यदि आप 15-20 साल जिंदा रह गए तो आप 1 लाख से ज्यादा फैक्ट्रीयो को बंद होते हुए देखेंगे एंप्लॉयज को बेरोजगार होते हुए देखेंगे, आप हर शहर में 100 से ज्यादा डीलर डिस्ट्रीब्यूटर रिटेलर को बंद होते हुए देखेंगे|
क्योंकि जो आंकड़े बता रहे हैं वह यह बता रहे हैं कि अगले 15-20 साल में Petrol-Diesel Vehicles चलने वाली गाड़ियां साफ हो जाएगी| कैसे साफ होंगी कितनी साफ होंगी यह हम आगे बताते है| जिन लोगों को लग रहा है कि ईवी पूरी तरीके से डोमिनेट करेगी तो ईवी भी आधी साफ हो जाएगी|
आज की इस कहानी में, पेट्रोल और डीजल कारो के प्लस माइनस की, और ईवी के प्लस माइनस की और तीसरी कैटेगरी है, जिसके बारे में आप आज नहीं जान रहे हैं, लेकिन ऑलरेडी उसकी कमर्शियल गाड़ियां सड़कों पर आ चुकी है|
ईवी को कौन साफ करने वाला है?
बहुत जल्दी उसका प्रवेश हिंदुस्तान में होने वाला है, और वह तो भाई पूरा तंबू उखाड़ देगा, सबसे पहले शुरू करते हैं पेट्रोल और डीजल गाड़ियों का क्या एडवांटेज है| दुनिया जहान के कोने-कोने में इनकी कंपनी लगी हुई है| इनके डीलर्स डिस्ट्रीब्यूटर इनका सारा का सारा इकोसिस्टम सेट है| Petrol-Diesel Vehicles

Advantages of Petrol-Diesel Vehicles
Established Ecosystem | Quick Refuelling |
Over 95% of Fuelling Infrastructure in Place | Takes Minutes |
हर जगह पेट्रोल, डीजल मिल जाता है तो इनको रिफ्यूलिंग में बहुत आसानी पड़ती है पेट्रोल, डीजल ट्रांसपोर्टेशन की डिसएडवांटेज क्या है| Petrol-Diesel Vehicles
सारी दुनिया जैसे-जैसे एनवायरनमेंट सेंसिटिव होती चली जा रही है, सबको ये साफ-साफ समझ आ रहा है कि ट्रांसपोर्टेशन से जुड़ा 70% पोल्यूशन इन गाड़ियों की वजह से पैदा हो रहा है, तो इस वजह से विकसित देश इनको बंद करते चले जा रहे हैं|

दूसरा सबसे बड़ा डिसएडवांटेज है, इकोनॉमिक लोड, हर देश में पेट्रोल, डीजल पैदा नहीं होता जहां-जहां पैदा नहीं होता उनके इंपोर्ट्स का बहुत बड़ा हिस्सा या,ये भी कह ले इकोनॉमी की कमर तोड़ देने वाला हिस्सा पेट्रोल डीजल में जाता है| साथ-साथ पेट्रोल डीजल का कॉस्ट बढ़ता चला जा रहा है तो एक कॉमन आदमी भी चाहता है कि कोई लो कॉस्ट अल्टरनेटिव मिले |
Disadvantages of Petrol-Diesel Vehicles
Environmental Havoc | Import Load | Fuel Price | Policy Pressure |
72% of related CO2 Emissions | Over $1 Trillion Annually | Surged by 30% in the last decade | 30 Countries will restrict fossil-fuel cars by 2030 |
और सबसे चौकाने वाली बात 30 देशों ने तय कर लिया है कि 2030 के बाद उनके देश में पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहन नहीं बिकेंगे, तो बड़ा सवाल है कि पेट्रोल, डीजल वाली गाड़ियों का भविष्य क्या होगा इन गाड़ियों से जुड़े डायरेक्ट और इनडायरेक्ट व्यापार में जो लाखों करोड़ों लोग काम कर रहे हैं अरबों खरबों की पूंजी लगी है उसका क्या होगा|
पेट्रोल, डीजल पंप को लगवाना पड़ सकता है, ईवी के चार्जिंग पॉइंट

