Royal Enfield (रॉयल एनफील्ड) इंडिया के प्रीमियम बाइक सेगमेंट का बेताज बादशाह है, इसमें कोई डाउट नहीं है| 250 सीसी से ऊपर के इंजन की जो गाड़ियां हैं बाइक्स हैं उसमें 93% सेल अकेला Royal Enfield करता है|
अपने आसपास की कॉम्पटेटर की तुलना में सबसे ज्यादा हाय मार्जिन रखता है, लेकिन ऐसा कहते है की ज्यादा कमाओगे तो नज़र लग जाएगी जहां शहद होगा वहां मधुमक्खियां भी आएगी तो इस प्रीमियम बाइक के जो सेगमेंट है|
इसमें नजर ग गई है हीरो की बजाज की ये पहले सेगमेंट से थोड़ा दूर रहे थे तगड़े प्रयास नहीं गए थे लेकिन अबकी बार ये पुरी तैयारी के साथ है| की इस प्रीमियम सेगमेंट में घुस के दिखाएंगे हीरो ने हार्ले डेविडसन के साथ टाइयप किया है|
Harley और Triumph देंगे Royal Enfield की बादशाहीयत को चुनौती

और एक कांबिनेशन में बाइक निकाला है 440 एक्स करके और बजाज ने लंदन की Triumph के साथ टाइयप किया है| और उसने भी स्पीड 400 करके एक बाइक और निकाल दिया है और ये दोनों काम होती है 3 जुलाई और पांच जुलाई को और इसी चक्कर में आयशर मोटर जो की Royal Enfield (रॉयल एनफील्ड) की पैरंट कंपनी है|
उसका शेयर एक ही दिन में 6% टूट गया और पांच दिन तक टूतटे टूतटे 12:30 % टूटा कुछ समय बाद रिकवरी करके 5:30 पे भी आ गया अब नई डिबेट ये चालू है ,की किन बड़े बड़े प्लेयर से हीरो और बजाज से हाथ मिला लिया है| क्या ये दोनों मिलकर Royal Enfield (रॉयल एनफील्ड) की बाद्शाहियत को चुनौती दे पाएंगे|
दूसरा सवाल आता है आखिर ये प्रीमियम बाइक सेगमेंट में घुसने का प्रयास ही क्यों कर रहे हैं? चल तो रहा है इनका काम दूसरी बाइक बेच के, यहां पे इनको आना ही क्यों है? और Royal Enfield (रॉयल एनफील्ड) इतना ताकतवर बना तो बना कैसे?
इन सभी सवालों के जवाब मिलेंगे इस आर्टिकल में, चलिए सुरु करते है, सबसे पहले इंडिया के मोटरसाइकिल मार्केट को समझते हैं, इसको तीन सेगमेंट में बाटा जाता है| एक होता है एंट्री लेवल सेगमेंट जहां पे 76 सीसी से लेकर 100 सीसी तक की बाइक आई है|
अब ब्रांड की डिमांड बढ़ने लगी है

2018 में इसका मार्केट शेयर 59% था, दूसरा सेगमेंट आता है कम्यूटर जिसमें 110cc से 150cc की बाइक आई है, इसका मार्केट शेयर 26% था और थर्ड नंबर पे आती है, प्रीमियम बाइक जो 150cc से ऊपर की बाइक है| इसका मार्केट शेयर केवल 14% था|
ये आंकड़े हैं 2018 के लेकिन 2023 यानी 5 साल बाद की बात करें तो यहां आंकड़ा कैसे चेंज हुआ एंट्री लेवल जो 59 था वो 8% घट के 51 रह गया मिडिल वाला जो सेगमेंट है वो 26 से बढ़कर 30 हो गया और प्रीमियम सेगमेंट 14 से 18 हो गया|
इसका मतलब जो एंट्री लेवल की बाइक है उसमें लोगों का रुझान कम हो रहा है| और प्रीमियम पे ज्यादा बढ़ रहा है कम्यूटर पे ज्यादा बाढ़ रहा है| आखिर ऐसा हो क्यों रहा है समझते हैं पहला कारण इंक्रीज डिस्पोजेबल इनकम धीरे-धीरे भारत की इकोनामी बाढ़ रही है| प्रति व्यक्ति की आय भी बाढ़ रही है|
इसी चक्कर में लोगों के पास पैसा हाथ में हो गया है, और अब उनके पैकेज वो 15-20 हजार वाले नहीं रहे अच्छे पैकेज होने लगे है, तो लोग एंट्री लेवल की जगह प्रीमियम में ज्यादा दिमाग लगा रहे हैं|
दूसरा है लाइफस्टाइल में भी चेंज ए गया पहले लाइफस्टाइल थी, कम खाओ और भविष्य के लिए बचाओ अब जो लाइफस्टाइल है,जिंदगी ना मिलेगी दोबारा जो मजे करना है अभी कर लो चाहे उधारी पे सही| तीसरा डिमांड है हाय क्वालिटी अब ब्रांड की डिमांड बढ़ने लगी है|
Hero और Bajaj क्या करना चाहते है?

