, तो प्रेजिडेंट साहब गए उन्होंने गवर्रमेंट से हेल्प मांगी उस समय राजीव गांधी जी ने लगभग चार करोड़ की इनको सहायता की|

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लेकिन 4 करोड़ से भी होना कुछ नहीं था फिर फाइनली आपको पता है कि जब ऐसी कोई भी स्थिति होती है बिजनेसमैन ही है जिसके पास आप जा सकते हो और वो फंड की व्यवस्था कर सकता है| और उस समय भारत के सबसे बड़े बिजनेसमैन और इन चीजों में आगे बढ़ने वाले थे एक ही हमारे मोटा भाई के पापा जी तो धीरू भाई अम्बानी जी एंटर हुए उन्होंने उस समय 6 करोड़ दिए|

और कहा और कोई सुविधा है तो मुझे बताना लेकिन 1987 के वर्ल्ड कप का नाम था Reliance वर्ल्ड कप जैसे तैसे धीरू भाई जी के सहयोग से ये वर्ल्ड कप हुआ, वो वर्ल्ड कप हम हारे है लेकिन हम एक तरह से डिप्लोमेटिकली जीत चुके थे, कि हम वर्ल्ड कप इंग्लैंड से बाहर ले आए और हमारी धरती पे मैच करवा दिया|

एक आकाश चोपड़ा के इंटरव्यू की रेयर क्लिप है अगर आप देखेंगे अगर आप चला पाएंगे एक टाइम था जब ये ऑस्ट्रेलिया में क्रिकेट खेलने जाते थे, हमारी टीम के पास बॉल खरीदने के पैसे नहीं होते थे|

अगर टूर पे जा रहे हैं तो वहां पे मान लो 50 बॉल खेलने के लिए चाहिए वो तो जैसे-तैसे अरेंज करके दे दी जाती थी, पर प्रैक्टिस के लिए 200, 250 बॉल की और आवश्यकता होती थी वो नॉर्मल बॉल से प्रैक्टिस करनी पड़ती थी उस बॉल से प्रैक्टिस करने तक के पैसे नहीं थे हमारे पास|

अब ये तो हालत हुई कि कितने हम गरीब थे और कैसे हमने जुगाड़ कर कर के जैसे-तैसे हम पहुंचे यहां तक अब हम राइस कैसे किए उस पर आते हैं| उस समय से देखा जाए तो ब्रॉडकास्टिंग राइट पे दूरदर्शन की मोनोपोली थी| दूरदर्शन ने कहा जो भी ब्रॉडकास्ट होगा हम ही ब्रॉडकास्ट करेंगे|

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और BCCI को बेचारे को ज्यादा पता नहीं था BCCI ने बकायदा हर मैच के प्रसारण के 5 लाख रुपए बीसीसीआई दूरदर्शन को देता था कि हम मैच कर रहे हैं प्लीज दिखा दो फिर एक टर्निंग पॉइंट आया जैसे एनकेपी सालवे जी ने एक काम किया था फिर टर्निंग पॉइंट आया अपने नाम सुना होगा शायद जो पुराने क्रिकेट से जुड़े हैं, जगमोहन डालमिया जी वो बने BCCI के प्रेसिडेंट|

उन्होंने कहा यार ये बात तो गड़बड़ है तो उन्होंने बकायदा कोर्ट में जाके इसके खिलाफ केस लड़ा कि जो ब्रॉडकास्टिंग के जो राइट वाइट है ना दूरदर्शन के थोड़ी है ये तो हम क्रिकेट करा रहे हैं हम कराएंगे ये राइट तो हमारे हैं|

कोर्ट केस हुआ बकायदा कोर्ट केस जीते और फिर BCCI को मिला कि चलो ब्रॉडकास्टिंग राइट तुम्हारा है ये पैसा तुम्हारे हाथ में आएगा, उस समय तक इंटरेस्टिंग बात ये है कि  91 से पहले का पीरियड था तो भारत में बहुत ज्यादा कमर्शल इजेशन नहीं था टीवी नहीं थे कुछ भी नहीं था तो उस समय इनको पता नहीं था कि हमारे पास कितनी खतरनाक वैल्यू है|

