जब Tata Motors टाटा ने जगुआर और लैंड रोवर को खरीद लिया था 2.7 बिलियन 9200 करोड रुपए में यह कोई नार्मल बिजनेस ट्रांजैक्शन नहीं था यह भारतीयों के लिए गर्व की बात थी|
फोर्ड जो दुनिया की सेकंड लार्जेस्ट कार मेकर है और वो जगुआर लैंड रोवर को प्रॉफिट में नहीं ला पाई और रतन टाटा जी ने कैसे प्रॉफिट में ला कर दिखाए उसको फोर्ड जिसने कभी Tata Motors टाटा का अपमान किया था टाटा Tata Motors ने वही चीज वापस खरीद के कैसे बदला लिया और तारीख की बात करेंगे फैक्ट की बात करेंगे यह केस स्टडी हर उस भारतीय के लिए जिसको Tata Motors टाटा से प्यार है|

हर उस बिजनेसमैन और बिजनेस के स्टूडेंट के लिए जो जानना चाहता है कि लॉस में चीज आती कैसे और लॉस में आती है तो उसको फिर प्रॉफिट में लेकर कैसे जाते हैं यह केस स्टडी आपको सिखाएगा की कैसे अपने एम्पलाई का और आसपास के लोगों का दिल जीता जाता है|
यह कहानी है Tata Motors यह कहानी है देश और सम्मान की
कहानी है Tata Motors की रतन टाटा जी की टाटा मोटर्स ने कहा इंडियन मार्केट में तो हमने काफी रूल कर लिया अभी भी बहुत सारी स्कोप बाकी है लेकिन अगर Tata Motors टाटा मोटर्स को एक इंटरनेशनल ब्रांड बनाना है ग्लोबल मार्केट में जाना पड़ेगा और ग्लोबल मार्केट में जाने में सबसे जो डेवलप्ड मार्केट है US मार्केट वहां पर एंट्री करनी पड़ेगी|
लेकिन US जैसे डेवलपमेंट मार्किट में जीरो से ब्रांड को बनाना बहुत ज्यादा खर्च का काम है और वहां के डेवलप मार्केट के जो कस्टमर है उनकी एक्सपेक्टेशन भी बहुत ऊपर होती है तो उनको मैच करना भी कोई साधारण बात नहीं है तो एक ही तरीका था कि वहां की जो ऑलरेडी कंपनी या कोई ऑलरेडी ब्रांड वहां पर बिकता हो उसको खरीद के ही काम किया जा सकता था तो Tata Motors इस इंतजार में था कि कोई ऐसा बढ़िया ब्रांड मिले जिनको हम खरीद सके| Tata Motors
और ये मौका मिला उनको 12 जून 2007 को जब फोर्ड ने ऑफीशियली अनाउंस किया कि हमारे जो दो ब्रांड है जगुआर और लैंड रोवर इनको हमको बेचना है अब बात करते हैं फोर्ड जैगवार और लैंड रोवर को आखिर बेचना क्यों चाहता था|
और यह इसने खुद ने डेवलप किए थे या किसी और के थे तो यह ब्रांड खुद फोड़ने बनाई भी नहीं थे यह जो जागूआर ब्रांड है यह तो 1935 में बना था और उसके बाद 1989 में फोर्डनेस को खरीदा था 2.9 बिलियन खर्च करके लैंड रोवर बना था 1948 में ऑफ रेटिंग में इसको गोल्ड स्टैंडर्ड माना जाता था इसके बराबर कोई गाडी ही नहीं था यह सबसे लव ब्रांड था लेकिन प्रॉफिटेबल का चक्कर इसका ऐसा है कि बार-बार कंपनियां बदलती रही है| Tata Motors
2007 में 1 लाख करोड़ का घाटा
1994 तक बीएमडब्ल्यू ने इसको खरीद सन 2000 में फोर्ड ने बीएमडब्लू से इसको खरीद लिया अब सवाल ही आता है कि फोर्ड जैगवार और लैंड रोवर को बेचना क्यों चाहता था फोर्ड का जो खुद का मेन कार बनाने का बिजनेस है US में वही घाटे में चलने लग गया 2006 में इसको 12.6 बिलियन जो कि लगभग होता है 1 लाख करोड़ का घाटा हुआ 2007 में 2.6 बिलियन का घाटा हुआ तो फोड़ने कहा पहले अपना जो मेन काम US में है जिसके वजह से जाने जाते हैं|