पहले ठेले पर खा लेते थे अब तो मॉल में खानी है, तो अब छोटे मोटे बाइक नहीं लेंगे हमको तो बढ़िया चीज चाहिए टेक्नोलॉजी का एडवांस चाहिए हमको सेफ्टी चाहिए इसी चीज को अगर आप देखोगे गाड़ी में फोर व्हीलर में तो जो एंट्री लेवल कार थी मारुति ऑळटो इनकी सेल धीरे-धीरे नीचे जा रही है और सेडान की सेल भी नीचे जा रही है और suv की सेल आगे बढ़ रही है|
इस प्रकार से यहां एंट्री लेवल कम हो रहा है और वहां suv बिक रहा है और यहां प्रीमियम बाइक है| और जो सेंटीमेंट चेंज हुआ है सेंटीमेंट का असर देखना 250 सीसी से ऊपर की जो बाइक है पहले 2011-12 के आसपास मंत्र 1% ही बिका करती थी, यानी ओवरऑल 1 लाख बाइक बिका करती थी|
आज इसका जो टोटल मार्केट शेयर है वो 8% है पिछले 10 साल में 8 गुना हो गया है, यानी आज की डेट में 8 लाख प्रीमियम बाइक 250 सीसी से ऊपर की बिकती है| अब इतना बड़ा मार्केट है जैसे पहले जब 1 लाख गाड़ी बिकती थी तो इग्नोर कर दिया हीरो ने, बजाज ने हारले ने क्या बेचे इतना छोड़ो छोटा मार्केट है|
लेकिन 8 लाख गाड़ियां जब साल की बिकती हो तो कौन छोड़ेगा ऐसे मार्केट को तो इसी चक्कर में हीरो और बजाज ये चाहते हैं की हम इस प्रीमियम बाइक सेगमेंट में एंट्री करें| क्यों चाहते हैं पहला कारण ये चाहते अपने पोर्टफोलियो को डी रिस्क कर दें पोर्टफोलियो डि रिस्क करने का मतलब तुम किसी मार्केट के ऑलरेडी लीडर हो|
महिंद्रा के जावा बाइक के साथ क्या हुआ?

लेकिन वो मार्केटिंग सीक्रेट है, लीडर बन के क्या करोगे तुम एंट्री लेवल के सिरमौर हो यह मैसेज ज्यादा कोई बनाता ही नहीं लेकिन भाई आजकल कोई लेता भी तो नहीं तो इसमें पड़े रहोगे तो मर जाओगे तो उसको डील्स करने के लिए यहां से हट रहे हैं और एक नए मार्केट तलाश रहे हैं|
दूसरा जब आंखों के सामने दिख रहा है की एक मार्केट एक लाख से 8 तक 10 साल में पहुंच गया और ये आठ से 16 जाएगा 24 जाएगा तो इतने बड़े मार्केट में क्यों ना जाए और तीसरा सबसे जरुरी है की आज जो बंदे ने इनकी स्प्लेंडर ली है दो पांच साल में वो भी कब आएगा उसके पैसे बढ़ेंगे ईससे अपग्रेड की बाइक पे जाएगा|
अब वो तुम्हारा लॉयल यूजर है और तुम्हारे पास देने को कुछ है ही नहीं तो अपने यूजर को अपग्रेड करके तो कुछ देना है| इसलिए यह प्रीमियम सेगमेंट में जा रहे हैं|
अब इनके हाथ में क्या है की एक काम करते हैं खुद का प्रीमियम बाइक लॉन्च कर देते हैं लेकिन
इनकी प्रीमियम बाइक चलती ही नहीं है बजाज ने देखो केटीएम लॉन्च किया ठीक-ठाक बाईक रही है पर बहुत बड़ा हल्ला नहीं रहा है बाजार में होंडा ने CB 350 लॉन्च की थी वो भी नही चली|
इंडियन स्टार्टअप था एक क्लासिक लीजेंड उसने महिंद्रा के सपोर्ट से बाइक लॉन्च की Java जावा तो जब उसकी डिमांड आई तब तो प्रोडक्शन में पीछे हो गए और जब प्रोडक्शन तैयार हुआ तब तक डिमांड नही रही, और Royal Enfield ने अपना गढ़ छोड़ ही नहीं|
एस्पिरेशनल वैल्यू हीरो और बजाज में कहा