आईसी इंटरनल कंबशन इंजन बनाने में जितनी भी यूनिट्स लगे हैं लगभग 15 से 20 मिलियन लोग लगे हैं| जो इस इंजन के अलग-अलग पार्ट्स बनाते हैं| यह इंजन धीरे-धीरे बंद हो जाएगा, और 2035 तक इस सेक्टर में काम करने वाले 70% लोग बेरोजगार हो जाएंगे| Petrol-Diesel Vehicles
और सिर्फ स्पेयर पार्ट्स ही नहीं यदि आप ऑयल और लुब्रिकेंट्स में भी डील करते हैं तो उस इंडस्ट्री में भी इंपैक्ट आएगा क्योंकि ईवी गाड़ियों में स्पेयर पार्ट्स बहुत कम होते हैं और लुब्रिकेंट मिनस्क्यूल मात्रा में लगता है|
और यदि इसका लार्जर इंपैक्ट सोचा जाये तो कहीं ना कहीं पेट्रोल पंप, डीजल पंप जो हर सड़क में लगे होते हैं उनकी सेल्स पर भी इंपैक्ट आएगा हां वह एक तरीके से बच सकते हैं यदि अपने पेट्रोल, डीजल पंप में वो ईवी के चार्जिंग स्टेशन बना ले|
ईवी कार ईवी टू व्हीलर ईवी मोटरसाइकल ईवी बस चारों तरफ ईवी, ईवी का हंगामा है| तो ईवी का तंबू कौन उखाड़े लेकिन उसके पहले ईवी की तारीफ तो कर लें, सबसे बड़ा प्लस इकोनॉमिकली चीपर चलाने में लगभग 70% कम खर्चा लगता है|
जो आम आदमी होता है उसका जो फ्यूल पर एक्सपेंस हो रहा है वो बच रहा है| ईवी अपने सस्ता होने की वजह से बहुत तेजी से लोगों को पसंद आ रही है| Petrol-Diesel Vehicles
Advantages of Electric Vehicles
Economically Cheaper | Explosive Growth | EVs are Clean |
---|---|---|
70% cheaper to run than petrol-diesel cars | Surged by 85% globally in 2023 | 60% cleaner |
सबसे बड़ा कारण ग्रीन अपील
दुनिया की हर ऑटोमोबिल कंपनी चाहे वह किसी भी किस्म का ट्रांसपोर्टेशन बनाती हो वह कैसे भी ईवी की फील्ड में घुसने और सक्सेसफुल होने का रास्ता तलाश रही सबसे बड़ा कारण ग्रीन अपील ईवी पैदा क्यों हुई| Petrol-Diesel Vehicles