उसको तो संभाल ले और ये दो ब्रांड के चक्कर में डिस्ट्रक्शन हो रहा है तो इन दोनों ब्रांड को निकालो कुछ थोड़े बहुत पैसे जनरेट करो और अपने मेन धंधे पर फोकस करो इसलिए इन दोनों ब्रांड को बेचना चाहता था|
और लैंड रोवर के बारे में बात करे तो यह एक आईकॉनिक ब्रांड था हमेशा प्रॉफिटेबल रहा गोल्ड स्टैंडर्ड रहा इसमें हमेशा प्रॉफिट कमाया जैगुआर की किस्मत हमेशा खराब रही जैगुआर ने किसी को प्रॉफिट कमा कर दिया ही नहीं फोर्ड ने भी जैगुआर में जबरदस्त घटा हुआ|
जब फोर्ड ने कहा कि अगर हम बेचने में निकलेंगे तो तो लैंड रोवर तो प्रॉफिटेबल है इसको तो सब ले लेंगे जैगुआर की कोई हाथ नहीं लगाएगा और हमें तो इसीआफत से मुक्ति पानी है तो फोर्ट ने भी कह दिया कि जिसको लेना है दोनों लेने पड़ेंगे तो जब फोर्ड की दो कार्स लैंड रोवर और जैगुआर का बिकने का टाइम आया तो अलग-अलग प्रदेश के महाराजा आए Tata Motors भी पहुचे महिंद्रा ऐंड महिंद्रा भी गया बहुत सारी पी फॉर्म आई जेपी मॉर्गन की पी फॉर्म आई और एकदम ऐसा लगा अलग-अलग प्रदेश के राजा अब तो देखिए कौन लेकर जाता है| Tata Motors
इस स्खरीदारी में एक शर्त थी इस जे आर के 16000 एम्पलाई थे और उनकी यूनियन बनी हुई थी तो इन्होंने कहा देखो जो पी फॉर्म है प्राइवेट इक्विटी फॉर्म है उसको तो नहीं बेचोगे हमको बेचना है ना बेच दो कंपनी बेच दो लेकिन किसी हम मोटर बनाने वाली कंपनी है तो किसी मोटर बनाने वाली कंपनी को बेचोगे ऐसे प्राइवेट इक्विटी फॉर्म को मत बेचना कि किसी को भी भेज दिया वह पता नहीं फैक्ट्री बंद कर देंगे 10 चीज कर देंगे तो उन्होंने पंगा डाल दिया|
महिंद्रा ने भी टाटा से हार मान लिया
जैसे ही यह शर्त रखी जितने भी प्राइवेट इक्विटी फंड वाले आए थे उनको तो वापस लौटना पड़ा कि यह खरीदारी तो नहीं हो सकती और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने शुरुआत में बोली लगाई पर जैसी बोली का लेवल बधा आनंद जी बोले टाटा जी से क्या भिड़ना वह भी चले गए और फाइनली फोर्ड ने भी कहा कि जितने भी कैंडिडेट आए हैं उनमें जो सबसे एलिजिबल कैंडिडेट है जो हमारे शर्तों को आसानी से मान लेगा जो हमारे एंप्लॉई को भी खुश रखेगा जिस पर भरोसा किया जा सकता है वह है Tata Motors

जो टाटा का ट्रस्ट है और जो टाटा का रिस्पेक्ट है इंडिया में नहीं पूरे वर्ल्ड में है तो जब फोर्ड ने कहा हम तो टाटामोटर Tata Motors को बेचेंगे तो टाटा मोटर्स तो ओबवियसली खुश था एम्पलाइज भी खुश हो गई यह बढ़िया डिसीजन है इंडियन गवर्नमेंट भी बहुत ज्यादा खुश थी ब्रिटिश गवर्नमेंट भी बहुत ज्यादा खुश थी टोनी प्लेयर ने तो कंग्रॅजुलेशन बोला कि अच्छा हुआ टाटा ने बेचा क्योंकि टाटा को एम्पलाई का ख्याल रखना आता है|