जब कम्युनिकेशन को समझ में आया की हमारी इमेज ऐसी बन गई है की हम तो छोटी गाड़ियां और सस्ती गाड़ियां हैं हम महंगी गाड़ी बेचने जाएंगे तो कोई लेगा ही नहीं, ये वही वाली बात है की
मारुति 15 लाख की भी गाड़ी बचेगी तो बोलेंगे मारुति 15 लाख में तो मारुति थोड़ी लेनी है|
तो मारुति को नेक्सा निकालना पड़ा इस प्रकार इन्होंने कहा और हमारे नाम पे तो हमें प्रीमियम बाइक में कोई पैसे देना नही रहा कुछ और ही करना पड़ेगा क्योंकि ये जो प्रोडक्ट है 250 सीसी से ऊपर वाले ये बिकता है ब्रांड वैल्यू के उपर क्योकि लोगो को बाइक पे बैठ कर फील आना चाहिए|
अरे भाई साहब पता है मै क्या चला रहा हूं मैं Royal Enfield (रॉयल एनफील्ड) चला रहा हूं ये जो ब्रांड की पावर है और वैल्यू आपके मन में सपना आता है की मैं लद्दाख की वादियो में घूमूंगा स्प्लेंडर पर ये सपना थोड़ी आता है, सपना तो ये आता है Royal Enfield का |
एस्पिरेशनल वैल्यू हीरो और बजाज में नही है, तो इन्होंने कहा अपने दम पे तो अपने से बात बनेगी नही बड़े लोगों से टाइयफ करना पड़ेगा, हीरो ने बात की भैया हार्ले डेविडसन से, तो हीरो और हार्ले ने मिल के एक नई बाइक लॉन्च की एक्स 440 उसके बाद बजाज ने बात की यूके के ट्राइंफ से और उसके साथ मिल्क बाइक लॉन्च की स्पीड 400
Royal Enfield की मार्किट वेल्यु

ऐसा करने से इंडियन कंपनी को बेनिफिट क्या है, पहले उनकी इमेज इंप्रूव होगी की यार हीरो अब छोटी-मोटी कंपनी नहीं रही हार्ले से टाईयफ किया है ,दूसरा प्रीमियम में अगर इमेज अपग्रेड हुई है तो जो मिड लेवल का सेगमेंट है वहां भी भी थोड़ा बहुत बेनिफिट मिलेगा|
और इनका जो यूजर है रॉयल यूजर इन्होंने एंट्री लेवल से पकड़ रखा है इसको भी दो ऑप्शन दे पाएंगे एक सवाल है की इंडियन कंपनी को तो फायदा था उनको तो करना था टायफ फोरन कंपनी क्यों मानी हार्ले क्या बेच रही है सस्ता ट्राइंफ क्यों बेच रही है, सस्ता तो एक बार मार्केट शेयर पर नजर डालते है|
250 सीसी से ऊपर की गाड़ियों का मार्केट शेयर में Royal Enfield रॉयल एनफील्ड यह गाड़ी पृथ्वी पर 93% गाड़ियां है, दूसरी बात होंडा आता है 4% गाड़ियों के साथ यह प्ट्राइंफ जिसने टाइयफ किया है इसका इंडियन मार्केट शेयर है पॉइंट 14 और हार्ले डेविडसन का है पॉइंट शून्य 4
तो इसका मतलब अगर आपको साधारण भाषा में बताए तो 10000 बाइक अगर बिकती है 250 सीसी से ऊपर वाली उसमें 9300 बिकती है Royal Enfield रॉयल एनफील्ड उसके बाद जो उसमें 400 बिकती है, होंडा और 14 बिकती है आपकी Triumph मोटर और 4 बिकती है हार्ले डेविडसन |
हार्ले और ट्राइंफ नही बिकने का कारण

अब आप सोचेंगे इंडियन यूजर का तो फायदा था इनका क्या फायदा था, आपको समझ में आ गया की इनकी गाड़ियां बिक नहीं रही थी, और गाड़ियां ना बिकने का सीधा सा कारण था, ये बहुत नीश मार्केट में खेलते हैं, और सुपर प्रीमियम नहीं ये लग्जरी सेगमेंट की गाड़ियां हैं|
आप समझिए हार्ले डेविडसन का जो पोर्टफोलियो है 17.5 लाख से लेकर 40 लाख तक की बाइक बेचता है वो और आपका जो Triumph है उसका पोर्टफोलियो 8 लाख से लेकर 22 लाख तक की बाइक बे चता है|
इतने में 2 BHK का मकान लेते हैं इंडिया वाले ये ट्राइंफ और हार्ले के चक्कर में तेरा घर जाएगा तो ये भी चाहते थे की, हमारे पास मार्जिन बहुत अच्छा होगा लेकिन वॉल्यूम बहुत कम है यार पूरे महीने में एक गाड़ी दो गाड़ी बेच के थोड़ी काम चलेगा तो इन्होंने कहा अगर इंडिया में वॉल्यूम चाहिए|
इंडिया मार्केट में कोई छोड़ नहीं सकता वॉल्यूम चाहिए तो प्राइस पे काम करना पड़ेगा तो इन्होंने कहा प्राइस पर काम करना है, तो उनके के साथ करो जो प्राइस के मास्टर हैं| प्लस इन्होंने कहा हीरो और बजाज से टाइयफ कर के हमको लोकल रिच बहुत मिल जाएगी|
Triumph और Harley से Royal Enfield आगे क्यों

