Zakir Hussain Death: अब हमारे बीच नहीं रहे उस्ताद ज़ाकिर हुसैन

अब हमारे बीच नहीं रहे उस्ताद Zakir Hussain जाकिर हुसैन वो उस्ताद जाकिर हुसैन जिनकी नस नस में इस देश की मान्यताएं भरी हुई थी|

वो Zakir Hussain जो सही मायने में भारत थे क्योकि जब हम भारत की बात करते हैं तो हम इस देश की मान्यताएं इस देश की संस्कृति इस देश के कौमी भाईचारे की बात करते हैं और इतने महान थे हमारे उस्ताद जाकिर हुसैन Zakir Hussain 12 साल की उम्र में इस व्यक्ति ने अमेरिका में भारत का नाम गर्व से चौड़ा कर दिया था|

12 साल की उम्र में पहुचे अमेरिका

credit @Amar Ujala

सिर्फ 12 साल की उम्र में और जैसा की उस्ताद Zakir Hussain जाकिर हुसैन जैसे इंसान अब नहीं बना करते हैं कौमी भाईचारे की मिशाल जो उन्होंने बार बार पेश की यानी कि एक व्यक्ति तबला बजाते हुए हमें शिव के डमरू की मिसाल दे रहा है शिव के डमरू की ध्वनि हमें सुना रहा है|

अपने तबले के जरिए और तबला डमरू और भगवान शिव उनके आध्यात्मिक मायने क्या है इससे बहुत खूबसूरती से उस्ताद जाकिर हुसैन ने अपने कंसर्ट में बताया था आज उनकी जिंदगी के तमाम पहलू की चर्चा आपसे करेंगे|

Zakir Hussain के मायने क्या है उनके तबले की थाप क्या है और उनके वह तबले की थाप जो कई सालों से गूंज रही है छह दशकों से गूंज रही है इस देश में और न सिर्फ इस देश में बल्कि विदेशो  प्रदेशों में भी और भारत का सीना फ़क्र से चौड़ा किया है|

आप जानते हैं जब उस्ताद ज़ाकिर हुसैन Zakir Hussain का जब जन्म हुआ था तो उनके पिता ने उनके कान में सिर्फ कुरान की आयतें नहीं कही थी उन्हें तबले की थाप सुनाई थी

कहीं ना कहीं वह अपने पिता से भी आगे निकल गए उनके पिता उस्ताद अल्ला रखा उनके सबसे बड़े गुरु थे और गुरु और शिष्य की परंपरा यहां दिखाई देता है शिष्य अपने गुरु के साथ इतना खुश दिखाई दे और उनकी तबले की थाप ने हमेशा देश को खुशी ही दी हर बार उनके तबले की थाप को सुनकर हमारे चेहरे पर सिर्फ मुस्कान आएगी|

11 साल की उम्र में किया पहला म्यूजिक कॉन्सर्ट

credit @Mid Day

उस्ताद ज़ाकिर हुसैन हम सबके लिए प्रेरणा थे और जब सबके लिए प्रेरणा की बात कर रहे है तो इस देश के बच्चों और युवाओं की भी बात कर रहे है जैसे11 साल की उम्र में 11 साल की उम्र में उन्होंने भारत में कंसर्ट किया था और 12 साल की उम्र में वह अमेरिका चले गए थे|

इस बारे में न्यूज़ एजेंसी क्या कहती है Zakir Hussain का पहला म्यूजिक कॉन्सर्ट जब हुआ तब उनकी उम्र 11 साल की थी उन्हेंने 12 साल की उम्र में अमेरिका में शो किया था उसमें उन्हें ₹5 मिले थे और जाकिर हुसैन Zakir Hussain एक इंटरव्यू में कहा था मैंने जीवन में बहुत पैसे कमाए लेकिन जो ₹5 मिले थे वह सबसे ज्यादा कीमती थे|

Zakir Hussain जाकिर हुसैन का सिर्फ संगीत से ही नाता नहीं रहा उन्होंने अभिनय भी किया सन 1983 में आए ब्रिटिश फिल्म हिट एंड डस्ट में शशि कपूर के साथ एक भूमिका निभाई इसके अलावा भारत के मशहूर चाय को विज्ञापन से बड़ी पहचान मिली जिसमें उस्ताद जाकिर हुसैन ने मॉडलिंग की थी|