तो हम बड़े खुश है कि यह टाटा को यह फॉर्म विकी तो जब फोर्ड ने ये गाड़िया बेचीं टाटा को हाथ जोड़कर बिल्फोर्ड ने एक बात कही की भाई साहब आप हम पर एहसान कर रहे हैं ये गाड़िया लेकर Tata Motors
कहानी कुछ ऐसी थी कि 1998 में टाटा ने इंडिका लॉन्च की एबिंदीका लॉन्च की पर उसकी सेल बहुत डाउन थी तो उन्होंने कहा ऐसे तो काम चलना नहीं तो फोर्ड के पास गए भैया हमारा कार वाला डिवीजन आप लेलो तो उन्होंने कहा जब तुम्हे कार बनाने आती नहीं क्यों आए थे डिविजन में तुम तो बस ट्रक बनाने वाले हो बस वही बनाया करो|
ऐसा करके रतन टाटा का अपमान कर दिया था उसी फोर्ड की कंपनी का घमंड नीचे हुआ और हाथ जोड़कर कंपनी बेचनी पड़ी|
भारत के लोगो को बहुत गर्व हुआ
और फिर फाइनली 2 जून 2008 को यह डील कंपलीट हुई और जैसा हमने बताया आपको की अखबारों की हेडलाइन थी अंपायर स्ट्राइक्स बैक इंडिया रूल ब्रिटानिया जैगुआर इस नो इंडियन क्वीन के पास कोहिनूर है तो क्या हुआ लैंड रोवर जैगुआर तो हमारे पास है तो ऐसे करके इंडियन को तो बड़ा प्राउड फुल हुआ| Tata Motors

ब्रिटिश वालो से बात हुई तो उनके नागरिको ने कहा जब फोर्ड जैसी कंपनी जब लैंड रोवर को प्रॉफिट में नहीं चला सकी जैगुआर को नहीं चला सकी तो टाटा की क्या औकात है इनको तो प्रीमियम गाड़ियों का एक्सपीरियंस भी नहीं है अबये बात आपके मन में आई होगी हां यार फोर्ड लोस में थी Tata Motors ने क्यों खरीदा टाटा ने इसलिए खरीद उनको पता है प्रॉफिट में कैसे लाना है|
और कैसे लाना है यह केस स्टडी है ध्यान से पढना एक सवाल के राहुल जी अगर टाटा को खरीदना था तो यही ब्रांड क्यों खरीदें बहुत सारे कारण थे पहला कारण ब्रांड बहुत बढ़िया थे ग्लोबल लेवल पर पहचान हो गई दूसरा उनकी जो मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी थी वह एडवांस थी तो टाटा मोटर Tata Motors ने कहा उनकी खरीदेंगे प्लांट भी आएंगे तो मैन्युफैक्चरिंग भी तकनीक भी सीख लेंगे|
इनका आरएनटी सेंटर था वह भी एडवांस था तो रिसर्च एंड डेवलपमेंट जो चल रही है एडवांस वह भी मिल जाएगी फिर उनकी लैंड रोवर की जो एक्सयूवी आती है वह उनकी सफारी जो टाटा सफारी है उसका एक्सटेंडेड वर्जन है बोले हम खुद डेवलप करेंगे तो हमें जाने कितने साल लगेंगे यहाँ तो बना बनाया मिल रहा है| Tata Motors
जैगुआर और लैंड रोवर खरीदने के बाद:
आज तक टाटा ने बस बनाई चाहे ट्रक बनाई या कार वैल्यूफॉर मनी वाला बनाया लग्जरी के सेगमेंट में गए नहीं तो लग्जरी सेगमेंट में इसके थ्रू एंट्री हो गई और एक बहुत बड़ा मार्केट जो पहले बंद था अब ओपन हो गया और पूरे वर्ल्ड में ग्लोबल डीलरशिप बनी बनाई 170 कंट्री में 2600 से ज्यादा डीलर बने मिल गए तो डील सिर्फ कंपनी की नहीं हुई पूरी इकोसिस्टम की हुई की और पूरे विश्व में नाम का नाम हो गया डीलर का डीलर हो गया ट्रैग हो गया प्लांट का प्लानत हो गया सिक्योरिटी मिल गई बाकी प्रॉफिटेबल तो उसको बना लेंगे|