डिस्ट्रीब्यूशन बहुत मिल जाएगा इतनी बड़ी डीलरशिप है वो हमारी तो काम आएगी हम देश के कोने-कोने तक पहुंच जाएंगे तो जब हीरो और इनका दोनों का फायदा था तो फिर अब आप बोलोगे Royal Enfield रॉयल एनफील्ड इतनी खतरनाक चीज है क्या इसको हारने के लिए हीरो, बजाज हार्ले ट्राइंफ सबको आना पड रहा है|
अब Royal Enfield ने क्या-किया सबसे पहले इन्होंने प्रीमियम चीज बनाई और 2 लाख के अंदर अंदर इन्होने ये चीज निकाल दी जो स्टार्टिंग वाला मॉडल है डेड से 2 लाख के बीच में चालू हो जाता है तो इनको लग्जरी की लग्जरी मिल गई और भैया ठीक-ठाक बजट में मिल गई|
ऐसा नहीं कहेंगे सस्ती है पर अगर उससे कंपेयर कर ले Triumph और Harley से तो भैया सस्ती है| इन्होंने नॉस्टैल्जिया ये लॉन्च हुई थी 1950 के आसपास स्पेशली पर इंडियन आर्मी इंडियन आर्मी वाले चलते थे और ये तब से ही इसके इसकी जो धक धक है वो जो गाड़ी आवाज करती है इस की बचपन से लोग दीवाने हैं|
इसकी क्वालिटी एक समय पे बहुत खराब हो गई थी, पर क्वालिटी इंप्रूव करके बहुत अच्छा कर दिया है| और डीलर नेटवर्क बहुत जबरदस्त तरीके से फैला दिया है| आप समझो हार्ले डेविडसन एक तरह का स्वीट्स स्पॉट जो बांदा कहता है जो युवा कहता है की मेरा सपना तो एक दिन Harley चलाने का है और उतना बजट नहीं है|
Royal Enfield की गाड़ी 5 से 10 साल नही हिलने वाली चाहे कोई भी आ जाए

और स्प्लेंडर मै चलाऊंगा नहीं कुछ बीच की चीज है क्या तो Royal Enfield ने कहा हम बीच की चीज जब तक तू हार्ले तक ना पहुंच पाए तब तक हमारी Royal Enfield पर बैठ जा, अपना मान भी राजी कर ले, तो इन दोनों के बीच की चीज इसने ढूंढ ली है|
तो हार्ले क्यों टॉप पे है आपको समझ में आया ये दोनों क्या कर रही है ये समझ में आया ये दोनों क्यों कर रही है आपको समझ में आया और कैसे कर रही है आपको समझ में आया अब बात ये है की ये कर भी पाएगी की नहीं कर पाएगी इसको लेके अलग-अलग ओपिनियन है|
लेकिन ऐसा मानना है की Royal Enfield रॉयल एनफील्ड के इमीडीएटली अगले 1 साल 2 साल 3 साल में तो कोई फर्क नहीं पड रहा अगले पांच साल 10 साल में ये दोनों कैसे परफॉर्म करती है इस पे इंपैक्ट पड़ेगा|
लेकिन Royal Enfield रॉयल एनफील्ड की गाड़ी 5-10 साल तक नहीं हिलने वाली ये गारंटी है| लेकिन Royal Enfield रॉयल एनफील्ड को एक चैलेंज तुरंत आ जाएगा वो है प्राइसिंग चैलेंज उसकी डेट 2 लाख की रेंज में गाड़ी चालू होती है|

और हार्ले और ट्राइंफ जैसी गाड़ियां भी दो ढाई लाख की रेंज में आ गई है, तो अब ये कंफरटेबल अपने प्राइस नहीं बढ़ा पाएगा, और प्राइस वॉर चलेगा क्योंकि अगर इसने प्राइस बड़ा के दो के सवा दो कर दी तो जनता सोचेगा ये 20-25 हजार लगा के वही कुछ नया ट्राई कर लेते हैं|
तो प्राइस की लड़ाई में थोड़ा सा फस गए हैं, तो जो प्राइस वाला छोटी गाड़ियों में देखते थे 60-70 हजार के सेगमेंट में की दो-तीन हजार ऊपर नीचे के चक्कर में हमारी प्रेफरेंस बादल जाति थी अब 10-20 हजार के चक्कर में यहां प्रेफरेंस का खेल चलेगा|