Dev Anand Biography: देव आनन्द से क्यूँ चिड़ती थी इंदिरा गांधी ?

Dev Anand-किसी के कपड़ों पर टिप्पणी कर दी जाए तो वो बुरा मान जाता है, खासतौर से महिलाएं तो ततैया की तरह भिनक जाती हैं|

लेकिन बॉलीवुड में एक फिल्म स्टार ऐसा भी रहा जिसके कपड़ों के विशेष रंग पर बकायदा कोर्ट ने पाबंदी लगा दी थी|

अपने जमाने के फैशन आईकोन रहे इस कलाकार ने मुंबई आने के बाद जो संघर्ष किया उसकी दास्तान भी काफी दिलचस्प है| अगर आप अभी उस कलाकार का नाम नहीं जान पाए हैं, तो चलिए हम आपको बता देते हैं की हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड के रोमांटिक रोमानी और हैंडसम कलाकार Dev Anand की|

देव आनन्द का बॉलीवुड का सफ़र

Dev Anand की लाइफ के कुछ मजेदार किस्से बॉलीवुड के पहले लीजेंड कहे जाने वाले देव आनन्द  पंजाब के गुरदासपुर में पैदा हुए 26 सितंबर 1923 को देव आनंद का जन्म हुआ|

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माता पिता ने उनका नाम धर्मदेव किशोरी मल आनंद रखा, साल 1942 में Dev Anand ने लाहौर से हिंदी साहित्य में ग्रेजुएशन कंप्लीट किया Dev Anand आगे बढ़ाना चाहते थे , लेकिन समस्या पैसों की आ गई थी|

क्योंकि पिताजी ने आगे बढ़ाने के लिए पैसे देने से मना कर दिया, और सीधे सीधे ये कह दिया की अगर तुम आगे बढ़ाना चाहते हो तो नौकरी कर लो ये वो समय था जहां से Dev Anand ने बॉलीवुड का सफर तय करना शुरू किया|

साल 1943 में बॉलीवुड के सपने लेकर Dev Anand (देव आनन्द) जब मुंबई पहुंचे तो उनके पास केवल ₹30 थे, और रहने का कोई ठिकाना नहीं था, देव आनंद ने मुंबई में रेलवे स्टेशन के पास जो कमरा लिया उसे दो और लोगों के साथ शेयर किया|

वो दोनों लोग भी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने के लिए आए थे लेकिन समय बितता गया और Dev Anand के पास मौजूद पैसे खत्म होते चले गए देव आनंद ने अपने ऑटोबायोग्राफी रोमांसिंग विद लाइफ में लिखा है,की लगातार खत्म होते पैसे और मुंबई में काम ना मिलने से उन्हें यह समझ में आ गया था की अगर सरवाइव करना है तो नौकरी करना जरूरी है|

देव आनन्द की पहली फिल्म हुई फ्लॉप

आगे चलकर Dev Anand को मिलिट्री सेंसर ऑफिस में क्लर्क की नौकरी मिल गई, इस ऑफिस में देव आनंद को सैनिकों की चिट्ठियाँ पढ़ने का काम मिलता था| उन्हें महीने की 165 रुपए वेतन मिलता था जिसमें से 45 रुपए वो अपने परिवार के खर्चे के लिए घर भेज दिया करते थे|

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बाकी पैसे से खुद सरवाइव करते थे, और लगभग एक साल तक इस तरह नौकरी करने के बाद वो अपने बड़े भाई चेतन आनंद के पास पहुंच गए| जो उस समय भारतीय जन्नातीय संग इप्टा में काम कर रहे थे| चेतन आनन्द ने Dev Anand को भी अपने साथ काम पर रख लिया|

Dev Anand नाटकों में काम करने लगे जहां उन्हें छोटे-मोटे रोल मिल जाया करते थे|  इसी दौरान उन्हें प्रभात स्टूडियो के फिल्म हम एक है में काम करने का मौका मिला|

हालांकि ये फिल्म फ्लॉप रही लेकिन, इस फिल्म से उन्हें गुरुदत्त जैसा दोस्त मिल गया गुरुदत्त उस समय फिल्मों में एक कोरियोग्राफर के तौर पर अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहे थे|

प्रभात स्टूडियो में ही उन दोनों की मुलाकात हुई और ये मुलाकात दोस्ती में बदल गई साल 1947 में Dev Anand (देव आनंद) मुंबई की चर्चगेट स्टेशन में एक लोकल ट्रेन में बैठे हुए थे, तभी साहील  लतीफ उनके पास आकर बैठ गए|