जगुआर लैंड रोवर को खरीदने के बाद जब पहली एम्पलाई मीटिंग हुई और सभी एंप्लॉई को संबोधित करने रतन टाटा पहुंचे तो सबके मन में एक बात क्लियर थी कि कोई हमें बताएंगे ये रहा प्लान करो फॉलो रतन टाटा जी एक अलग ही सोच के आदमी थे उन्होंने ऐसा कुछ किया ही नहीं उन्होंने कहा कोई बात नहीं सर आपकी कंपनी है आपको अच्छी चलानी आती है हम आपके मालिक नए है तो क्या हुआ ऐसा नहीं कि हम अपना रोल चलाएंगे आप और हम मिलकर कंपनी चलाएंगे|
ऐसा करके एम्पलाई का विश्वास जीत लिया और दूसरी बात रतन टाटा जी शॉप फ्लोर पर कभी-कभी घूमते घूमते रतन जी खुद चले जाते थे तो एम्पलाई शौक हो जाते हैं मालिक आ गया उनके लिए बहुत बड़ी बात थी क्योंकि फोर्ड का कोई डायरेक्ट कभी आजतक शॉप फ्लोर पर आया नहीं तो बड़े लोग हैं रतन टाटा जी ने शॉप फ्लोर पर चक्कर लगाऊंगा एम्पलाई का ट्रस्ट दोबारा जीता फिर उन्होंने सोचा
एक नया सीईओ कोई इंडियन को लाकर हमारे सर पर बिठाएंगे उन्होंने कहा नहीं इस कंपनी की जो ऑलरेडी सीईओ डेविड स्मिथ उनको कहा नहीं सीईओ आप ही रहोगे| Tata Motors
आपको 25 साल फोर्ड का जैगुआर का दोनों का एक्सपीरियंस है आप हो आप ही संभालो सब तो स्मिथ ने सोचा की ये आदमी बहुत अच्छे है की दादागिरी करने वाला नहीं है साथ में काम करने वाले है आदमी है इसके बाद चीज बहुत ज्यादास्मूथ तरीके से वर्क करने नहीं लगी क्योंकि यह डील कब हुई थी|
टाटा को पहले साल में 5000 करोड़ का घाटा
याद होगा आपको जून 2008 में और उसके दो-तीन महीने बाद क्या हो गया सितंबर 8 में लेमन ब्रदर लेमन ब्रदर हुआ पूरा मार्केट नीचे और जो पूरा यूरोप में तबाही नॉर्दर्न अमेरिका में तबाही और यही तो सेगमेंट था यही तो मार्केट था जो जगुआर लैंड रोवर की गाड़ियां खरीद करता था| Tata Motors

एकदम से सेल शून्य टाटा मोटर Tata Motors जिसका 2008 में प्रॉफिट 2515 करोड रुपए था 2009 में उसका लॉस हो गया 25 करोड़ का 5000 करोड़ का लॉस 1 साल में टाटा को अपने इनिशियल बजट के अलावा 4:30 हजार करोड़ अलग से खर्च करने पड़े सिर्फ खर्चे निकालने के लिए यह पैसा लेने के लिए जब ब्रिटिश बैंक के पास गए या यूरोपियन बैंक के पास गए पहली बात तो उनकी टंडन गोपाल हो रखी थी 2008 के चक्कर में फिर थोड़ा बहुत जो पैसा भी देना चालू किया पैसा देने के लिए कंडीशन रखी हम इसमें डायरेक्टर भी बनेंगे|
टाटा Tata Motors ने कहा रहने दो हम तो इंडियन बैंक से ले लेंगे तो इंडियन बैंक का कंजोर्तियम टीम बना एसबीआई ने उसको लीड किया और पैक ने मिलकर 500 मिलियन लगभग 4000 करोड रुपए टाटा को दिए पूरे टर्न अराउंड के तो ऐसा नहीं की टाटा ने खराब हालत में जैगुआर ली और उसको ठीक किया खराब हालत में ली उससे भी खराब हालत में आई और फिर उसको ठीक किया|
यह टर्न ऑन करने के लिए सबसे पहले रतन टाटा जी ने किया कि एक मैनेजमेंट कंसलटेंट एजेंसी को हायर किया उन्होंने एक जर्मनी की एजेंसी थी उसकी हायरकिया और ग्लोबल लेवल पर केपीएमजी को हायर किया कि हमें आगे का प्लान बताओ हम कैसे वर्क करें और उस कंपनी ने उनको तीन स्ट्रेटजी बताइए कि देखो नए प्रोडक्ट को डेवलप करो और नए मार्किट को डबलप करो केस मैनेजमेंट करो और क्रॉस कटिंग करो| Tata Motors
