Dilip Kumar: दिलीप कुमार के ऑटोग्राफ लेने के लिए लग गए 46 साल

Dilip Kumar (दिलीप कुमार) एक ऐसे एक्टर जो गलती से फिल्मों में आ गए, परिवार का नाम ना खराब हो इसलिए अपना नाम बदल लिया| हिंदी सिनेमा को नई ऊंचाई पर लेकर गए| भारत में मेथड एक्टिंग लेकर आए, अच्छा काम करने की भूख ऐसी की 50 साल से ज्यादा लंबे करियर में मात्र 65 फिल्में की|

मगर उन गिनी चुनी फिल्मों से उन्होंने एक्टर्स की कई खेत को प्रेरित किया, वैसे तो उन्हें इंडिया का हर एक्टर अपना आइडल बताता है| मगर आज बात उन एक्टर्स की जिन्होंने सही मायने में Dilip Kumar जी को अपना गुरु माना,Manoj Kumar (मनोज कुमार) वह एक्टर जिन्होंने दिलीप कुमार की वजह से नाम बदल लिया|

हरिकिशन गिरी गोस्वामी ने बदला अपना नाम

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1947 में 9 साल के हरिकिशन गिरी गोस्वामी ने Dilip Kumar की जुगनू फिल्म देखी इसके बाद तय किया कि वह बड़े होकर एक्टर बनेंगे| 2 साल बाद दिलीप साहब की नई फिल्म शबनम रिलीज हुई| हरिकिशन यह फिल्म देखने गए और दिलीप कुमार जी के किरदार से काफी इंप्रेस हो गए|

इस फिल्म में Dilip Kumar जी के किरदार का नाम मनोज था| हरिकिशन कोस्वामी ने तय किया कि जब एक्टर बनेंगे तो अपना नाम मनोज रखेंगे| इस एक्टर को दुनिया आज Manoj Kumar के नाम से जानती है| जो आदमी दिलीप कुमार जी को अपना गुरु मानता था, जाहिर तौर उसका सपना रहा होगा कि किसी दिन अपने आइडल के साथ काम करें|

Manoj Kumar जी का यह सपना 1968 में पूरा हुआ, जब वह Dilip Kumar जी के साथ भीम सिंह डायरेक्टेड फिल्म आदमी में नजर आए| 1976 में आई असित सेन की बैराग में काम करने के बाद दिलीप कुमार जी ने फिल्मों से ब्रेक ले लिया|

1980 में दिलीप साहब को मनोज कुमार जी का फोन आया वह चाहते थे कि, उनकी अगली फिल्म में Dilip Kumar जी  काम करें, दिलीप कुमार जी ने उन्हें अपने घर बुलाया मगर मनोज कुमार फौरन उनके घर नहीं गए| उन्होंने पहले अपनी फिल्म की स्क्रिप्ट पूरी की|

जब वह दिलीप कुमार जी को 3 घंटे का स्क्रिप्ट देने उनके घर पहुंचे तब दिलीप कुमार जी के पास समय नहीं था, क्योंकि वह अपने भाई से मिलने अस्पताल जा रहे थे| मनोज कुमार जी ने उन्हें 2 मिनट के भीतर अपनी फिल्म की कहानी सुनाई| के लिए 46 साल इंतजार करना पड़ा

एक ऑटोग्राफ के लिए 46 साल इंतजार करना पड़ा

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Dilip Kumar जी ने इस फिल्म के लिए हां कर दी यह फिल्म थी 1981 में आई कल्ट क्लासिक मानी जाने वाली क्रांति मनोज कुमार उन चुनिंदा लोगों में से थे जिन्हें दिलीप कुमार के साथ एक्टिंग करने का भी मौका मिला| और उन्हें डायरेक्ट करने का भी|

अमिताभ बच्चन जिन्हें दिलीप कुमार जी के ऑटोग्राफ के लिए 46 साल इंतजार करना पड़ा अमिताभ बच्चन अपने करियर में कई बार कह चुके हैं| उनके फिल्मों में आने के पीछे की वजह Dilip Kumar जी रहे हैं| वह बचपन से चोरी छुपे उनकी फिल्में देखने जाया करते थे|

हालांकि तब उनके जहन में यह बात नहीं थी कि वह बड़े होकर एक्टर बनेंगे मगर उनके मन में दिलीप कुमार जी के लिए बहुत सम्मान था| यह रिस्पेक्ट 10 गुणा और बढ़ गई, जब उन्होंने दिलीप कुमार की गंगा जमुना देखी|