ईवी पर रिसर्च क्यों की गई क्योंकि देखा गया भाई यह जो ट्रांसपोर्टेशन रात दिन बढ़ रहा है| छोटी गाड़ियां बड़ी गाड़ियां एक घर में एक गाड़ी दो गाड़ी तीन गाड़ी हर मेंबर के पास एक गाड़ी किसी-किसी घर में हर मेंबर के पास दो-दो तीन-तीन गाड़ियां सड़कें गाड़ियों से पट रही है| Petrol-Diesel Vehicles
जितना डेवलपमेंट होगा उतना ट्रांसपोर्टेशन बढ़ेगा तो ऐसे में तो धरती खत्म हो जाएगी एनवायरमेंट की बैंड बज जाएगी तो कोई क्लीनर ऑप्शन चाहिए ऐसे में ईवी का जन्म हुआ इसीलिए सरकार इसका साथ दे रही है| ईवी पेट्रोल डीजल गाड़ियों की तुलना में लगभग 60% ज्यादा क्लीन होती है| Petrol-Diesel Vehicles
और यही कारण है ईवी के फास्ट एडॉप्शन का लेकिन रुक जाइए ईवी का बाप आ रहा है| जो धुआ ही नहीं छोड़ता तो रुकिए कुछ लोग पूछते हैं, क्या ईवी में कोई डिसएडवांटेज नहीं है, क्या दुनिया में कोई ऐसा प्रोडक्ट हो भी सकता है जिसका कोई डिसएडवांटेज ना हो| Petrol-Diesel Vehicles
तब तो उस सेक्टर में ग्रोथ ही रुक जाएगी ईवी की भी कुछ डिसएडवांटेजेस हैं सबसे पहले हाई एंट्री कॉस्ट तो ईवी लेते वक्त ही 20 से 50% महंगी पड़ती है| तो जिन लोगों को कम चलना है जिनका मूवमेंट कम है वह सोचते हैं, यार मैं तो अपनी लाइफ टाइम में भी इस डिफरेंस को नहीं निकाल पाऊंगा तो ऐसे लोग पेट्रोल डीजल की जगह ईवी लेने से कतराते हैं|
दूसरा डिसएडवांटेज है लैक ऑफ चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर आप अपनी कार लेके निकल गए पता चला की 200, 300 किमी. तक कुछ चार्जिंग नहीं मिला अब आपकी कार तो ठंडी हो गई क्या करोगे दूसरा फ्यूल भराना में क्या होता है 10 मिनट 5 मिनट 1 मिनट में आप टैंक फुल हो जाते हैं| Petrol-Diesel Vehicles
बिना लिथियम वाली बैटरी
लेकिन ईवी का जो चार्जिंग टाइम है उसके लिए आपको कहीं ना कहीं 4 घंटे 5 घंटे रुकना पड़ता है| हालांकि बहुत तेजी से टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट हो रहा है, और इस वजह से जो पहले ओवरनाइट चार्जिंग की बात थी वो 10 घंटे रह गई 8 घंटे रह गई 6 घंटे रह गई 4 घंटे 2 घंटे तक भी आ गई है लेकिन उसी अनुपात में फिर उनका कॉस्ट भी बढ़ा है|

Disadvantages of Electric Vehicles
EVS are Costly | Infrastructure Gaps | Lithium Challenge |
25-40% costlier than petrol-diesel vehicles | 70% deficit in charging stations | It’s mining tripled in 5 yrs, raising concerns |
आज की डेट में ईवी चलाने वाले व्यक्ति को चिंता करनी पड़ती कि मैं चार्ज कहां से करूंगा हालांकि धीरे-धीरे जब खूब कंपनियां ईवी बनाने लग जाएगी और सब अपने-अपने चार्जिंग स्टेशंस लगाएगी और यह सारे चार्जिंग स्टेशंस आपस में शेयर करेंगे यहां तक कि रास्ते में बिजनेसेस के रूप में लोग पर्सनल चार्जिंग स्टेशन लगाएंगे तो धीरे-धीरे उम्मीद है कि यह प्रॉब्लम हल होगी|
लेकिन आज की डेट में चार्जिंग एक चैलेंज है किसी ने कहा इतनी ईवी चलाओगे इतनी बैटरी लगाओगे तो भाई लिथियम कहां से लाओगे, लिथियम दुनिया में कुछ देशों के पास पास है| वर्तमान में जो टेक्नोलॉजी चल रही है वो मोस्टली लिथियम डोमिनेटेड टेक्नोलॉजी है| Petrol-Diesel Vehicles
ऐसे में बैटरी बनाना अपने आप में एक चैलेंज है जैसे पहले पेट्रोल डीजल के साथ कुछ देशों ने पूरे बाजार पर कब्जा करके रखा था वैसे ही धीरे-धीरे ऐसी स्थिति बन रही है कि जिनके पास लिथियम है वो राजा बन गए हैं| तो आज की डेट में वो राजा है आज की डेट में बैटरी जो आ रही है उसके साथ बहुत सारे चैलेंजेबल चल रहा है| Petrol-Diesel Vehicles
लेकिन यहां पर एक सिल्वर लाइनिंग ये है| इसमें भी तेजी से टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट हो रहा है और ऐसी बैटरी बनाने का प्रयास किया जा रहा है जो लिथियम डिपेंडेंट ना हो | तो अब बड़ा सवाल ईवी का फ्यूचर क्या रहेगा|
ईवी का फ्यूचर क्या रहने वाला है
अभी ईवी का फ्यूचर बल्ले-बल्ले है क्योंकि सारी सरकारें ईवी को प्रमोट करने पर लगी है 2035 तक दुनिया में ईवी रूल करने लग जाएगी बहुत सारे देशों से फॉसिल फ्यूल सेने की पेट्रोल डीजल वाली गाड़ियां बंद हो जाएगी|