2000 मजदूर को नौकरी से हटाया गया
कॉस्ट कटिंग जरूरी है जब रतन टाटाजी जैसा फिगर कॉस्ट कटिंग के फेवर में और एक आदमी कहता है सब कंसल्टेंट की क्या जरूरत है बिजनेस तो आदमी खुद कर लेगा सर जी जिन्होंने बिजनेस डेढ़ सौ साल चलाया जब कोई प्रॉब्लम आती है जब वह कंसलटेंट को हायर करते हैं तो हम क्या चीज है तो यहां पर एक मैसेज उन लोगों के लिए जो 99 रुपए देने के लिए 100 बार सोचते है|
कास्ट कटिंग में क्या-क्या किया सबसे पहले मजदूर फ्रंट पर बैठकर सब मजदूर को बैठकर समझाया देखो कंपनी की हालत तुम्हें पता है पहले ही ज्यादा खराब थी और अब तो बहुत ज्यादा खराब हो गई या तुम बोलो तो मैं तुम्हारे आधे से ज्यादा को अभी निकाल दूं और सब कुछ बंद कर दो और तुम साथ दो तो हम लोग कंपनी को प्रॉफिटेबल बना सकते हैं|
और मजदूर को समझा कर कुछ एग्रीमेंट किया जिस पर यह आए पहले इन्होंने कन्वेंस किया कि जो 40 घंटे तुम पर भी काम करते हो 3 घंटे एक्स्ट्रा काम करना पड़ेगा पूरी लेबर मान गई बिल्हा फिर उन्होंने कहा कि पे फ्रिज करना पड़ेगा इसमें तुमको सैलरी रेगुलर बेसिस पर नहीं दे पाऊंगा थोड़ा रुक कर देना पड़ेगा 2 महीने 4 महीने सैलरी रुक कर देंगे टुकड़ों में देंगे मजदूर ने का ठीक है|

जो पुराने इनएफिशिएंट मजदूर थे ऐसे 2000 मजदूर को नौकरी से हटाया भी गया कुछ इनएफिशिएंट लोग थे उनको जबरन छुट्टी पर भेजा गया कई लोगो को वीआरएस दिया गया इन सब चीजों को करके टोटल 32% मैनपॉवर को इन्होंने एडजस्ट किया और टोटल 68 मिलियन पाउंड यानी लगभग 680 करोड रुपए की सेविंग अर्जित की आर&डी में रिसर्च एंड डेवलपमेंट में हैवी इन्वेस्टमेंट किया इंडस्ट्री स्टैंडर्ड है अपने रेवेन्यू का 5% इन्वेस्ट करना चाहिए टाटा ने 14% इन्वेस्ट किया|
2009 में 2 लाख 31 हजार करोड़ का सेल किया
कि नया ऐसा मॉडल बना जो फ्यूल एफिशिएंट हो जो चीज जल्दी अभी के और कंटेंपरेरी मॉडल के अनुसार हो तीसरा नए मार्केट डेवलप की यह जितनी भी सेल जैगुआर की होती थी वह होती थी नॉर्थ अमेरिका से मेंन अमेरिका से या फिर इनके यूरोपियन मार्केट से वह तो बंद पड़े तो इन्होंने मार्केट डेवलप किया चीन इन्होंने डेवलप किया रूस इन्होंने डेवलप किया लैटिन अमेरिका तो टोटल जैगुआर की सेल जो उसे समय जब उन्होंने बाय किया टोटल सेल का एक परसेंट आता था|
इन जगहों से इसे आने लग गया 20% 2009 में टर्मिनल चालू हुआ था 2017 में लेडिस एंड जैंटलमैन दिल को थाम लीजिए सेल कर दी तिगानी 34 बिलियन डॉलर 231000 करोड़ की सेल टाटा ग्रुप में इस समय टाटा मोटर Tata Motors में 80000 एम्पलाई हैं|
उनमें से ₹35000 सिर्फ जगुआरो लैंड रोवर में है और एक फैक्ट मैं आपको बताना भूल गया जब टाटा मोटर ने जैगुआर लैंडोवर खरीदी थी जैगुआर लैंडोवर टाटा मोटर्स से भी बड़ी थी तो कुछ इस प्रकार से टाटा ने लैंड रोवर जैगुआर को खरीदा|