फिल्मों में भी उनका अच्छा खासा योगदान था कई फिल्मों में उन्होंने संगीत दिया कई फिल्मों में उन्होंने अभिनय किया और आप उन फिल्मों पर गौर कीजिए बावर्ची इसमें राजेश खन्ना और जया बच्चन थी इस फिल्म का संगीत इस फिल्म में जाकिर हुसैन Zakir Hussain का एक बहुत बड़ा योगदान था|

Zakir Hussain की पत्नी भारतीय नहीं विदेशी थी

Credit @Republic World

इसके बाद राज कपूर की सत्यम शिवम सुंदरम जिसमें शशि कपूर और जीनत अमान थी इस फिल्म के संगीत में भी जाकिर हुसैन Zakir Husain का एक अहम योगदान था फिर आई थी एक फिल्म जिसका नाम था हीर रांझा जिसमें राजकुमार थे इसमें भी जाकिर Zakir Hussain ने एक अहम किरदार निभाया था|

और फिर शाज़ और शाज़ में न सिर्फ उन्होंने संगीत दिया था बल्कि उन्होंने एक्टिंग भी की थी और शशि कपूर की हिट एंड डस्ट एक और फिल्म थी जिसमें उन्होंने किरदार निभाया था इस तरह से उनकी करिश्माएं शख्सियत थी उनकी शख्सियत में इस कदर रोमानिया भरी हुई थी|

Zakir Hussain उनकी पत्नी भारतीय नहीं विदेशी थी अपनी ही एक शिक्षिका से उन्हें मोहब्बत हुई और उनकी शादी हो गई और इसके बारे में एजेंसीज क्या कहते हैं Zakir Hussain ने कत्थक न्रित्यांगना और शिक्षिका एंटोनियो मिनिकोला से शादी की थी|

और उनकी दो बेटियां अनीशा कुरैशी और इसाबेला कुरेशी हैं जाकिर हुसैन Zakir Hussain को अपने करियर में चार ग्रामिया अवार्ड मिले जिनमें से तीन इस साल की शुरुआत में 66 में ग्रामीण पुरस्कार में शामिल हैं|

Zakir Hussain को मिले बहुत सारे पुरस्कार

credit @Filmibeat

चलिए अब निगाह डालते हैं कि Zakir Hussain जाकिर हुसैन साहब को कौन-कौन से पुरस्कार मिले एक-एक करके यह पुरस्कार आपको बताते है 1990 में उन्हें संगीत नाटक अकेडमी अवार्ड मिला 1990 में ही उन्हें इंडो अमेरिकन अवार्ड मिला 2006 में मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से कालिदास सम्मान 2009 में ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट की तरफ से कंटेंपरेरी वर्ल्ड म्यूजिक एल्बम का अवार्ड|

2012 में कोणार्क नाटक की तरफ से गुरु गंगाधर प्रधान लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड 2019 में संगीत नाटक अकेडमी की तरफ से अकेडमी रत्न 2022 में मुंबई यूनिवर्सिटी की तरफ से संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉक्टर आफ लॉ की मानव उपाधि और इसी साल तीन अलग-अलग एल्बम्स के लिए उन्हें मिले तीन ग्रामीण अवार्ड|

 यानी कि उस्ताद जाकिर हुसैन खान ने हमें छोड़ने में बहुत जल्दबाजी कर दी उनके अंदर संगीत अभी भी मौजूद था और उन्होंने कई बार कहा कि मैं अपनी जिंदगी संगीत के बगैर मैं उसकी कल्पना भी नहीं कर सकता हूं|

 जिस व्यक्ति ने अपने पिता उस्ताद अल्ला रखा को अपना गुरु माना था संगीत के क्या मायने थे उस पर भी गौर कीजिए तबले के बिना जिंदगी है यह मेरे लिए सोचना असंभव है 20वीं सदी के सबसे विख्यात तबला वादक उस्ताद अल्ला रखा कुरैशी ने जब अपने बेटे को गोद में लिया था तो कान में आयत नहीं पढ़ी बल्कि तबले के बोल कहे|

पद्म पुरस्कार हासिल करने वाले सबसे कम उम्र के व्येक्ति थे

credit @Marathi e-Batmya

जब परिवार ने वजह पूछी तो कहा तबले की ताले ही मेरी आयत वह बच्चा था जाकिर हुसैन Zakir Hussain जिसने दुनिया भर को तबले की थाप पर झूमने का मौका दिया और उन्हें कई पद्म पुरस्कार भी मिले और पद्म पुरस्कार हासिल करने वाले वह सबसे कम उम्र के पेशेवर थे प्रोफेशनल थे 37 की उम्र में|