और एक शॉकिंग स्टेटिस्टिक्स जो EV का मार्केट 2023 में 60 बिलियन डॉलर का है वह 2035 आते-आते यानी महज 10 से 12 साल में 300 बिलियन डॉलर यानी लगभग पाच गुना होगा और यह भी एक कंजरवेटिव एस्टिमेट है|
और अब वो रहस्य खोलने का टाइम आ गया है, जिसको जानकर आप चौक जाएंगे| आने वाले समय में ईवी को जो सबसे बड़ा चैलेंज है वह जापान से है| जापान की टोयोटा ने कहा हमको पेट्रोल, डीजल गाड़िया नही चाहिए|
और नाही लॉन्ग ड्राइव में एव वाली गाड़ी चाहिए, क्योकि EV की बैटरी बनाना भी अपने आप में चुनौती होगी| तो उन्होंने चुना हाइड्रोजन को और पहले से हाइड्रोजन पॉवर मीराई जापान की सड़कों पर बड़ी तादाद में दौड़ रही है| यह मत सोच लेना यह तो कब बनेगी और कब बाजार में आएगी हुंडई की नेक्सो नाम की गाड़ी भी सड़क पर आ चुकी है|
BMW भी लगभग दरवाजे पर खड़ी है हाइड्रोजन की कार लेके इसका सबसे बड़ा एडवांटेज क्या है|ये एमिसन के रूप में महज वाटर वेपर छोडती है ये धुआ नही ये किसी भी किसम का पोलुशन नही गैस नही सिर्फ और सिर्फ वाष्प छोडती है,जिससे पोल्यूशन 0% होता है| Petrol-Diesel Vehicles
Advantages of Hydrogen Vehicles
Top Clean Energy | Fast Refuelling | Heavy-Duty Potential |
Emits only water vapour | Refuelling in under 5 min. | Ideal for like trucking, shipping & aviation |
हाइड्रोजन वाली गाडियों पर एलोन मस्क की टिप्पणी

हाइड्रोजन कार ईवी से कहां जीतेगी रिफ्यूलिंग टाइम पर जीतेगी एक गाड़ी में फुल हाइड्रोजन भरने में महज तीन से 4 मिनट लगता है| ईवी तो छोड़िए पेट्रोल डीजल से कम समय में यह गाड़ी रिफ्यूल हो जाती है| दुनिया में जो हाइड्रोजन कार के विरोधी भी है ना वो भी कहते हैं एक जगह तो हाइड्रोजन कार पक्का बाजी मारेगी वो है हैवी ड्यूटी ट्रांसपोर्टेशन|
हैवी शिप्स हैवी बसेस हैवी ट्रक्स और फ्लाई वाला भी कुछ मामला हो सकता है इन सब में हाइड्रोजन कार आगे निकल जाएगी क्योंकि ईवी की चुनौती है रेंज ईवी की चुनौती है बैटरी का पावर जितना ज्यादा पावर जितनी ज्यादा रेंज चाहिए उतनी बड़ी और वजनी बैटरी चाहिए| Petrol-Diesel Vehicles
और इसी हैवी शिपिंग हैवी ड्यूटी वर्क में हाइड्रोजन निर्विरोध विजेता बनेगा| तो फिर वही सवाल उठता है क्या हाइड्रोजन कार में कोई डिसएडवांटेज नहीं है अरे ऐसा कोई प्रोडक्ट बन ही नहीं सकता जिसमें कोई डिसएडवांटेज ना हो इलोन मस्क कहते हैं पूरी की पूरी हाइड्रोजन की अवधारणा फूलिश अवधारणा है|
Disadvantages of Hydrogen Vehicles
Industry Doubt | Hardly any Infrastructure | Economic Hurdle |
Musk called hydrogen cars “stupid” due to inefficiency | Less than 1,000 refuelling stations globally | Green hydrogen costs $5-$6/Kg higher than fossil fuels |
क्या होगा हाइड्रोजन का भविष्य
क्योंकि इसमें बैटरी बनाने से कई गुना ज्यादा एनर्जी लगती है तो कई गुना ज्यादा एनर्जी लगाने की जगह सीधे बैटरी से चला लो, दूसरा बहुत बड़ी डिसएडवांटेज जो कि अभी तत्कालीन डिसएडवांटेज गिनी जा सकती है जैसे-जैसे सेक्टर बढ़े ये डिसएडवांटेज कम होगी| Petrol-Diesel Vehicles