देव आनन्द की बेहतरीन अभिनेता के तौर पर पहचान बनी

और उनसे पूछा की आप आजकल क्या कर रहे हैं, तो उन्होंने बताया की कुछ खास नहीं उन्हें दूसरे दिन बॉम्बे टॉकीज़ बुलाया गया जब देव आनंद वहां पहुंचे तो उनकी मुलाकात दादा मुनि अशोक कुमार से हुई|

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अशोक कुमार ने उन्हें फिल्म जिद्दी में हीरो का रोल दे दिया ये फिल्म देव आनंद के फिल्मी करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई| जिद्दी एक हिट फिल्म रही थी| एक्टिंग में सफल होने के बाद देव आनंद ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी सक्रिय भूमिका निभाने का फैसला किया|

उन्होंने नवकेतन नाम के एक बैनर की शुरुआत की और साल 1950 में इस बैनर के तले फिल्म अफसर को बनाया इस फिल्म में डायरेक्शन की जिम्मेदारी उनके बड़े भाई चेतन आनंद ने संभाली इस फिल्म में उन्होंने उस जमाने की जानी-मानी अभिनेत्री सुरैया को हीरोइन के तौर पर लिया|

और हीरो के तौर पर वो खुद थे, लेकिन नवकेतन बैनर के तले बनी ये पहले ही फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हुई, लेकिन इस असफलता ने देव आनंद का हौसला नहीं तोडा बल्कि वो नए सिरे से एक नई फिल्म बाजी लेकर आए|

देव आनन्द की लव स्टोरी

जिसके निर्देशन की जिम्मेदारी उन्होंने अपने दोस्त गुरु दत्त को दी यह फिल्म सुपर डुपर हिट हुई| इस फिल्म में इंडस्ट्री में देव आनंद को एक बेहतरीन अभिनेता के तौर पर पहचान दिला दी इसके बाद देव आनंद ने दुश्मन, मुनीम जी, सीआईडी, पेइंग गेस्ट, कला बाजार, गैंबलर, तेरे घर के सामने, काला पानी जैसी बेहतरीन फिल्में दी|

फिल्मों में मिलती सफलता के साथ-साथ Dev Anand देव आनंद की पर्सनल लाइफ में भी प्यार के तूफान ने एंट्री मार ली, दरअसल फिल्म अफसर की शूटिंग के दौरान फिल्म अभिनेत्री सुरैया और देव आनंद का एक सीन बोर्ड पर फिल्माया जा रहा था|

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उस दौरान सुरैया पानी में डूबने लगी और Dev Anand साहब ने उन्हें डूबने से बचाया था| इसके बाद सुरैया देव आनंद से बेइंतेहा प्यार करने लगी| देव आनंद भी सुरैया को चाहने लगे लेकिन जब बात इन दोनों की शादी तक पहुंची तो सुरैया की दादी ने इस शादी से इनकार कर दिया|

Dev Anand और सुरैया की अधूरी प्रेम कहानी इसी मोड पर आकर रुक गई| देव आनंद ने जब सुरैया से प्यार किया तो इसका इजहार भी पब्लिक में किया अब इस प्यार में उनका दिल टूटा तो इसे भी पुरी पब्लिक के सामने स्वीकार किया|

आगे चलकर Dev Anand ने फिल्म अभिनेत्री कल्पना कार्तिक से शादी की, उनकी शादी जीवन के अंतिम समय तक नहीं चल पाई| कुछ समय तक ये दोनों एक साथ रहे इसके बाद कल्पना ने जिंदगी में अकेले चलने का फैसला किया|

सफ़ेद शर्ट और काला कोट पहने पर क्यों थी पाबन्दी

साल 1970 में देव आनन्द ने फिल्म प्रेम पुजारी के बाद निर्देशन के सफर की शुरुआत की, प्रेम पुजारी सफल नहीं हो पाई इसके बाद साल 1971 में वो हरे रामा हरे कृष्णा लेकर आए जो उस दौर की बहुत बड़ी हिट फिल्म साबित हुई|

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इसके बाद उन्होंने अपनी आने वाली दूसरी फिल्मों में भी निर्देशन का काम संभाला जिसमें लूटमार,अव्वल नंबर, स्वामी दादा, देश प्रदेश, सच्चे का बोलबाला जैसी फिल्म शामिल है| राजेश खन्ना अमिताभ बच्चन जैसे कलाकारों के दौर में भी देव आनंद की खूबसूरती का जादू लड़कियों के सर पर चढ़कर बोलता था|

खास बात तो ये है की, देव आनन्द जो पहनते थे वो फैशन बन जाता था| लडकिया तो इनके लिए जान दे देती थी| तो वाही लडको में भी Dev Anand का अलग ही पागल पण था|