और 1991 में जाके जब लिबरलाइजेशन हुआ और बाकी बाजार खुला और बाकी कंपनियां आने लगी तब इनको अपनी असली औकात समझ में आई साउथ अफ्रीका टीम इंडिया में आई दौरा करने और इंडिया साउथ अफ्रीका का मैच हुआ तब साउथ अफ्रीका के टीम के प्रशासन ने BCCI से पूछा ब्रॉडकास्टिंग राइट के कितने पैसे देने हैं|

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अब BCCI (बीसीसीआई) सोच में पड़ गया कि देने हैं… हम तो खुद ही पैसे देते हैं आप कह रहे हो कि तो आप हमको पैसे दोगे बोले हां सब देते तो हैं आप क्या लेते नहीं क्या तो उनको तब पता पड़ा कि बस हमारे पास तो इतना बड़ा हथियार पड़ा है| इस चीज की जिसके हम पैसे देते थे दिखाने के 5 लाख बल्कि हमको तो पैसे लेने चाहिए इस बात के और पहली बार ब्रॉडकास्टिंग राइट का पैसा वो साउथ अफ्रीका वाले मैच में इनके हाथ में आया|

फिर 1993 में इंग्लैंड के खिलाफ एक मैच हुआ उस समय 6 लाख $ इन्होने ब्रॉडकास्टिंग फीस के लिए जो लगभग उस समय के 2 करोड़ होते थे, तब जाके BCCI को लगा कि अपने पास भी कमाई का एक जरिया है| उसके बाद धीरे-धीरे करते करते स्पॉन्सरशिप कमाते कमाते 2006-7 तक इन्होंने 650 करोड़ से ज्यादा कमा लिए थे|

और 6-7 के फिगर के बाद 2008 में एक ऐसी घटना घटी उसके बाद इनको मुड़ के देखने की जरूरत नहीं पड़ी वो कौन सी घटना थी आपको पता है तो बता देना, लेकिन हम आपके सब्र का इम्तहान नहीं लेंगे वो घटना थी IPL, आईपीएल आने के बाद जब  BCCI की जिंदगी में और किस्मत में बदला हुआ है वो पहले कभी नहीं हुआ था|

अब IPL को चाहे कोई लाख गाली दे या कुछ भी करे लेकिन IPL  बीसीसीआई के लिए तो चमकता सितारा है, इसी ने इसको बेताज बादशाह बनाया है| अब आता है चैप्टर तीन सबसे मोस्ट इंपोर्टेंट चीज यहां पे अगर आप गेम को समझ गए तो फिर आपको और भी इजी हो जाएगा कैसे-कैसे कमाते हैं उसके तरीके जान लेते हैं|

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सबसे पहला तरीका होता है ब्रॉडकास्टिंग राइट बेच के पैसे कमाना ब्रॉडकास्टिंग राइट का मतलब होता है कि, किस चैनल को या किस ओटीटी प्लेटफार्म को राइट है इस मैच का प्रसारण करने का तो BCCI ब्रॉडकास्टिंग राइट बेचता है| एक कंपनी को एक प्लेटफार्म को जो उसका प्रसारण करेगी और वो प्रसारण करने वाली कंपनी ऐड खरीदती है|

BCCI को हमेशा ज्यादा पैसे मिलते हैं बाकी किसी बोर्ड के कंपैरिजन में, क्योंकि सबको पता है कि जिस मैच में इंडिया खेलेगी वहां पे 5-10 करोड़ लोगों की व्यूइंग आना नॉर्मल बात है| और जहां 5-10 करोड़ लोग मैच देख रहे होंगे वहां पे कंपनियां बड़े-बड़े एडवर्टाइजमेंट के पैसे देगी जो अभी आपने IPL  के दौरान देखा कि यार 10 सेकंड के एड के 19 लाख रुपए रेट चल रही थी|

फाइनल की रेट 10 सेकंड की 25 लाख तक चली जाती है, इंडिया पाकिस्तान मैच होता है उसकी 10 सेकंड की रेट 30 लाख तक चली जाती है तो ये कैसे जाती है की उनको पता है इतने लोग देखने वाले हैं तो वो 10 सेकंड के 30 लाख भी जनता देती है|

अब ऐसा किसी और बोर्ड में पॉसिबल नहीं है आप समझो इंडिया और पाकिस्तान का मैच हो रहा है तो इंडिया वाले देखेंगे तो पैसे ज्यादा मिलेंगे अगर मैच हो रहा है पाकिस्तान और बांग्लादेश का तो देखने वाली संख्या इतनी सी रह गई तो जो उस मैच को ब्रॉडकास्ट करेगा बहुत सस्ते रेट में बेचेगा|