इंफ्रास्ट्रक्चर चैलेंज आज की डेट में पूरी दुनिया में महज 1000 फिलिंग स्टेशंस है हाइड्रोजन के कब यह हाइड्रोजन के फिलिंग स्टेशन पूरी दुनिया में जाएंगे कब यह टेक्नोलॉजी दूसरी कार कंपनियां अपनाएंगे सरकार इनके साथ कैसे बिहेव करेगी इनको सब्सिडी मिलेगी कि नहीं एक अकेली कंपनी पूरी दुनिया में क्रांति नहीं ला सकती|
पच्चासो ऑटोमोबिल कंपनियां जब ईवी बना रही है, तो वह अपने-अपने जुगाड़ से अपने-अपने प्रेशर से अपनी-अपनी लॉबिंग से मेरिट से वो अलग-अलग देश देशों में ईवी के लिए सब्सिडीज घोषित करवा रही है| लेकिन हाइड्रोजन कार्स की टेक्नोलॉजी इस वक्त दुनिया में दो-तीन कंपनियों के पास लिमिटेड है| Petrol-Diesel Vehicles
तो दुनिया की अधिकांश कंपनियां अगले 30 से 50 साल ईवी पर फोकस करना चाहेगी| और ऐसे में इंफ्रास्ट्रक्चर को उस मात्रा में खड़ा करना और बड़ा करना बहुत बड़ा चैलेंज होगा| लेकिन यह कोई नहीं बता सकता तीन से 5 साल में क्या परिवर्तन आ जाए| Petrol-Diesel Vehicles

एक बात तो निश्चित है हैवी ड्यूटी ट्रांसपोर्टेशन में हाइड्रोजन रिप्लेस कर सकता है| लेकिन टू व्हीलर फोर व्हीलर में इसकी बैंड बजेगी और भारत जैसे कॉस्ट कॉन्शियस देशों में पक्का बजेगी उसका कारण यह है कि यह फॉसिल फ्यूल, मतलब पेट्रोल डीजल से भी थोड़ा ज्यादा कॉस्टली है| Petrol-Diesel Vehicles
लगभग 5 से 6 डॉलर पर किलोग्राम इनका कॉस्ट ज्यादा है| तो इस वजह से इनके स्मॉल ट्रांसपोर्टेशन अडॉप्टेशन में बहुत बड़ा चैलेंज आएगा| Petrol-Diesel Vehicles
अगले 10 से 15 साल में हैवी शिपिंग का 30 से 40% बाजार हाइड्रोजन पावर्ड ट्रांसपोर्टेशन के पास होगा और एक शॉकिंग स्टेटिस्टिक्स आपको बता दूं 2040 तक दुनिया की 25% ट्रक्स हैवी ड्यूटी ट्रक्स हाइड्रोजन से चलेंगी ऐसा विरोधी भी मान रहे हैं|