एक तरह से उन्होंने इस फिल्म को स्टडी करना शुरू कर दिया, इसके पीछे की वजह अमिताभ जी ने एक अवॉर्ड शो के दौरान बताई, उन्होंने कहा मेरे लिए यह कल्पना करना बेहद मुश्किल था कि जो आदमी कभी उत्तर प्रदेश नहीं गया वह अवधी भाषा के शब्दों को इतनी सफाई और पूरे अनुमान से उसके साथ कैसे उच्चरित कर सकता है|

2009 में Dilip Kumar जी जन्मदिन पर अमिताभ बच्चन ने उनके साथ अपनी पहली मुलाकात का किस्सा बताया 1960 में अमिताभ अपने माता-पिता के साथ मुंबई घूमने आए थे| वह साउथ मुंबई के एक बड़े रेस्टोरेंट में गए हुए थे| उसी समय वहां दिलीप कुमार आ गए| अमिताभ दौड़ते हुए पास की स्टेशनरी की दुकान पर गए और ऑटोग्राफ बुक खरीद लाए|

दिलीप जी की ओर से अमिताभ जी को एक लेटर मिला

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लोगों की भीड़ के बीच ऑटोग्राफ बुक हाथ में लिए उन्होंने कई बार दिलीप साहब को आवाज़ लगाई मगर उनकी आवाज दिलीप साहब तक नहीं पहुंची थोड़ी देर बाद Dilip Kumar वहां से चले गए| निराशा और एम्बेरस्ड अमिताभ वहीं रह गए| उन्हें लग रहा था कि अब उनके दोस्त उनका मजाक उड़ाएंगे|

इस घटना के 46 साल बाद यानी 2006 में अमिताभ की फिल्म ब्लैक के प्रीमियर पर Dilip Kumar और सायरा बानो पहुंचे फिल्म देखने के बाद सब लोग अमिताभ को उनके शानदार अभिनय के लिए बधाई दे रहे थे| मगर दिलीप कुमार थियेटर से बाहर निकलकर एक साइड में खड़े हो गए|

लोगों से निपटने के बाद अमिताभ, दिलीप कुमार के पास पहुंचे दिलीप साहब ने अमिताभ का हाथ पकड़ा और उनकी आंखों में देखने लगे वह अमिताभ से बिना कुछ कहे वहां से चले गए| 2 दिन बाद अमिताभ के घर एक खत आया यह दिलीप कुमार की ओर से अमिताभ को अप्रिशिएसन लेटर था|

इसमें अमिताभ की काम की तारीफ करने के बाद नीचे दिलीप कुमार ने साइन किया हुआ था| अमिताभ ने इस लेटर को अपने सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा कि दिलीप साहब का ऑटोग्राफ लेने का सपना 46 साल बाद पूरा हो गया|

ऐसे तमाम किस्से हैं इन दोनों लीजेंड्स के मगर हम आपको एक आखरी किस्सा सुना कर अपनी कहानी  आगे बढ़ाएंगे एक बार देर रात अमिताभ दिग्गज राइटर जोड़ी सलीम जावेद के साथ बैठे थे| अचानक इनका मन किया कि Dilip Kumar से मिलने चला जाए|

एक ऐसा बदकिस्मत एक्टर जिसका सपना अधुरा रह गया

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अमिताभ ने समय देखा तो रात के 2:00 रहे थे उन्हें लगा कि यह सही समय नहीं है किसी घर जाने का मगर दोस्तों की जोर जबरदस्ती के बाद यह लोग कार में बैठकर Dilip Kumar के घर चल दिए| वहां पहुंच कर बताया कि वह सिर्फ दिलीप कुमार जी से मिलने आए हैं|

उनसे मिलकर तुरंत चले जाएंगे दिलीप कुमार नींद से जाकर अमिताभ और सलीम जावेद से न सिर्फ मिले बल्कि सारी रात बैठकर उनके साथ बात चीत करते रहे| दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन ने अपने करियर में सिर्फ एक फिल्म में साथ काम किया, वह फिल्म थी रमेश सिप्पी डायरेक्टेड शक्ति उसके बाद या उससे पहले इन दोनों सुपरस्टार्स ने किसी फिल्म पर कोलैबोरेट नहीं किया|

Dilip Kumar (दिलीप कुमार) के गुजरने पर अमिताभ ने कहा कि जब भी हिंदी सिनेमा का जिक्र होगा उसे दिलीप कुमार से पहले और दिलीप कुमार के बाद दो काल खंडो में तोड़कर देखा जाएगा|

Dharmendra (धर्मेंद्र) वह बदकिस्मत एक्टर जो लाख कोशिशें के बावजूद भी Dilip Kumar के साथ काम नही कर पाए| धर्मेंद्र, दिलीप कुमार की एक फिल्म देखने के बाद एक्टर बनने बंबई चले आए| उनका सपना था कि वह अगले दिलीप कुमार बने|