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BCCI का जो सीक्रेट ब्रह्मास्त्र है वो यह है हमारे भारत की क्रिकेट लविंग जनता यानी आप यानी मैं कि हम लोग जब तक मैच देखते रहेंगे BCCI के पास पैसे आते रहेंगे| और इसी चक्कर में जब किसी भी बोर्ड की हालत खस्ता हो जाती है मान लो ऑस्ट्रेलिया बोर्ड है| जिसके पास पैसे नही बचे नुकसान हो रहा है, मोटे पैसे कमाने हैं कैसे कमाएं?

बोले यार इंडिया से मैच कर लो इंडिया से पांच मैच की सीरीज कर लेंगे उसके बहुत मोटे ब्रॉडकास्टिंग राइड बिकेंगे उसमें से आधा हम हमको मिलेगा हमारी फाइनेंशियल हालत सुधर जाएगी और ऑस्ट्रेलिया की हालत खराब है वो कह रहा है मैं श्रीलंका से मैच कर लेता हूं, वो श्रीलंका से मैच कर लेगा तो क्या ही तो राइट बिकेंगे और क्या पैसे मिलेंगे|

तो सभी हर बोर्ड इंटरेस्टेड है कि यार इंडिया से मैच हो जाए तो मजा आ जाए| तो BCCI एक हमारा ब्रॉडकास्टिंग राइट्स है|

दूसरा कमाता है टिकेट बेच कर अब सबसे ज्यादा बड़े बड़े स्टेडियम हमारे पास है सबसे नम्बर वन स्टेडियम भी हमारे पास है और सबसे ज्यादा केपेसिटी भी हमारे पास और सबसे ज्यादा हाउसफुल भी हमारे ही है|

तो सबसे ज्यादा पैसा BCCI भी कमाता है उसके अलावा टाइटल्स स्पोंसर्स से कमाता है किट स्पोंसर से कमाता है वो बाउंड्री पे जो लिखा हुआ है वो उससे कमाते हैं| स्टेडियम के दौरान जो टिकट फूड सेल्स होती है मर्चेंडाइज सेल होती है उससे कमाते हैं| तो इतना सब करने के बाद आज की डेट में जो BCCI की नेटवर्थ है वो है 25000 करोड़ रुपए|

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और सालाना जो कमाई होती होती है 45000 करोड़ तो 83 के टाइम क्या गरीबी थी और आज 2023-24 के दिन क्या अमीरी है| आप समझो आईसीसी हमारे आगे एक शब्द नहीं बोल सकता कैसे ये इस पार्ट में समझते हैं|

BCCI इकलौता क्रिकेट बोर्ड तो है नहीं वर्ल्ड में ऐसे बहुत सारे बोर्ड हैं, लेकिन आईसीसी बहुत ज्यादा घबराता है क्यों क्योंकि कमाऊ पूत के ताने हर कोई सुनता है| दूध देने वाली गाय के लात हर आदमी को सहन होती है| आईसीसी का 80% रेवेन्यू इंडिया से आता है|

तो हमारा बोर्ड सबसे ज्यादा कमाता है क्लियर हमारे खिलाड़ी भी सबसे ज्यादा कमाते हैं टॉप 10 खिलाड़ी की लिस्ट जब भी आएगी क्रिकेट की उसमें 10 में से सात आठ इंडिया के ही होंगे, किसी भी टीम की हालत पतली हो जाए जैसे हमने आपको समझाया वो इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड जो एक जमाने में हमको दो टिकट के लिए तरसा रहा था|

जब उसकी फाइनेंशियल हालत खस्ता हो जाती है तो साल में एक दो बार BCCI के हाथ जरूरी जोडती है कि भाई साहब प्लीज यार एक मैच करा दो ताकि थोड़ी बहुत बैलेंस शीट सुधर जाए हमारा दबदबा क्या है आपको दबदबा बताते है|

2008 में डीआरएस का रूल आया जितनी भी बोर्ड थे सबने सहमति दे दी हां डीआरएस लगाएंगे डीआरएस लगाएंगे BCCI ने ऑब्जेक्शन कर दिया नहीं जी हमको नहीं समझ आ रहा डीआरएस डायरेक्ट नहीं लगा सकते जो कैप्टन है वो डिसाइड करेगा सब बोर्ड एग्री थे एक तरफा लेकिन BCCI ने ऑब्जेक्शन डाल दिया तो उन्होंने कहा अरे ये बड़े लोग हैं|