उनकी कई एल्बम आई और 4 को ग्रामीण पुरस्कार भी मिला जो दुनिया का सबसे सम्मानित संगीत सम्मान है उनके कौन-कौन से एल्बम्स थे इस पर भी गौर कीजिए सबसे पहला एल्बम था शक्ति और शक्ति से ही निकल कर आया फेस टू फेस 1977 ये वो दौर था जब उनका पहला बैंड आया और यह बैंड शक्ति के साथ था|

मेकिंग म्यूजिक 1947 जैन गार्बरेक जॉन मैक्लाफ्लिन और हरिप्रसाद चौरसिया के साथ प्लेनेट ड्रम 1951 मिकीहाट के साथ साउंड स्केप्स म्यूजिक ऑफ़ द डेजर्ट 1993 यह एक सोलो एल्बम था उस्ताद अमजद अली खान और जाकिर हुसैन 1994 उस्ताद अमजद अली खान के साथ उनका एल्बम था|

रिमेंबरिंग शक्ति 1995 मिक्लाल्फिन उप्पलपू श्रीनिवास वी सेल्वा गणेश और शंकर महादेवन के साथ शाज़ 1998 जो की फिल्म एल्बम था द ट्री ऑफ़ रिदम उस्ताद अल्ला रखा तौफीक कुरैशी और फज़ल कुरैशी के साथ ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट 2007 में मिकीहाट इमरान हुसैन चंदन शर्मा सिक्योरो अड़ीपोजू जियोवाणी हिडाल्गो के साथ|

ज़ाकिर हुसैन भले ही हमारे बीच नही रहे-

credit @Times Bull

और एज वी स्पीक 2023 में बेला फ्लैक एडगर मेयर और राकेश चौरसिया के साथ क्या आप जानते हैं कि भारत से पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा दो वेक्ति से प्रेरित थे गांधी जी और उस्ताद जाकिर हुसैन जिससे आपको पता चलता है कि उस्ताद जाकिर हुसैन का दुनिया में क्या रुतबा था|

1973 में उनका पहला एल्बम लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड आया था सन 1989 से लेकर 2007 तक जाकिर हुसैन ने दुनिया भर में कई संगीत समारोह में अपना हुनर का कमाल दिखाया Zakir Hussain जाकिर हुसैन की तबला वादन के प्रति दीवानगी पूरी दुनिया में थी|

 सन 2016 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उस्ताद को ऑल स्टार ग्लोबल कंसर्ट में आमंत्रित किया था वे पहले भारतीय संगीतकार थे जिन्हें इस संगीत समारोह में आमंत्रित किया गया था तो इस तरह से कहा जा सकता है के उस्ताद जाकिर हुसैन Zakir Hussain भले ही अब हमारे बीच नहीं है|

लेकिन उनके तबले की थाप दुनिया भर में गूंजती रहेगी और उस्ताद Zakir Hussain का महत्व सिर्फ उनके संगीत की वजह से नहीं था क्योंकि उनके संगीत का क्या योगदान है यह हम आपको बता चुके है उन्हें कितने पुरस्कार मिले कम से कम 4 इस शख्स ने जीते इस व्यक्ति को कई पद्म पुरस्कार भी मिले|

पूरी दुनिया उनके संगीत के कायल है

credit @Moneycontrol

और सबसे कम उम्र में यह पुरस्कार मिले मुद्दा यह है कि उनके संगीत की जरूरत इस देश को है जो व्यक्ति तबले की थाप देकर हमें भगवान शिव के डमरू के महत्व समझ सकता है वह कितना महान होगा इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है और सही मायने में वह एक वर्ल्ड सिटीजन थे|

यानी कि भारत के होने के बावजूद भी दुनिया के एक नागरिक इसलिए नही क्योकि उन्होंने अपनी एक शिष्य से शादी की थी जो एक विदेशी थी नहीं आप जानते हैं उनके क्या मायने थे बराक ओबामा से लेकर ब्रिटेन तक तमाम लोग उनके संगीत के कायल थे|

Riyajuddin Ansari
Riyajuddin Ansari
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