इतना ही नही फैन्स तो इनके लिए पागल थे| जिसकी वजह से इनके काले कोट पर लग गई थी पाबन्दी बैन भी ऐसे ही नही बल्कि कोर्ट की तरफ से लगाई गई थी| क्योकि देव आनन्द साहब सफ़ेद शर्ट के उपर काला कोट पहनते थे तो कहर ढाते थे|

उनका ये स्टाइल काफी मशहूर हुआ था लड्किया जब देव आनन्द को इस लुक में देखती थी तो वो उन पर मर मिटती थी| इतना ही नही देव आनन्द के लिए लड्किया छत से छलांग लगा देती थी|

देव आनन्द इंदिरा गाँधी से हुए नाराज़

वो जब भी सफेद शर्ट काली जैकेट काला कोट पहनकर निकलते थे, तो उन्हें देखकर लड़कियां अजीबो गरीब हरकतें करने लगती थी| इसके बाद एक जनहित याचिका दायर की गई उसकी तहत कोर्ट ने Dev Anand से अपील की वो सफेद शर्ट काली जैकेट काला कोट ना पहना करे|

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Dev Anand साहब अपने बचपन में बहुत शर्मीले स्वभाव के थे| लड़कियों को देखकर ही दूर भाग जाया करते थे| तब उनके पिता अपने बेटे के इस हरकत से बड़े परेशान हो गए| उनकी इस आदत को दूर करने के लिए देव आनन्द के पिता ने उनका एडमिशन लड़कियों के स्कूल में करा दिया|

जिससे की लड़कियों की प्रति उनकी झिझक दूर हो सके, झिझक दूर हुई तो देव आनन्द साहब पर रोमांस का भूत सवार हो गया| और वो इतने ज्यादा रोमांटिक हो गए की देव आनंद के पिता अपने बेटे की रोमांटिक आदत से परेशान हो गए|

देव आनंद के प्यार के किस्से भी काफी सुर्खिया बटोरते थे| सुरैया के बाद उनकी रिलेशन जीनत अमाँन से भी रही| लेकिन एक बात देव आनंद साहब के साथ हमेशा बनी रही और वो ये की उनकी कोई भी मोहब्बत कभी मुकम्मल नहीं हो पाई|

देव आनंद साहब के सहयोगी रहे श्री मोहन चूड़ी वाला एक इंटरव्यू में बताते हैं, की देव आनंद इंदिरा गांधी से उस वक्त नाराज हो गए जब उन्होंने इमरजेंसी का ऐलान किया| इमरजेंसी के दौरान देव आनंद को कांग्रेस ने एक राजनैतिक समारोह में आमंत्रित किया| परंतु विरोध स्वरूप देव आनंद समारोह में नहीं गए|

देव आनन्द ने क्यों किया विरोध

इसके बाद देव आनंद के गाने और फिल्मों को बैन कर दिया गया| दूरदर्शन और विविध भारती पर ना तो उनके गाने बजाते थे,और ना ही फिल्में चलती थी| तब उन्होंने तत्कालीन सूचना और प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ल से इस बात को लेकर अपना विरोध दर्ज कराया|

Dev Anand दिल्ली गए और बकायदा उनसे कहा की क्या लोकतंत्र में उनको अपने हिसाब से रहने और बोलने का अधिकार नहीं है| उनके इस विरोध का असर ये हुआ की मुंबई आते ही उनके गानों और फिल्मों पर से बैन हट गया|

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लेकिन देव आनन्द का विरोध अभी भी जारी था| उन्होंने नेशनल पार्टी ऑफ इंडिया का गठन किया चुनाव लड़ने का फैसला किया| और उन्होंने सोचा था की लोग उनके साथ जुड़ेंगे और देश की तस्वीर बदलेगी, लेकिन समय कम होने की वजह से वो मन चाहे उम्मीदवार नहीं खोज पाए| और उस पार्टी को वही खत्म कर दिया| वो एक बार फिर फिल्म निर्माण के क्षेत्र में उतर गए| फिल्म निर्माण के क्षेत्र में देव आनंद अपनी ही धुन में रहा करते थे|

देव आनंद ने 88 साल की उम्र में भी बतौर हीरो एक फिल्म की थी जिसका नाम था चार्ज शीट देव आनन्द साहब ने 4 दिसंबर 2011 को लंदन में आखिरी सांस ली| देव आनंद साहब की जाने के बाद अपनी फिल्मों के जरिए वो हमारी बीच मौजूद है|

उनके चाहने वाले आज भी उन्हें उतनी ही शिद्दत से याद करते हैं| जितनी शिद्दत से वो उन्हें चाहा करते थे|  कैसा लगा आपको सदाबहार अभिनेता देवानंद की जिंदगी का ये सफर.

Riyajuddin Ansari
Riyajuddin Ansari
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