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इनके बीच में क्यों बोले उन्होंने कहा BCCI आप जैसे बोल रहे हो वैसे ही करेंगे दूसरा एग्जांपल आपको किस-किस को मंकी गेट याद है, हरभजन सिंह ने एंड्रू सायमंड का मजाक उड़ा दिया था और बहुत बड़ा हल्ला मच गया था उस बात का आईसीसीआई ने एक्शन लेते हुए तीन मैच के लिए हरभजन सिंह को लंबित कर दिया था|

BCCI ने कहा ये बात अच्छी नहीं लगी हमारे खिलाड़ी को ऐसे कैसे कर दिया आईसीसी बैकफुट पे आया कहा कोई निलंबन लमन नहीं है छोटी सी पेनल्टी लगा के कहा खेलो आप तो तीसरी डोमिनेंस आपको याद है एक जमाने में काला सा एंपायर था, स्टीव बकनर हमारे सचिन को कई बार नोट आउट को आउट किया|

याद है हमारे BCCI ने शिकायत की ये हमको ठीक नहीं लगा ये बंदा हमारे लिए सही आदमी नही है| उसको एंपायर के पैनल से हटा दिया, कोरोना काल चल रहा था हर चीज के लिए मनाई थी कि भैया कोई मैच नहीं कुछ भी नहीं BCCI ने कहा हम करा ले आईपीएल आईसीसी ने कहा तुम तो करा लो तुम बड़े लोग हो तुम्हें कौन मना करेगा|

और जब IPL होता है उस समय ICC कोई बड़ा टूर्नामेंट रखता ही नहीं है| हमारे अलग से विंडो दे रखी है कि दो महीने माई बाप आपके हम 10 महीने में कर लेंगे हमारा जो कुछ करना है| ये है डोमिनेंस यह दबदबा हमको अब मिल रहा है जब हम मेंस क्रिकेट में राजा हैं|

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और अब धीरे-धीरे अगर आप देख रहे हैं पिछले दो-तीन सालों से वूमेंस क्रिकेट को भी धीरे-धीरे बीसीसीआई BCCI मजबूत कर रहा है| और अगर वहां भी धीरे-धीरे हम राजा हो गए तो अगले 20-25 साल तक तो मेंस क्रिकेट ही इतना डोमिनेंट है कि कुछ होने नहीं देगा|

और वूमेंस भी आ गया ना तो अगले 50 साल तक क्रिकेट में जो हमने कह दिया ना वही चलेगा हमारा खोटा सिक्का भी चलेगा मैच की जो हार का गम है, देखो वो तो कभी जाएगा ही नहीं वो तो अभी भी सपने में आ जाता है कि यार उस दिन कुछ और हो जाता है एक विकेट और ले लेता लेकिन कोई नहीं जब जब वो गम आए ये स्टोरी याद रखना कि एक मैच हारे जीते उसमें क्या है, क्रिकेट तो हमने वैसे ही जीत लिया है|

एक बात और BCCI बीसीसीआई टैक्स क्यों नहीं देता बीसीसीआई एज अ ट्रस्ट बना था कि हम तो एक ट्रस्ट हैं जो क्रिकेट को प्रमोट करेगी तो एज अ ट्रस्ट बना हुआ था और आज भी इसका लीगल स्टेटस ट्रस्ट ही है|

इसलिए BCCI कितनी भी कमाई कर ले वो ₹1 भी टैक्स नहीं देता बाकी किसी भी क्रिकेट वाले पोर्शन पे हां IPL वाले पोर्शन को इन्होंने कहा या प्रमोशन नहीं है तो अलग ही चीज है तो आईपीएल से जितनी भी इनकम होती है उस पे जरूर टैक्स इनको देना पड़ता है|

बाकी उसके अलावा भी पूरे वर्ल्ड कप में जो जो कमाया ना वो सब टैक्स फ्री है भाई साहब BCCI की इस मजबूती का एक ही राज है| आपका और मेरा क्रिकेट के प्रति प्यार जब तक ये प्यार बना रहेगा हमारा डोमिनेंस बना रहेगा|


Riyajuddin Ansari
Riyajuddin Ansari
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