मगर उन्हें लीड रोल तो क्या कोई फिल्म मेकर साइड रोल में भी कास्ट करने को तैयार नहीं था| इस दौरान धर्मेंद्र को कई रातें भूखे पेट गुजारनी पड़ी| वह वापस पंजाब जाना चाहते थे मगर उन्हें मनोज कुमार ने रोक लिया अगले कुछ समय में धर्मेंद्र इंडिया के टॉप लीडिंग एक्टर्स की लिस्ट में शामिल हो गए|

धर्मेन्द्र जी का सपना पूरा होते, होते रह गया

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बहुत बड़े स्टार बन गए मगर Dilip Kumar के साथ काम करने की इच्छा अब भी अधूरी थी| 1968 में दिलीप कुमार को लेकर आदमी नाम की फिल्म बन रही थी| इसमें उनके साथ एक और बड़े हीरो को कास्ट किया जाना था| धर्मेंद्र ने बहुत कोशिश की की यह फिल्म उन्हें मिल जाए|

मगर इस फिल्म में मनोज कुमार को कास्ट कर लिया गया जो कि खुद दिलीप कुमार के बड़े फैन थे| साथ ही मनोज की धर्मेंद्र से भी अच्छी दोस्ती थी| क्योंकि उन्होंने ही धर्मेंद्र को पंजाब लौटने से रोका था| इस मौके को हाथ से जाते देख धर्मेंद्र को बहुत निराशा हुई|

मगर वह मनोज कुमार के लिए खुश थे 1980 में BR चोपड़ा ने चाणक्य चंद्रगुप्त नाम की एक फिल्म शुरू की फाइनली इस फिल्म में दिलीप कुमार के साथ धर्मेंद्र को कास्ट किया गया, दिलीप साहब चाणक्य और धर्मेंद्र चंद्रगुप्त मौर्य का रोल करने वाले थे|

धर्मेंद्र इसलिए भी बहुत एक्साइटेड थे क्योंकि BR चोपड़ा अपने राइटर के साथ होने वाली मीटिंग में धर्मेंद्र को भी शामिल करते थे, सब कुछ सेट था और इस फिल्म की शूटिंग जल्द ही शुरू होने वाली थी| मगर किसी फाइनेंशियल क्राइसिस की वजह से प्रोड्यूसर ने यह फिल्म बंद कर दी|

धर्मेंद्र का Dilip Kumar (दिलीप कुमार) के साथ काम करने का सपना एक बार फिर पूरा होते-होते रह गया, 90 के दशक में दिलीप कुमार अपने करियर की पहली फिल्म डायरेक्टर करने जा रहे थे| इस फिल्म का नाम था कलिंगा, इस फिल्म में दिलीप कुमार के साथ अमज़द खान, जैकी श्रॉफ, राज किरण और राज बब्बर जैसे ऐक्टर्स काम कर रहे थे|

कलिंगा फिल्म बनने के बाद भी रिलीज नही हो पाई

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धर्मेंद्र चाहते थे कि वह किसी भी हालत में इस फिल्म का हिस्सा बने उन्होंने दिलीप साहब से रिक्वेस्ट की कि उन्हें अपनी फिल्म में काम करने दें, मगर Dilip Kumar ने कहा कि उनकी फिल्म में ऐसा कोई रोल नहीं है जो धर्मेंद्र कर सकें, एक ही रोल है वह है जस्टिस कलिंगा यानी दिलीप कुमार के किरदार के बेटे का|

मगर धर्मेंद्र की उम्र ज्यादा होने की वजह से यह किरदार उन पर ठीक नहीं लगेगा धर्मेंद्र ने कहा कोई बात नहीं इस फिल्म में मेरे बेटे सनी को ले लीजिए| Dilip Kumar अपनी फिल्म में सनी देओल को कास्ट करने को तैयार हो गए| सनी तब तक लीडिंग रोल में कई रोमांटिक और एक्शन फिल्में कर चुके थे|

कलिंगा में जो रोल उन्हें मिल रहा था वह थोड़ा नेगेटिव शेड लिए हुए था| इसलिए सनी ने इस फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया| फिल्म बनकर तैयार होने के बावजूद किन्हीं दिक्कतों की वजह से कलिंगा कभी रिलीज नहीं हो पाई|

इसके बाद से दिलीप कुमार की तबीयत बिगड़ गई उन्होंने काम करना बंद कर दिया यह सुनकर धर्मेंद्र का दिल टूट गया| उनका दिलीप कुमार के साथ काम करने का सपना हमेशा के लिए अधूरा रह गया|

Riyajuddin Ansari
Riyajuddin Ansari
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